20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रदूषण से घटती उम्र

भारत में सबसे बुरा हाल उत्तरी राज्यों का है, जहां देश की 38 प्रतिशत से अधिक आबादी रहती है. प्रदूषण को वर्तमान हालत के हिसाब से इस क्षेत्र के हर निवासी की उम्र औसतन आठ वर्ष कम हो जा रही है.

भारत में वायु प्रदूषण की खबर नियमित सी बन गयी है. दिल्ली में हर वर्ष के आखिरी महीनों में इसकी चर्चा होती है. राजधानी होने और मीडिया के यहां केंद्रित होने की वजह से यहां के प्रदूषण की कुछ हफ्तों तक खूब चर्चा होती है. फिर लोग अपनी जिंदगी में व्यस्त हो जाते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि प्रदूषण की रोकथाम के प्रयास नहीं हो रहे. धुआं फैलाने वाले वाहनों और उद्योगों को लेकर बहुत गंभीरता से कार्रवाई हुई है. हरित क्षेत्रों को लेकर भी जागरुकता और सजगता बढ़ी है. लेकिन, प्रदूषण को लेकर अभी भी वैसी जल्दीबाजी नहीं दिखाई देती. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि हवा कितनी भी प्रदूषित क्यों न हो, अधिकतर लोगों का काम-धंधा चल ही जाता है. लेकिन शायद लोगों को पता नहीं कि इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है.

अमेरिका की प्रतिष्ठित शिकागो यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण की वजह से हर दिल्लीवासी की जिंदगी औसतन 11.9, यानी लगभग 12 वर्ष कम हो जा रही है. अर्थात प्रदूषण नहीं हो, तो दिल्लीवासी और 12 साल तक जी सकते हैं. हालांकि, प्रदूषण और लोगों की आयु के संपर्क से संबंधित यह रिपोर्ट केवल दिल्ली के बारे में नहीं है. इसमें दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर प्रदूषण की स्थिति का अध्ययन किया गया है.

Also Read: तनाव से बचें सुरक्षाकर्मी

रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में सबसे गंभीर स्थिति छह देशों में है. इनमें भारत से बुरी स्थिति केवल बांग्लादेश की है. वहां प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत जिंदगी 6.8 वर्ष कम हो गयी है. भारत में लोगों का औसत जीवन 5.3 वर्ष कम हो गया है. भारत में सबसे बुरा हाल उत्तरी राज्यों का है, जहां देश की 38.9 प्रतिशत आबादी रहती है. रिपोर्ट का कहना है कि प्रदूषण की वर्तमान हालत के हिसाब से इस क्षेत्र के हर निवासी की उम्र औसतन आठ वर्ष कम हो जा रही है.

प्रदेशों में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा हैं. दिल्ली और इससे सटे इलाकों में नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद का है. सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के लखनऊ, प्रयागराज और जौनपुर, तो बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर जैसे शहरों के नाम भी शामिल हैं. प्रदूषित हवा में सांस लेने का सबसे गंभीर असर बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों पर पड़ता है. मेडिकल जर्नल लांसेट की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 2019 में भारत में कुल मौतों में 17.8 प्रतिशत मौतों का कारण प्रदूषण था. शिकागो यूनिवर्सिटी की ताजा रिपोर्ट एक बार फिर बताती है कि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाना बहुत जरूरी हो चुका है.

Also Read: क्रिप्टोकरेंसी का नियमन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें