Jio AI: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि जियो प्लेटफॉर्म्स विभिन्न क्षेत्रों में भारत-केंद्रित आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल और एआई-संचालित समाधानों के विकास प्रयासों का नेतृत्व करना चाहती है ताकि देश के नागरिक, कारोबार और सरकार नए दौर की इस टेक्नोलॉजी से लाभान्वित हो सकें. अंबानी ने आरआईएल के शेयरधारकों की सालाना आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जियो प्लेटफॉर्म्स ‘हर किसी को, हर जगह एआई का वादा करती है. उन्होंने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) को जियो के विकास का सबसे रोमांचक मोर्चा बताते हुए इससे संबंधित महत्वाकांक्षी योजनाओं की रूपरेखा पेश की. अंबानी ने टिकाऊ तौर-तरीकों और हरित भविष्य की दिशा में बढ़ने का जिक्र करते हुए क्लाउड और एज दोनों स्थानों पर 2,000 मेगावाट तक एआई-सक्षम कंप्यूटिंग क्षमता स्थापित करने कंपनी की प्रतिबद्धता जताई.
मुकेश अंबानी ने कहा कि ग्लोबल लेवल पर एआई क्रांति पूरी दुनिया को नया आकार दे रही है और इसका समझदार इस्तेमाल उद्योगों, अर्थव्यवस्थाओं और रोजमर्रा की जिंदगी को भी नए सिरे से परिभाषित और क्रांतिकारी बदलाव लाने का काम करेगा. अंबानी ने कहा कि ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए भारत को नवाचार, वृद्धि और राष्ट्रीय समृद्धि के लिए एआई का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने कहा, अपने देशवासियों से यह मेरा वादा है. सात साल पहले जियो ने हर किसी को हर जगह ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देने का वादा किया था. हमने इस वादे को पूरा किया है. आज जियो हर किसी को हर जगह एआई का वादा करती है. और हम इसे पूरा करेंगे. रिलायंस ग्रुप के भीतर भी एआई में नवीनतम वैश्विक नवाचारों, खासकर जेनरेटिव एआई में हालिया प्रगति को तेजी से आत्मसात करने के लिए प्रतिभाओं और क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है.
रिलायंस चेयरमैन ने कहा, जियो प्लेटफार्म्स भारत-केंद्रित एआई मॉडल और डोमेन में एआई-संचालित समाधानों के विकास की कोशिश का नेतृत्व करना चाहता है जिससे भारतीय नागरिकों, व्यवसायों और सरकार को समान रूप से एआई टेक्नोलॉजी का लाभ मिल सके. अंबानी ने कहा कि इसके लिए भारत के पास बड़ी प्रतिभा, डेटा और पैमाना मौजूद है. उन्होंने कहा, लेकिन हमें भारत में डिजिटल बुनियादी ढांचे की भी जरूरत है जो एआई की व्यापक मांगों को संभाल सके. उन्होंने कहा कि रिलायंस की अगले पांच वर्षों में कनेक्टिविटी और डिजिटल सेवाओं में अपने अधिकांश ऊर्जा उपभोग को हरित ऊर्जा में बदलने की योजना है जो पर्यावरण-अनुकूल होने के साथ कम लागत वाली भी है.