जादवपुर यूनिवर्सिटी के अस्थायी वीसी बुद्धदेव साउ ने कहा कि पिछले शुक्रवार को इसरो से चर्चा के बाद रैगिंग रोकने के लिए किस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है, इस पर चर्चा की गयी है. राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी जादवपुर यूनिवर्सिटी में रैगिंग रोकने के लिए इसरो से तकनीकी मदद मांगी थी. नवनियुक्त अस्थायी कुलपति को इस पर चर्चा करने का जिम्मा भी सौंपा गया था. गौरतलब है कि आज इसरो का प्रतिनिधिमंडल जेयू आने वाला था लेकिन जेयू ने इसरो से 1 सप्ताह बाद आने का अनुरोध किया है. जेयू के सूत्रों के अनुसार कुछ निजी व्यस्तता कारण जेयू ने इसरो से कुछ समय की मोहलत मांगी है.
इसरो का प्रतिनिधिमंडल जब आयेगा तब विश्वविद्यालय परिसर का दौरा करने के साथ-साथ छात्रावास का दौरा भी कर सकता है. यूनिवर्सिटी सूत्रों के मुताबिक, इसरो के प्रतिनिधि मुख्य रूप से यह देखेंगे कि वीडियो एनालिटिक्स, टारगेट फिक्सिंग जैसी तकनीकें जादवपुर में काम करेंगी या नहीं. उस दिन रेडियो फ्रीक्वेंसी के इस्तेमाल पर बैठक हो सकती है. छात्रावास में किस प्रकार की तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, यह समझने के लिए इसरो प्रतिनिधिमंडल छात्रावास का दौरा भी कर सकता है.
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वाइस चांसलर खुद यूनिवर्सिटी में प्रवेश नहीं कर सकते. इस तरह के आरोप सामने आने के बाद शिक्षाविद् अमल मुखोपाध्याय ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की भूमिका पर सवाल उठाया है. उन्होंने टिप्पणी की कि इससे अधिक शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता कि कोई वाइस चांसलर डर के कारण प्रवेश नहीं कर सकता. शिक्षाविद् अमल मुखोपाध्याय ने पूछा कि रवींद्र भारती और रायगंज विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की सार्वजनिक रूप से शिकायत के बाद भी राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री इस संबंध में कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे. परिणामस्वरूप उन्हें भी लगता है कि उच्च शिक्षा को भारी नुकसान हो रहा है. राज्यपाल द्वारा नियुक्त कुलपतियों द्वारा ऐसी शिकायतें उठाये जाने के बाद, संवैधानिक विशेषज्ञ व शिक्षाविद् सवाल उठा रहे हैं.
अमल मुखोपाध्याय ने कहा कि संविधान में ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि राज्यपाल कैबिनेट की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं. लेकिन परंपरा के मुताबिक राज्यपाल ने इसे स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कानून कहता है कि राज्यपाल एक आचार्य होगा, लेकिन यह नहीं बताता कि उसका कार्य क्या है. मामले के चलते हाइकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अंतरिम चांसलर की नियुक्ति केवल आचार्य ही कर सकते हैं. अमल सरकार ने कहा कि जो हो रहा है, वह अनुचित है. शिक्षा मंत्री या मुख्यमंत्री कुलपति को काम करने का आदेश क्यों नहीं दे रहे हैं? ऑर्डर कब आयेगा, यह भी संदिग्ध है कि ऐसा आदेश एक दिन आयेगा भी या नहीं. मैं क्षमाप्रार्थी हूं, इससे अधिक शर्मनाक कुछ भी नहीं हो सकता
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शिक्षाविदों के मुताबिक अगर चांसलर या वाइस चांसलर विश्वविद्यालय नहीं आ पाते हैं, तो कई काम बाधित हो जाते हैं. परिणामस्वरूप, उच्च शिक्षा को नुकसान हो रहा है, लेकिन उन्होंने टिप्पणी की कि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. उन्होंने राज्य सरकार पर असंतोष जताते हुए कहा कि इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है! अपने संगठन को नियंत्रित करने में सरकार असमर्थ है.
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गौरतलब है कि रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के चांसलर शुभ्रकोमल मुखोपाध्याय ने शिकायत की थी कि उनके चेंबर में तृणमूल संगठन के सदस्यों ने बुरा व्यवहार किया है. फिलहाल उन्हें घर से ही काम करना पड़ रहा है. यह भी आरोप है कि उनसे बोतलें फेंकने के लिए भी कहा गया. रायगंज विश्वविद्यालय के चांसलर दीपक कुमार रॉय का दावा है कि उन्हें कार्यभार संभाले अभी सात दिन ही हुए हैं, इसके बावजूद विभिन्न आरोपों को लेकर तृणमूल कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन दोनों की नियुक्ति हाल ही में आचार्य सीवी आनंद बोस ने की थी.
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अम्हर्स्ट स्ट्रीट थाना क्षेत्र के आनंद मोहन कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्र विवेक सिंह के साथ मारपीट करने का आरोप सिटी कॉलेज के छात्र अर्पण विश्वास उर्फ शान पर लगा है. पीड़ित छात्र ने अम्हर्स्ट स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज करायी है. उसने बताया कि वह कॉलेज की यूनियन का नेता है. मंगलवार शाम को जब वह कॉलेज से बाहर निकल रहा था, तभी अर्पण ने अपने कुछ साथियों के साथ उसे पीटा. पुलिस मामले की जांच कर रही है.