मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट और क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू नहीं करने पर चिकित्सक में एक बार फिर आक्रोश है. आइएमए पदाधिकारियों का कहना है कि वह जनहित को देखते हुए आंदोलन नहीं करना चाहते हैं, लेकिन सरकार ऐसा नहीं समझे कि डॉक्टरों में इसको लेकर नाराजगी नहीं है. ये बातें रविवार को करम टोली चौक स्थित आइएमए भवन में आयोजित बैठक के बाद आइएमए पदाधिकारियों ने पत्रकार वार्ता में कहीं.
स्टेट आइएमए के अध्यक्ष डाॅ एके सिंह ने कहा कि सरकार दोनों एक्ट को आखिर क्यों लागू नहीं कर रही है, यह समझ से परे है. विधानसभा से प्रवर समिति के पास प्रस्ताव भेज दिया गया है, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है. सुरक्षा को लेकर ही राज्य में डॉक्टर योगदान नहीं देना चाहते हैं. सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने बताया कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन कर प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है, लेकिन यह पांच महीने से पड़ा हुआ है.
काॅरपोरेट अस्पताल को फायदा हो रहा है, लेकिन छोटे क्लीनिक बंद हो जायेंगे. इलाज महंगा हो जायेगा. सरकार से जनहित में आग्रह किया जा रहा है कि एक्ट को लागू किया जाये. उपायुक्त को स्वास्थ्य संबंधी कई अधिकार दे दिये गये हैं, जिससे काम में विलंब हो रहा है. पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट का आवेदन ही जिला में एक साल से लटका पड़ा है. झासा के सचिव डॉ ठाकुर मृत्युंजय सिंह ने कहा कि सरकारी डॉक्टरों की कई मांगें लंबित हैं, जिसको लागू करने की जरूरत है. सरकार को इस पर भी विचार करना चाहिए. पत्रकार वार्ता में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अजय सिंह, डॉ अनंत सिन्हा और डॉ बीपी कश्यप आदि मौजूद थे.