बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाना काफी मुश्किल है. एक युवा के तौर पर किसी भी फिल्म या फिर सीरियल में काम पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे में रांची स्थित टाटी सिलवे गांव के निवासी ओम प्रकाश मिश्रा ने अपनी मेहनत से झारखंड का नाम रोशन किया. उन्होंने हिंदी फिल्मों में एक से बढ़कर एक पॉपुलर किरदार निभाये, जिसे दर्शकों ने काफी ज्यादा पसंद किया.
ओम प्रकाश मिश्रा को शुरू से ही अभिनय और संगीत का काफी ज्यादा शौक था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक पाठशाला अपने पिताजी श्री धनञ्जय मिश्रा से ली. ओम प्रकाश को मुंबई जाकर फिल्मों में काम करने की हार्दिक इच्छा थी, लेकिन मुंबई इनके लिए दूर ही नहीं बल्कि एक अंधे खाई की तरह थी. न कोई जानपहचान न रहने का कोई ठौर ठिकाना, हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की. उनका मानना है कि जो अपने सपनों को पूरा करने का ठान लेता है, उसके लिए मंजिल के दरवाजे खुल ही जाते है.
उन दिनों रांची के एक निर्माता, निर्देशक सौरभ किशोर डॉक्यूमेंट्री फिल्म “गुमनाम कुर्बानियां” का निर्माण कर रहे थे, उन्हें ग्रामीण क्षेत्र में कुछ असामाजिक तत्वों का सामना करना पड़ रहा था, तभी वहां के लोगों ने उन्हें ओम प्रकाश से बात करने की सलाह दी, जिसके बाद सौरभ ओम के पास पहुंचे, फिर उन्होंने ओम प्रकाश का व्यक्तित्व देखकर उन्हें अभिनय का मौका दे डाला. इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म से अभिनय की शुरुआत करने वाले ओम ने आखिरकार वर्ष 1998 में मुंबई की सरजमी में अपने पांव रखी. यहां शुरू हुई इनकी फिल्मों में काम पाने की जोरदार संघर्ष की कहानी.
इस दौरान ओम प्रकाश मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के जाने माने निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा, बीआर चोपड़ा, महेश भट्ट, राकेश रौशन, मुकेश दुग्गल, देवानंद, विमल रॉय जैसे कई लोगों से मिले. हालांकि सभी उनसे एक ही सवाल पूछते थे कि आपने पहले क्या किया है. कुछ वर्षों की मेहनत के बाद मशहूर फ़िल्मकार केसी बोकाडिया और जाने माने निर्देशक टीएलवी प्रसाद उन-दिनों धर्मेन्द्र और मिथुन चक्रवर्ती को लेकर “सुल्तान” नाम की फिल्म बना रहे थे. इसी मूवी के लिए ओम प्रकाश को सेलेक्ट कर लिया गया. इस तरह मुंबई में उन्हें पहला काम मिला. इस फिल्म में उन्होंने मशहूर हास्य अभिनेता टिकू तलसानिया के साथ सीआईडी इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई.
फिल्म में ओम प्रकाश की एक्टिंग को सभी ने काफी ज्यादा पसंद किया. जिसके बाद निर्देशक टी एल वी प्रसाद ने उन्हें दोबारा मौका दिया. मिथुन चक्रवर्ती की एक और फिल्म ‘कैदी’ में ओम ने जूनियर जौनी लीवर और राजू श्रीवास्तव के साथ काम किया. इस फिल्म की लोकप्रियता के बाद शाहरुख़ खान की फिल्म “ये लम्हे जुदाई के” में उन्होंने दीपक परासर के साथ पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई. गोविंदा और तुशार कपूर सरद सक्सेना के साथ सीएम, जेलर, पुलिस इंस्पेक्टर और कैदी, एक साथ चार तरह की भूमिका उन्होंने अदा की है.
इसी तरह गोलमाल रिटर्न में ओम प्रकाश ने करीना कपूर और अजय देवगन के पड़ोसी की भूमिका निभाई. फिल्म ‘राज ही राज’ में ओम ने अनिल नागरथ, अमृत पाल अली खान और राकेश पाण्डेय के साथ सशक्त वकील का किरदार निभाया. वर्ष 2021 में नितिन मनमोहन देसाई की फिल्म ‘सब कुशल मंगल’ में ओमप्रकाश को अक्षय खन्ना सतीश कौशिक और राकेश वेदी के साथ काम करने का मौका मिला. आने वाली नई फिल्म “द पवार ऑफ़ आयुर्वेदम” में ओम बतौर नायक और मुख्य खलनायक के रूप में अली खान नजर आएंगे.
हिंदी फीचर फिल्मों के अलावा उन्होंने अब तक तीन भोजपुरी फिल्मों में भी काम किया है, ये तीनों फिल्में सुपरहिट रही और ओमप्रकाश के काम को काफी सराहा गया. इन फ़िल्मों में पहली फिल्म ‘काशी अमरनाथ’ में उन्होंने रवि किशन, दिनेश लाल निराहुआ और सुशील सिंह के साथ काम किया. बी4यू चैनल के तले बनी फिल्म कुवरी कन्या में ओम ने गुंजन सिंह के पिता का किरदार निभाया, जबकि इसी चैनल की फिल्म ‘हमरी लक्ष्मी बिटिया’ में काजल राघवानी के पिता की भूमिका में नजर आये. अब तक उन्होंने जिन फ़िल्मों में काम किया है उनमे फिल्म सुल्तान, कैदी, ये लम्हे जुदाई के, गोलमाल रिटर्न, रन भोला रन, राज ही राज,रनवे, एक से मेरा क्या होगा, सब कुशल मंगल, द पवार ऑफ़ आयुर्वेदम, कांशी अमरनाथ दिल सच्चा चेहरा झूठा, कुवरी कन्या और लक्ष्मी बिटिया, एके 47, फेयरी फ्राइडे जैसी फिल्मे शामिल है.
फ़िल्मों के अलावा ओमप्रकाश ने कई सिरयलों और टेली फ़िल्मों में भी काम किया. जिसमे मोहनीश बहल के साथ सीरियल संजीवनी, अप्रा मेहता के साथ वो हुए न हमारे, उपासना सिंह के साथ लेडी इंस्पेक्टर, जूही परमार के साथ कुमकुम, एकता कपूर और स्मृति ईरानी निर्मित सीरियल थोड़ी सी जमी थोडा आसमा, स्टार प्लस में प्रसारित सीरियल मेरी डोली तेरे आंगन, आक्रोश और कहानी किस्मत की जैसी कई सीरियलों में काम किया.