उत्तर प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने चंद्रयान 3 की सफलता के इतिहास को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने का ऐलान किया है. माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा कि चंद्रयान 3 की सफलता ने विश्व में भारत का मान बढ़ाया है. देश की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के विषय में छात्र किताबों में पढ़ेंगे.
उन्होंने पीएम मोदी की जमकर तारीफ भी की है. चंद्रयान की सफलता से विश्व में गौरव प्राप्त हुआ है. उन्होंने कहा कि इसकी सफलता के इतिहास को पाठ्यक्रम में रखने से बच्चों को सबक भी मिलेगा. सफलता के पीछे वैज्ञानिकों के संघर्ष और लगन की बच्चों को जानकारी होनी चाहिए. माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री गुलाब देवी ने चंद्रयान 3 के सफल मिशन के लिए पीएम मोदी और इसरो के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी है.
गौरतलब है कि 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट ही वो ऐतिहासिक क्षण था, जब पूरा देश एक साथ खुशी से झूम उठा था. इसी क्षण पर चंद्रयान 3 ने चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी. इसके साथ ही इसरो ने वो कारनामा कर दिखाया जो आज तक कोई नहीं कर सका. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया.
इसके साथ ही चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत चौथा देश बना था. पहले सिर्फ सोवियत संघ (रूस), अमेरिका और चीन ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल हुए हैं. अब भारत ने भी यह कारनामा कर दिखाया है. भारत की इस उपलब्धि की वाहवाही पूरी दुनिया कर रही हैं.
बता दें कि चंद्रयान-3 अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है. चांद पर पहुंचकर विक्रम लैंडर ने अपना काम शुरू कर दिया है. रविवार को इसने ऐसा कुछ भेजा जिसने पूरे वैज्ञानिक समुदाय को चौंका दिया. उसने चांद की सतह पर तापमान में भिन्नता दर्ज की है. यहां उच्चतम तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज किया गया है. चांद को समझने के लिए यह बहुत बड़ी कड़ी है. चांद से ये चौंकाने वाले रिकॉर्ड उस दिन आए जब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने तिरुअनंतपुरम के एक मंदिर में पूजा-अर्चना की. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद से पूरी इसरो टीम उत्साहित है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया. अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य जताया. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ‘चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चांद की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा. इसरो ने ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा कि यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं. चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा.
ग्राफिक के बारे में इसरो वैज्ञानिक बी. एच. एम. दारुकेशा ने कहा कि हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है. यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से ज्यादा है. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है. इसरो ने एक बयान में कहा कि इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं. प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं. विस्तृत अवलोकन जारी है.
वैज्ञानिक दारुकेशा ने कहा कि जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं, तो हमें मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता दिखाई देती है, जबकि चंद्रमा यह लगभग 50 डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता है. यह दिलचस्प बात है. वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह से नीचे तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है. उन्होंने कहा कि भिन्नता 70 डिग्री सेल्सियस से शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक है.
इसरो ने कहा कि ‘चेस्ट’ पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) के नेतृत्व वाली एक टीम ने विकसित किया था. उधर, इसी दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने तिरुवनंतपुरम के पूर्णमिकवु मंदिर में पूजा-अर्चना की. उन्हें मंदिर में ध्यान लगाकर प्रार्थना करते देखा गया.