झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने आवासीय प्लॉट का व्यावसायिक उपयोग करनेवालों का आवंटन रद्द करने का निर्णय लिया है. बोर्ड के फैसले के बाद बुधवार को जब प्रभात खबर की टीम ने हरमू आवास बोर्ड के आवासीय और भूखंडों का जायजा लिया, तो पाया कि इस क्षेत्र के हर दूसरे-तीसरे प्लॉट-आवासों का व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है.
पटेल चौक और उस रास्ते में जितने भी आवासीय भवन हैं, उनका भी व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है. इन आवास में क्लिनिक, ड्राइक्लीन, राशन, हार्डवेयर, मार्बल, मिठाई और फास्ट फूड की दुकानें खोल दी गयी हैं. पुराना आवास बोर्ड कार्यालय जाने के मार्ग में भी आवासों का कॉमर्शियल इस्तेमाल हो रहा है. हरमू चौक से भाजपा कार्यालय के पास तक जितने भी आवास और प्लॉट हैं, लगभग सभी का व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है. भवन मालिक आवास को व्यावसायिक रूप देकर मोटी रकम कमा रहे हैं.
हरमू में आवास बोर्ड के हाई इनकम ग्रुप (एचआइजी), मीडियम इनकम ग्रुप, लोअर इनकम ग्रुप और इकोनॉमिक वीकर सेक्शन (इडब्लूएस) के आवास हैं. प्लॉट भी आवंटित किये गये हैं. आवंटन के समय स्पष्ट किया गया था कि इसका व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं करना है. पर शर्तों के इतर भवन मालिकों ने दुकानों-मॉल का निर्माण करा दिया है. बड़े-बड़े शोरूम चल रहे हैं. अधिकतर भवन मालिकों ने दुकानों को किराये पर लगा दिया है.
हरमू पावर हाउस के बाद जितने आवास-प्लॉट आवंटित किये गये हैं, उनका इस्तेमाल दुकान या शॉपिंग कांप्लेक्स के रूप में हो रहा है. सड़क किनारे दुकानों से मोटा किराया वसूला जा रहा है. सहजानंद चौक के पास भी आवासीय भूखंड पर दो से तीन मंजिला कांप्लेक्स तैयार कर दुकान आवंटित कर दिया गया है. एक नजर में कहें, तो हर तीसरे घर और प्लॉट का व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है.
सड़क किनारे स्थित आवासीय भवन का ही नहीं, बल्कि गली-गली में आवंटित आवासीय भवन का उपयोग व्यावसायिक रूप में किया जा रहा है. आवास के खाली भू-भाग (आवास बोर्ड के नियम के अनुसार खाली रखना है) में भवन मालिकों ने दुकानें बना दी हैं, जिसमें एटीएम, दवाई दुकान, क्लिनिक और राशन दुकानें चल रही हैं.