UPPCS J 2022 Result: उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा-2022 के सफल अभ्यर्थियों के घर बधाई देने वालों की भीड़ जुटी है. इनमें से कई मेधावियों ने परिवार की विषम परिस्थितियों के बावजूद ये कामयाबी हासिल की है और दूसरों के लिए मिसाल बने हैं. इस बार 55 प्रतिशत पदों पर बेटियों ने कामयाबी हासिल की है.
मेधावियों ने सफल होने के लिए कुछ अहम बातों को सभी अभ्यर्थियों के लिए बेहद जरूरी बताया है, उनका कहना है कि इनके जरिए अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश सहित देश किसी भी हिस्से में आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.
एक अंक से दो जगह चयन रुकने के बाद निशी ने किया टॉप
कानपुर की बेटी निशी गुप्ता ने पीसीएस-जे की परीक्षा टॉप कर लड़कियों को लक्ष्य साधते हुए आगे बढ़ने की बात कही है. खास बात है कि निशी गुप्ता ने पहले प्रयास में ही परीक्षा को टाॅप किया है. निशी ने बताया कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. पहली रैंक प्राप्त करना अप्रत्याशित था. लेकिन, मुझे यकीन था कि मैं परीक्षा पास कर लूंगी. मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षकों और दोस्तों को देना चाहती हूं, जिन्होंने इस दौरान मेरा साथ दिया.
निशी ने राजस्थान पीसीएस-जे और मध्य प्रदेश पीसीएस-जे भी दिया था. दोनों जगह एक-एक अंक से चयन रुक गया था. लेकिन, इस बार उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. उनके पिता व्यापारी हैं, वहीं बड़ी बहन और भाई इंजीनियर हैं. परिवार में अभी तक कोई न्यायिक सेवा में नहीं है. निशी अपने परिवार की पहली जज बन गई है.
निशी ने 10वीं व 12वीं की पढा़ई फातिमा कांवेंट से की है. उनको 10वीं 77 फीसदी और 12वीं में 92 फीसदी अंक आए थे. निशी कहती हैं कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए-एलएलबी की पढ़ाई की. 2020 में बीए-एलएलबी पास करने के बाद एलएलएम में दाखिला लिया और 2022 में डिग्री पूरी की.
Also Read: Raksha Bandhan 2023: रामलला की कलाई पर सजी बहन शांता और सुभद्रा की राखी, बांकेबिहारी को भेजे गए पत्र
निशी कहती हैं कि अपने सपने काे पूरा करने के लिए काफी मेहनत की. दो बार चयन नहीं होने से थोड़ा निराशा जरूरी हुई. लेकिन, फिर खुद को संभाला और मन लगाकर तैयारी की और सफलता हासिल की. उन्होंने कहा कि लक्ष्य पर ध्यान रखा जाए तो हर राह आसान हो जाती है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को इस मूलमंत्र को नहीं भूलना चाहिए. अगर वह ऐसा करते हैं तो उन्होंने यकीनन सफलता मिलेगी.
निशी के पिता निरंकार गुप्ता कहते हैं कि वह और उनकी पत्नी बहुत अधिक नहीं पढ़े हैं. लेकिन, बच्चों को पढ़ाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी. आज इसका सुखद परिणाम देखने को मिला है. निशी की बड़ी बहन शिवानी गुप्ता और छोटा भाई यश गुप्ता ने आईआईटी मद्रास से इंजीनियरिंग की और अब नौकरी कर रहे हैं.
यूपीपीएससी पीसीएस (जे) परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल करने वाले प्रयागराज के शिशिर यादव कहते हैं कि मैंने 10वीं कक्षा की परीक्षा में अपने दोस्तों की तुलना में कम अंक प्राप्त किए थे. तब मेरे माता-पिता ने मुझे प्रेरित किया और मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में सफल हो गया. मैं हमेशा एक औसत छात्र था. लेकिन, 2018 के बाद मैंने एक दिनचर्या का पालन किया और मेरी रुचि पढ़ाई में बढ़ी. इसके बाद कामयाबी मिली.
लखीमपुर खीरी के बाजपेयी कॉलोनी निवासी 26 वर्षीय शिवाली मिश्रा ने पहले ही प्रयास में पीसीएस-जे की परीक्षा उत्तीर्ण की है, साथ ही टॉप टेन में जगह भी बनाई है. शिवाली ने लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय से एलएलबी करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलएम में एडमिशन लिया था, साथ ही कोर्स के साथ-साथ ज्यूडिशियल सर्विस की भी तैयारी शुरु कर दी थी. शिवाली ने 2023 में नेट जेआरएफ की परीक्षा भी पास की है. कहा कि लोगों के साथ सही इंसाफ करूं यही प्राथमिकता है. कहा कि ड्यूटी जॉइन करने के साथ ही वह अपनी पढ़ाई भी जारी रखेंगी.
मूलरूप से चंदौसी निवासी डाॅ. शिल्पी गुप्ता ने पीसीएस जे में 144रैंक प्राप्त की है. वर्ष 2014 से आईएफटीएम में पढ़ा रही हैं. वह विवि परिसर रहतीं हैं। डाॅ. शिल्पी आईएफटीएम में विधि विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उन्होंने बताया कि पिता वेद प्रकाश गुप्ता का सपना था कि मैं न्यायिक सेवा में जाऊं. मेरे पिताजी चंदौसी के वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर थे. यह मेरा दूसरा प्रयास था. इससे पहले वर्ष 2018 में में साक्षात्कार तक पहुंची थी. डॉ. शिल्पी ने बताया कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को पढ़ाते हुए उन्होंने स्वाध्याय किया. वर्ष 2010 में पिता और माता कमला गुप्ता का निधन हुआ था. इसके बाद भाई, भाभी और बहन ने हर कदम पर प्रोत्साहित किया. अब मेरा सपना है कि पीड़ितों को त्वरित न्याय दिला पाऊं.
मेधावियों के मुताबिक टॉपर बनने के लिए सिर्फ खास तरीके से पढ़ाई करना ही जरूरी नहीं है. इसके लिए अपनी कुछ आदतों और लाइफस्टाइल को बदलना भी जरूरी है. जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं में टॉप कर चुके हैं, उनके इंटरव्यू देख-सुन कर काफी कुछ जाना-समझा जा सकता है. प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के लिए एक खास स्ट्रैटेजी बनाना जरूरी है. नियमित शेड्यूल और हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ आप भी टॉपर बन सकते हैं
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को पहले अपनी किताबों का चयन सोच समझ कर करना चाहिये. सही किताबें आपको प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब के लिए बेहतर तरीके से तैयार करती हैं. किताबों के चुनाव से पहले परीक्षा का लेवल, अपना लेवल और एग्जाम होने में कितना टाइम बचा है, इत्यादि बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिये.
छात्रों को अपनी किताबों में दिये गये कॉन्सेप्ट्स समझ कर सवालों का अभ्यास करना भी बहुत जरूरी होता हैं. लेकिन, उससे भी ज्यादा जरूरी है निरंतर अभ्यास करना और ये सिर्फ टाइम टेबल बनाकर पढ़ने पर ही संभव हो सकेगा. टाइम टेबल बनाना या रोज का टारगेट अपनी क्षमता और होने वाली परीक्षा के अनुसार होना चाहिये.
आजकल किताबों का बाजार तरह–तरह के शोर्ट नोट्स, कुंजी आदि से भरा पड़ा है. इनमें से सिर्फ कुछ किताबे ही काम की होती हैं और ज्यादतर किताबें दूसरी किताबों का कंपाइलेशन होती हैं. इसलिए बाजार में मिलने वाले शोर्ट नोट्स पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिये. आपको चैप्टर पढ़ने के दौरान ही शोर्ट नोट्स बनाना चाहिये जिसे आसानी से कम समय में दोहराया जा सके. अक्सर ज्यादातर छात्र बहुत बड़े-बड़े नोट्स बनाते हैं, कुछ तो एक चैप्टर के हर पॉइंट को नोट्स में कवर करने के लिये पूरी कॉपी भर देते हैं. इस तरह के नोट्स से ज्यादा मदद नहीं मिलती है. नोट्स बनाते समय कम से कम शब्दों का इस्तेमाल करके ज्यादा से ज्यादा इन्फार्मेशन देना चाहिये. जहां जरूरत हों वहा स्पेशल सिंबल और की-वर्ड्स का इस्तेमाल करना चाहिए.
आपके अन्दर आत्मविश्वास तभी आएगा, जब आप रोज सवालों से जूझेंगे, केवल निरंतर अभ्यास के बाद ही आप परीक्षा वाले दिन के लिये पूरी तरह तैयार होंगे. इस बात को गांठ बांध लें की अगर आप पेन पेपर से सवालों का अभ्यास नहीं कर रहे तो आप परीक्षा वाले दिन अपनी क्षमता अनुसार परिणाम नहीं पा सकते. अगर परीक्षा होने में दो महीनें का समय बचा हैं तो ये बहुत जरूरी हैं की रोज विषय के रिवीजन के साथ फुल-लेंथ टेस्ट पेपर सॉल्व करें. जब आप बहुत सारे प्रैक्टिस पेपर साल्व करेंगे तब आपको परीक्षा में सफल होने का कॉन्फिडेंस अन्दर से महसूस होगा.
आपने प्रतियोगी परीक्षा की साल भर तैयारी की पर परीक्षा वाले दिन आपकी तबियत खराब हो गई तो आप अपना शत प्रतिशत नहीं दे पायंगे. इसलिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के दौरान योग, व्यायाम और संतुलित अहार लेने को कहा जाता है. पढ़ाई करते समय बीच-बीच में ब्रेक जरूर लेना चाहिये जिससे आप स्ट्रेस फ्री रहकर पढाई कर सके. देर रात तक जागकर पढ़ने से बचना चाहिये इससे याददाश्त कमजोर होती है. सुबह की पढ़ाई सबसे ज्यादा बेहतर मानी जाती है.
क्लास में जब टीचर समझा रहे हों तो पूरे ध्यान से कांसेप्ट को समझने की कोशिश करें, नहीं तो इस एक घंटे या 45 मिनट की क्लास में जो आप समय बर्बाद करेंगे, वह बाद में आपको भारी पड़ेगा. इसे समझने के लिए आपको अतिरिक्त वक्त देना होगा, जो आपका ही नुकसान होगा, क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने की पहली शर्त समय के साथ चलना है.
-
टॉपर बनने के लिए अपनी परीक्षा से जुड़ी हर जानकारी जुटाना जरूरी है. आपको एग्जाम का सिलेबस, पैटर्न, मार्किंग स्कीम आदि की जानकारी होनी चाहिए. इसके बाद तय करें कि आपको कौन सा काम कब और कैसे करना है. इसके लिए पहले से प्लानिंग बनाना जरूरी है.
-
टॉपर्स कभी भी मल्टीटास्किंग नहीं करते हैं. एक साथ कई काम करने या कई सब्जेक्ट्स की पढ़ाई करने से शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से थकान होती है. इससे एक चीज पर फोकस कर पाना भी मुश्किल हो जाता है.
-
अगर कोई विषय कठिन लग रहा है तो उसे छोड़कर आगे मत बढ़ें. उसे समझने की कोशिश करें, खुद न समझ में आए तो किसी सीनियर या एक्सपर्ट की मदद लें. उस विषय या टॉपिक पर ज्यादा ध्यान दें और उसमें बेस्ट परफॉर्मेंस दें.
-
किसी भी परीक्षा से पहले अपनी प्राथमिकता को समझना जरूरी होता है. जो चीजें पढ़ाई से आपका ध्यान भटकाती हों, उनसे कुछ समय के लिए दूरी बना लें. सोशल मीडिया, फोन, लैपटॉप, रील्स आदि पर ज्यादा ध्यान न दें
-
टॉपर्स हर तरह से परफेक्ट होते हैं. वह पढ़ाई-लिखाई के साथ ही अपनी हेल्थ का भी पूरा ध्यान रखते हैं. उनके लिए उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ, दोनों मायने रखती है. अगर आपकी सेहत सही नहीं होगी तो आप दिमाग होने के बावजूद परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे.