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MP Election 2023: मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सपा ने दो और उम्मीदवारों के नाम घोषित की, देखें सूची

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच है. सत्तारूढ़ भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बाद सपा तीसरी पार्टी है, जिसने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. हालांकि, निर्वाचन आयोग ने चुनाव के कार्यक्रम की अभी घोषणा नहीं की है.

समाजवादी पार्टी (सपा) ने मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अपने दो और उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है, जिससे पार्टी द्वारा अब तक घोषित उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर छह हो गई है.

कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी सपा

क्या सपा विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक के रूप में कांग्रेस के साथ मिलकर मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ेगी, सपा के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया. पटेल ने कहा, किसी भी राज्य में गठबंधन के बारे में निर्णय पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जाता है, लेकिन अभी तक हमें आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मध्य प्रदेश में इस तरह के गठबंधन की कोई संभावना नहीं दिख रही है. लेकिन, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष इस संबंध में निर्णय लेंगे. विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में कांग्रेस और सपा सहित 26 राजनीतिक दल शामिल हैं.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच है. सत्तारूढ़ भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बाद सपा तीसरी पार्टी है, जिसने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. हालांकि, निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की अभी घोषणा नहीं की है. मध्य प्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों के लिए होने वाले चुनावों के वास्ते भाजपा ने अब तक 39 उम्मीदवारों और बसपा ने सात उम्मीदवारों की सूची जारी की है.

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शिवराज ने विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मंत्रिपरिषद का विस्तार किया

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन विधायकों को मंत्री के रूप में शामिल करके अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ भाजपा ने तीन महीने से भी कम समय में होने वाले चुनावों से पहले मध्य प्रदेश में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को साधने की कोशिश की है.

इन विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ

पूर्व मंत्री, ब्राह्मण नेता और विंध्य क्षेत्र के रीवा से चार बार के विधायक राजेंद्र शुक्ला, महाकौशल क्षेत्र के बालाघाट से सात बार के विधायक एवं मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन और बुंदेलखंड क्षेत्र के टीकमगढ़ जिले के खरगापुर से विधायक राहुल लोधी ने मंत्री पद की शपथ ली. लोधी पहली बार विधायक बने हैं. इससे पहले, शिवराज कैबिनेट का आखिरी विस्तार जनवरी 2021 में हुआ था. शनिवार को किए गए विस्तार के बाद भी, कैबिनेट में एक और मंत्री के लिए जगह बची है. मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या सदन का 15 प्रतिशत हो सकती है और मध्य प्रदेश विधानसभा में 230 सदस्य हैं.

शुक्ला को मंत्रिमंडल में शामिल कर बीजेपी ने विंध्य क्षेत्र को साधने की कोशिश की

राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि शुक्ला को मंत्रिमंडल में शामिल करने से भाजपा को विंध्य क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी, जहां पार्टी विधायक और एक मजबूत ब्राह्मण नेता नारायण त्रिपाठी द्वारा समर्थित नया राजनीतिक दल विंध्य जनता पार्टी (बीजेपी) पहली बार चुनाव लड़ेगा. बीजेपी विंध्य क्षेत्र की सभी 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने विंध्य क्षेत्र में 24 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस केवल छह सीटें हासिल कर सकी थी. इस बार भाजपा को विंध्य क्षेत्र में सत्ता विरोधी लहर से निपटना है. इसके अलावा, आम आदमी पार्टी (आप) वहां पैठ जमाने की कोशिश कर रही है.

महाकौशल क्षेत्र को भी साधने की तैयारी में बीजेपी

बिसेन के शामिल होने से उन लोगों की नाराजगी दूर होने की संभावना है, जो महसूस करते हैं कि भाजपा ने उनकी उपेक्षा की है. उन्होंने कहा कि बिसेन से पहले महाकौशल क्षेत्र से केवल एक ही मंत्री था. पिछले विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा था. पिछले चुनाव में महाकौशल क्षेत्र की 38 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 24 पर जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा को 13 सीटें हासिल हुई थीं. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार की झोली में गई थी.

2003 में बीजेपी ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली

भाजपा ने 2003 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस से सत्ता छीन ली थी. तब से दिसंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच 15 महीने की अवधि को छोड़कर, जब कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्व में सत्ता में थी, भाजपा राज्य में सत्ता पर काबिज है. 2018 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस ने 230 सीटों में से 114 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा 109 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी.

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