आरती श्रीवास्तव :
भारत की समूह-20 की अध्यक्षता वैश्विक नेतृत्व की उसकी भूमिका के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने जा रही है. बीते वर्ष दिसंबर में भारत को पहली बार इस समूह की अध्यक्षता मिली और अपने अटल इरादों के साथ उसने जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच चर्चा और पहल की है. अपनी विविधता भरी अर्थव्यवस्था, तकनीकी कौशल और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, भारत ने इस मंच पर अपने अनूठे दृष्टिकोण को रखा है.
अध्यक्षता करते हुए हमारे देश ने समावेशी विकास, डिजिटल नवाचार, जलवायु लचीलापन और समान वैश्विक स्वास्थ्य पहुंच जैसे विभिन्न मुद्दों पर देशों व संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है. अध्यक्षता के जरिये भारत ने ऐसे सहयोगात्मक समाधानों को बढ़ावा दिया है जो न केवल उसके अपने लोगों को लाभान्वित करेंगे, बल्कि वैश्विक कल्याण के लिए भी लाभकारी साबित होंगे. भारत का यह कदम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ या ‘विश्व एक परिवार है’ की उसकी अवधारणा को मजबूती देता है.
ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (जी-20) अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है. यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन (ग्लोबल आर्किटेक्चर व गवर्नेंस) निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वर्तमान में भारत जी-20 का अध्यक्ष है. उसे यह अध्यक्षता एक दिसंबर, 2022 को मिली और वह 30 नवंबर, 2023 तक इसकी अध्यक्षता करेगा.
जी-20 में 19 देश- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका- और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि शामिल हैं. जी-20 के सदस्य देशों व यूरोपीय संघ के अतिरिक्त इस समूह के प्रत्येक अध्यक्ष अन्य अतिथि देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को जी-20 की बैठकों व सम्मेलनों में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं.
इस बार के अध्यक्ष भारत ने जिन देशों को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है उनमें बांग्लादेश, मिस्र, मॉरिशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं. जबकि यूएन, आइएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आइएलओ, एफएसबी और ओसीईडी जैसे नियमित अतिथि संगठनों के अतिरिक्त भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस, कोअलिशन फॉर डिजास्टर रिसिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर और एशियन डेवलपमेंट बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी आंमत्रित किया है.
समूह-20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और दुनिया की जनसंख्या के लगभग दो-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह समूह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को एक साथ ले आता है.
अपने सदस्यों के बीच नीतियों का समन्वय करना.
संकट को कम करने और
भविष्य के वित्तीय संकट को रोकने के लिए वित्तीय नियमन को बढ़ावा देना.
एक नयी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना तैयार करना
इस समूह का गठन 1999 में वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था, जिसने विशेष रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को प्रभावित किया था. असल में जून, 1999 में कोलोन, जर्मनी में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में वित्त मंत्रियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए जी-20 के विकास का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद दिसंबर, 1999 में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए एक मंच के रूप में इस समूह का गठन हुआ, ताकि यहां वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर नियमित चर्चा हो सके.
वर्ष 2007 के वैश्विक आर्थिक व वित्तीय संकट को देखते हुए 2008 के नवंबर में इस समूह को राष्ट्राध्यक्षों/ शासनाध्यक्षों के स्तर तक अपग्रेड किया गया और 2009 में इसे ‘अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच’ नामित किया गया. इस प्रकार यह समूह राष्ट्रों/ सरकारों के प्रमुखों के बीच वार्ता का प्रमुख मंच बन गया. वर्ष 2008 के नवंबर में हुई बैठक में पहली बार वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट का सामना करने के लिए देश और सरकार के नेता वाशिंगटन में मिले थे.
तब से जी-20 अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली से जुड़ी सर्वाधिक गंभीर चुनौतियों का सामना करने और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जुटाने का प्राथमिक मंच बना हुआ है. वर्ष 2011 के बाद से जी-20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष एक अलग अध्यक्ष के नेतृत्व में आयोजित किया जाता है. यानी, प्रतिवर्ष इस समूह की अध्यक्षता करने का अवसर एक अलग सदस्य देश को मिलता है.
इस वर्ष नौ से 10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष/ शासनाध्यक्ष सम्मिलित हो रहे हैं. इसके साथ ही, वर्ष भर चलने वाली जी-20 शिखर सम्मेलन की कार्यवाही और मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों व नागरिक समाजों के बीच पूर वर्ष आयोजित होने वाली बैठकों का समापन होगा. इस वर्ष 30 नवंबर को भारत की अध्यक्षता समाप्त हो जायेगी और समूह के दूसरे सदस्य को इसकी मेजबानी सौंप दी जायेगी. वर्ष 2024 में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता ब्राजील करेगा.
2022
17वां जी-20 शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया में आयोजित हुआ था. सम्मेलन के लिए इंडोनेशिया ने ‘रिकवर टुगेदर, रिकवर स्ट्रॉन्गर’ विषय का चुनाव किया था. यह विषय कोविड-19 महामारी से मजबूती और समग्रता से वैश्विक स्तर पर बाहर निकलने के तरीके को दर्शाता है. अध्यक्षता के दौरान तीन मुख्य बिंदुओं की पहचान की गयी थी- वैश्विक स्वास्थ्य संरचना (ग्लोबल हेल्थ आर्किटेक्चर), डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और सस्टेनेबल एनर्जी ट्रांजिशंस.
2021
16वें शिखर सम्मेलन का आयोजन इटली की अध्यक्षता में हुआ था. सम्मलेन के लिए इटली ने जिस विषय का चुनाव किया था, वह था ‘पीपल, प्लैनेट, प्रॉस्पेरिटी.’ यह विषय मुख्य रूप से चार बिंदुओं- रिकवरी फ्रॉम द पैंडेमिक एंड ग्लोबल हेल्थ, इकोनॉमिक रिकवरी एंड रिसिलिएंस, क्लाइमेट चेंज और सस्टनेबल डेवलपमेंट व फूड सिक्योरिटी पर केंद्रित था.
2020
15वां शिखर सम्मेलन एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन था, जिसकी मेजबानी सऊदी अरब ने की थी. इसका थीम था ‘रियलाइजिंग ऑपरच्युनिटी ऑफ द 21 फर्स्ट सेंचुरी फॉर ऑल.’ इस सम्मेलन के दौरान जी-20 के नेताओं ने वैश्विक कार्रवाई, एकजुटता और बहुपक्षीय सहयोग के संबंध में धरती की सुरक्षा और नयी सीमाएं बनाने के लिए समन्वय करने के लिए प्रतिबद्धता जतायी. साथ ही, कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए मिलकर काम करने, विकास को बढ़ावा देने एवं अधिक समावेशी, सतत और लचीले भविष्य बनाने के लिए भी प्रतिबद्धता व्यक्त की.
2019
इस वर्ष शिखर सम्मेलन की मेजबानी पहली बार जापान ने की थी. सम्मेलन में प्रमुख देशों के नेता समान आधार की पहचान करने और विश्व अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रमुख मुद्दों से संयुक्त रूप से निपटने के लिए एकत्र हुए थे.
2018
इस वर्ष शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता अर्जेंटीना ने की थी. इस सम्मेलन का थीम था ‘बिल्डिंग कन्सेंशस फॉर फेयर एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट.’ सम्मेलन में निर्धारित प्राथमिकताएं थीं- कार्य का भविष्य, विकास के लिए अवसंरचना तथा एक स्थायी खाद्य भविष्य.
2017
‘शेपिंग एन इंटरकनेक्टेड वर्ल्ड’ थीम के साथ जर्मनी में आयोजित इस शिखर सम्मेलन के प्रमुख मुद्दों में वास्तविक बहुपक्षीय सहयोग को प्राथमिकता देना और इसके लिए मार्ग प्रशस्त करना था.
2016
11वां शिखर सम्मेलन चीन में आयोजित किया गया था, जिसका विषय ‘एक अभिनव, सक्रिय, परस्पर और समावेशी विश्व अर्थव्यवस्था की ओर’ था. सम्मेलन में प्रतिभागियों के बीच विकास के लिए नये मार्ग प्रशस्त करने, अधिक प्रभावी और कुशल वैश्विक आर्थिक व वित्तीय शासन, मजबूत अंतरराष्ट्रीय व्यापार व निवेश और समावेशी व परस्पर विकास पर विचार-विमर्श किया गया.
2015
इस वर्ष तुर्किये ने जी-20 की अध्यक्षता की थी. इस सम्मेलन में पहली बार प्रवासन और शरणार्थी संकट पर ध्यान दिया गया. इसके साथ ही, सम्मेलन में वित्तीय क्षेत्र में और सुधारों तथा वैश्विक जलवायु समझौते पर भी चर्चा हुई.