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National Sports Day: कई खिलाड़ियों ने किया कोयलांचल का नाम रोशन, अब सुबह-शाम नहीं भरे होते हैं खेल के मैदान

एक समय था, जब कोयलांचल के मैदानों में सुबह-शाम युवक विभिन्न तरह के खेलों की प्रैक्टिस किया करते थे. स्कूल व कॉलेज की टीम भी खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी. कोयलांचल में 60 से लेकर 90 के दशक तक खेल कूद के प्रति युवाओं में उत्साह था. 60 से 80 के दशक में बेरमो में कई नामी गिरामी फुटबॉल खिलाड़ी हुए.

बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : राष्ट्रीय खेल का इतिहास 29 अगस्त 1905 से जुड़ा है. जब ध्यानचंद नाम का लड़का उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में एक परिवार में पैदा हुआ था. ध्यानचंद ने 1928, 1932, और 1936 में हॉकी के क्षेत्र में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक अर्जित किया. गेंद पर नियंत्रण की कला में महारत के लिए उन्हें विजार्ड कहा जाता था. उन्होंने 1948 में अपने अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेले. इस दौरान 400 से अधिक गोल किए. भारत सरकार ने 1956 में भारत के तीसरे उच्चतम सम्मान पद्मभूषण के साथ ध्यानचंद को सम्मानित किया इसलिए उनका जन्मदिन 29 अगस्त भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

कोयलांचल में फुटबॉल खेल के प्रति घटी है रुचि

एक समय था, जब बेरमो कोयलांचल के मैदानों में सुबह-शाम युवक विभिन्न तरह के खेलों की प्रैक्टिस किया करते थे. स्कूल व कॉलेज की टीम भी खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थी. कोयलांचल में 60 से लेकर 90 के दशक तक खेल कूद के प्रति युवाओं में उत्साह था. पहले कोयलांचल का संडे बाजार, करगली, बोकारो थर्मल, कथारा, गोमिया, चंद्रपुरा थर्मल स्थित मैदान फुटबॉल के लिए प्रसिद्ध थे. कोयलांचल के कई खिलाड़ियों ने खेल की बदौलत देश का सार्वजनिक प्रतिष्ठान कोल इंडिया, डीवीसी, रेलवे के अलावा टाटा व आईईएल में नौकरी पाई. 90 के दशक के बाद तो स्पोर्ट्स का वातावरण ही लुप्त हो गया.

कई नामी खिलाड़ी हुए कोयलांचल में

70 के दशक में पूर्व संडे बाजार फुटबॉल मैदान में एक्सवेषण व टाउन क्लब के बीच रोमांचक फुटबॉल मैच हुआ करता था. यहां एक एंप्लॉयज संघ भी था. जिसमें कोल इंडिया के कर्मियों के बच्चे फुटबॉल खेला करते थे. इसके अलावा युवा क्लब व किशोर क्लब था. कोल इंडिया के सौजन्य से हर साल फुटबॉल टूर्नामेंट भी हुआ करता था. मैच देखने के लिए कोयला मजदूरों को सेकंड हाफ में छुट्टी दे दी जाती थी. 60 से 80 के दशक में बेरमो में कई नामी गिरामी फुटबॉल खिलाड़ी हुए.

उनमें प्रशांतो नाहा, जॉन इब्राहिम उर्फ बबलू दा, सुरोजित घोष, सुनील बनर्जी, रामकुमार, जॉन, जॉय, पी मैन्युअल, तुषार कांति घोष उर्फ टुसू दा, शहाबुद्दीन खान, रामदेव मुंडा, सुकुमार दा, मिंटा दा, सहदेव, मीर हुसैन, आदित्य कामता सिंह, साइमन किडर, मार्टिन लेनी दा, गोविंद दा, पाचू दा, संतोष, टुबू, मानस सेनगुप्ता, शमीम, सपन मुखर्जी, तारकेश्वर महतो, सरयू गुप्ता, गोपाल, अरविंद सिंह श्यामल चक्रवर्ती, सोनवार हुसैन, मो जानी, दिलीप, संजय, नसीम मो मुनीफ, जावेद, लाला, चोकू दा समेत कई लोग शामिल थे. संडे बाजार के प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी साहनी शहाबुद्दीन खान को दर्शन बजरंगबली का कर मैदान के बाहर से हौसला अफजाई करते थे. कामता सिंह जब गेंद लेकर दौड़ते थे, तो उन्हें कोई पकड़ नहीं पाता था. शहाबुद्दीन ने खेल की बदौलत धनबाद रेलवे में नौकरी पाई तो तुषार कांति घोष, पाचू दा, सरदार लैना सिंह ने कोल इंडिया और चर्चित एथलीट मानस सेनगुप्ता ने डीवीसी में नौकरी हासिल की. इसके अलावा नाडू दा, पी जॉर्ज, विश्वास दा, संतोष, गाजा दा, मिंटा दा, कालिया दा, द्वारिका, असगर, अघनू, अनिल दास ने भी खेल की बदौलत कोल इंडिया, रेलवे, डीवीसी, टाटा व आईईएल में नौकरी पाई.

जूनियर पेले के नाम से मशहूर थे रामदेव मुंडा

संडेबाजार डब्लूडी निवासी रामदेव मुंडा जूनियर पेले के नाम से मशहूर थे. संडेबाजार फुटबॉल ग्राउंड में रामदेव मुंडा का फुटबॉल के साथ पैरों का जादू देखते ही बनता था. उस वक्त फुटबॉल के तीन सुपरस्टार रामदेव मुंडा, शहाबुद्दीन वी तुषार कांति घोष उर्फ टुसू दा थे.

चर्चित स्पोर्ट्समैन थे मानस सेनगुप्ता उर्फ मैना दा

संडे बाजार निवासी मानस सेनगुप्ता 70, 80 के दशक में चर्चित स्पोर्ट्समैन थे. 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर के अलावा रिले रेस में उनके सामने कोई भी नहीं टिक पाता था. सरदार लैना सिंह का साइकिल रेस देखने के लिए मैदान में काफी भीड़ जुटती थी. उन्हें कोल इंडिया में नौकरी मिली. कोयलांचल के चर्चित फुटबॉल खिलाड़ी मिंटा दा कोलकाता के एक बड़े क्लब के लिए खेलते थे. चंद्रपुरा के सौनबारी हुसैन मोहम्मडन स्पोर्टिंग के लिए खेलते थे. करगली घुटियाटांड़ निवासी शमीम व नसीम मोहम्मडन स्पोर्टिंग के अलावा बिहार के लिए भी खेले. श्यामल चक्रवर्ती टीम के स्टार खिलाड़ी थे. 70 के दशक में देश के चर्चित फुटबॉल क्लब कोलकाता ईस्टर्न रेलवे के खिलाड़ी पीके बैनर्जी तथा मोहन बागान के बलराम के अलावा चुनी गोस्वामी भी संडे बाजार फुटबॉल मैदान में खेल चुके हैं. कथारा में जॉर्ज मेमोरियल व नरहरि के नाम से चर्चित फुटबॉल टूर्नामेंट हुआ करता था.

बालू दा चर्चित क्रिकेटर तो भरत रवानी रहे मशहूर शतरंज खिलाड़ी

बेरमो में चर्चित क्रिकेटरों में बालू दा का काफी नाम था. इसके अलावा अरुण बनर्जी. सोनू दा, सेन दा, अशोक काश्मीर, के रुद्रा, निर्मल सिंह, भूषण, दिलीप शर्मा, स्वप्न मुखर्जी, संडे बाजार के चटर्जी बंधु, पी छत्रा, प्रबीर शर्मा, विनोद सिंह, मनोज अम्बष्ट, रणजीत सिंह, देवीदास, मनोज सिन्हा भी बेहतरीन क्रिकेटर थे. वही, शतरंज में बेरमो के चार नंबर निवासी व सीसीएल कथारा एरिया में कार्यरत भरत रवानी काफी चर्चित खिलाड़ी रहे. इन्होंने शतरंज में कई दफा सीसीएल की ओर से कोल इंडिया स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया.

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