रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह के निर्देश पर बीएयू स्टूडेंट कांउसेलिंग एवं प्लेसमेंट सेल के सौजन्य से प्लेसमेंट कार्यक्रम एवं विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसके तहत मंगलवार को कृषि संकाय के आरएसी सभागार में ‘डेयरी उद्योग क्षेत्र में रोजगार के अवसर’ विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया. व्याख्यान में बानस डेयरी (अमूल) ओडिशा एवं झारखंड के विशेष कार्य पदाधिकारी (क्रय) जेएन पटेल ने बताया कि पूरे विश्व में भारत का डेयरी व्यवसाय क्षेत्र सबसे बड़ा है. बानस डेयरी (अमूल) एशिया का सबसे बड़ा डेयरी उद्योग है, जो देश के 8 राज्यों से जुड़ा है और प्रतिदिन करीब 90 लाख लीटर दूध एवं अन्य दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति करता है. इससे देश के 60 हजार गांव तथा करीब 50 लाख कृषक जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि डेयरी उद्योग में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं.
बानस डेयरी का दूसरा प्लांट हजारीबाग में लगेगा
जेएन पटेल ने कहा कि कंपनी अपडेट तकनीक के सुधारात्मक प्रयासों को आगे बढ़ा रही है. झारखंड में बानस डेयरी (अमूल) अपना दूसरा प्लांट हजारीबाग में स्थापित करने जा रही है. डेयरी उद्योग क्षेत्र में कृषि, कृषि प्रबंधन, कृषि अभियांत्रिकी, वेटनरी एवं डेयरी टेक्नोलॉजी विषयों के स्नातकों की जरूरत होती है. रिक्तियों को कंपनी की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाता है. कंपनी को ईमानदार, मेहनती एवं तकनीकी दक्ष छात्रों की जरूरत है. उन्होंने बीएयू के छात्रों के तकनीकी अभिवर्धन के लिए लखनऊ एवं गुजरात के डेयरी प्लांट का शैक्षणिक भ्रमण के आयोजन करने की बात कही.
एग्रीकल्चर ग्रेजुएट के लिए जल्द प्लेसमेंट कैंपेन
बानस डेयरी कंपनी के पदाधिकारी जेएन पटेल ने बताया कि कंपनी द्वारा सोमवार को विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट अभियान चलाया गया. इस अभियान में कृषि एवं कृषि प्रबंधन विषयों के छात्र शामिल हुए. छात्रों का फील्ड सुपरवाइजर पद के लिए चयन किया गया है, जिसके परिणाम जल्द जारी किये जायेंगे. कंपनी शीघ्र ही फ्रेश एग्रीकल्चर ग्रेजुएट के लिए प्लेसमेंट अभियान आयोजित करेगी.
डेयरी उद्योग का ऐसे होता है सफल संचालन
कार्यकारी सहायक मुक्ति प्रसाद ने बताया कि इस उद्योग का सफल संचालन एक विस्तृत एवं मजबूत दल की श्रृंखला के माध्यम से होती है. इस व्यवसाय में कृषि प्रबंधन, पशु चिकित्सा और पशु पोषण, खाद्य प्रसंस्करण, खाद्य प्रौद्योगिकी, गुणवत्ता नियंत्रण विशेषज्ञ, पैकेजिंग विशेषज्ञ, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, विपणन और बिक्री जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता वाले व्यक्ति और इंजीनियर और तकनीशियन की आवश्यकता होती है.
इन्होंने भी किया संबोधित
मौके पर डीन एग्रीकल्चर डॉ डीके शाही ने डेयरी उद्योग को नियमित आय का स्रोत बताया. जो आय के जोखिम को कम करता है. उन्होंने कहा कि कृषि एवं संबद्ध विषयों के छात्र डेयरी फार्म स्थापित कर डेयरी फार्म प्रबंधक के रूप में सफल उद्यम अपना सकते हैं. इस अवसर पर डीएसडब्लू डॉ बीके अग्रवाल एवं एसोसिएट डीन (एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग) ई डीके रुसिया ने भी अपने विचारों से छात्रों को अवगत कराया.
ये थे मौजूद
कार्यक्रम का संचालन स्टूडेंट कांउसेलिंग एवं प्लेसमेंट सेल के यूनिवर्सिटी को-ऑर्डिनेटर डॉ बीके झा ने किया. डॉ झा ने बानस डेयरी (अमूल) के माध्यम से सफल प्लेसमेंट अभियान तथा रोजगारपरक व्याख्यान के लिए आभार जताया. मौके पर डॉ मिंटू जॉब, डॉ एमके वर्णवाल के अलावा कृषि महाविद्यालय के प्रथम सेमेस्टर के छात्र-छात्राएं मौजूद थे.