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विश्वविद्यालयों में एंटी रैगिंग व्यवस्था को लेकर सरकार ने मांगी रिपोर्ट

रैगिंग विरोधी दस्ते को परिसर के चारों ओर, विशेष रूप से छात्रावासों में निगरानी रखनी होगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसी के साथ रैगिंग तो नहीं की जा रही है. इसके दायरे में रैगिंग की शिकायतों की जांच करना और निष्कर्षों को एंटी-रैगिंग समिति को अग्रेषित करना शामिल है.

पश्चिम बंगाल में उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों से अपने एंटी-रैगिंग तंत्र का विवरण प्रदान करने के लिए एक फॉर्म भरने को कहा है. हाल ही में जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) की घटना के बाद रैगिंग को लेकर ज्यादा सावधानी बरती जा रही है. शिक्षा विभाग की ओर से यह कहा गया है कि विद्यार्थियों से रैगिंग में किसी भी तरह नहीं शामिल होने के संकल्प के साथ डिक्लेरेशन लेना अनिवार्य है. इसे गंभीरता से लिया जाये. सरकार ने विश्वविद्यालयों से एंटी रैगिंग कमेटी और एंटी रैगिंग स्क्वाड के अध्यक्षों और छात्रावास अधीक्षकों के नाम और फोन नंबर मांगे हैं. फोन नंबरों में व्हाट्सएप नंबर शामिल होने चाहिए. उन्हें स्थानीय पुलिस स्टेशनों का विवरण भी उपलब्ध कराने को कहा गया है.

विश्वविद्यालय का रैगिंग विरोधी दस्ता सक्रिय नहीं : कार्यवाहक कुलपति

जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष के एक छात्र की 10 अगस्त को मुख्य छात्रावास में उसके वरिष्ठ छात्रों द्वारा कथित तौर पर रैगिंग के बाद मौत हो गयी थी. जेयू पर यूजीसी के बुनियादी रैगिंग विरोधी मानदंडों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया. शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मौत ने सरकार को सभी परिसरों में तंत्र की उपलब्धता का जायजा लेने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि वे सभी विश्वविद्यालयों के एंटी रैगिंग तंत्र पर एक डेटाबेस रखना चाहते हैं, इसलिए विश्वविद्यालयों से सभी प्रासंगिक विवरण बताते हुए एक फॉर्म भरने को कहा है. हम पुलिस स्टेशन के बारे में जानना चाहते हैं ताकि हम सत्यापित कर सकें कि क्या किसी संस्थान ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार शिकायत प्राप्त होने पर एफआइआर दर्ज की है. जेयू के कार्यवाहक कुलपति बुद्धदेव साउ ने पिछले सप्ताह कहा था कि विश्वविद्यालय का रैगिंग विरोधी दस्ता सक्रिय नहीं है.

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रैगिंग विरोधी दस्ते को छात्रावासों में रखनी होगी निगरानी

रैगिंग विरोधी दस्ते को परिसर के चारों ओर, विशेष रूप से छात्रावासों में निगरानी रखनी होगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसी के साथ रैगिंग तो नहीं की जा रही है. इसके दायरे में रैगिंग की शिकायतों की जांच करना और निष्कर्षों को एंटी-रैगिंग समिति को अग्रेषित करना शामिल है. जेयू के एक अधिकारी ने कहा कि शिकायतें वास्तविक पाये जाने पर कमेटी सजा की मात्रा तय करती है. कमेटी रैगिंग के खिलाफ संवेदीकरण अभियान चलाने के लिए नीतियां भी बनाती है. शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें यह जानना होगा कि विश्वविद्यालयों में रैगिंग विरोधी निकायों के पदाधिकारी कौन हैं. कर्तव्य में लापरवाही के मामले में, जैसा कि जेयू घटना के मामले में प्रतीत होता है, हम तथ्यों की जांच के लिए सीधे पदाधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.

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जेयू में मौत का मामला : तीन छात्रों को आठ तक न्यायिक हिरासत

 जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) के हॉस्टल में गिरने से छात्र की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में गिरफ्तार तीन आरोपियों शेख नसीम अख्तर, हिमांशु कर्मकार और सत्यब्रत रॉय को अलीपुर कोर्ट ने आठ सितंबर तक न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया है. इस दिन अलीपुर कोर्ट के कार्यवाहक एसीजेएम जयंत मुखर्जी ने यह आदेश दिया. इस दिन अदालत में बचाव पक्ष ने कहा कि वे छात्र हैं, उनके करियर को ध्यान में रखा जाये. पुलिस की जांच पूरी हो गयी है, इसके कारण आरोपियों को जमानत दी जाये. इधर, सरकारी वकील सौरीन घोषाल ने आरोपियों की जमानत पर आपत्ति जतायी और कहा कि हर कोई कह रहा है कि वे छात्र हैं. मैं कहता हूं कि वे प्रतिभाशाली छात्र हैं.

पुलिस की जांच रहेगी जारी

एक भयानक अपराध में वे शामिल थे. पुलिस ने घटना की जांच में कई लोगों से पूछताछ के बाद हाथ लगे सबूतों के आधार पर इन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनके द्वारा किया गया अपराध जघन्य है. उनमें से दीपशेखर की लिखावट के नमूने एकत्र किये गये हैं. इसे जांच के लिए भेजा गया है. पुलिस ने उस हॉस्टल के कमरा नंबर 104 से पीड़ित की एक डायरी और उसके घर से एक नोट बुक बरामद किया है. इन्हें परीक्षण के लिए भेजा गया है. वे मेधावी छात्र हैं. लेकिन अभी वे एक जघन्य गुनाह में शामिल हैं. इस कारण इन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाये. अदालत ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद तीनों आरोपियों की न्यायिक हिरासत की अवधि आठ सितंबर तक बढ़ाने की निर्देश दिया.

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