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VIDEO: जानें कैसे दिलाई फादर कामिल बुल्के ने हिंदी को पहचान

1935 में बेल्जियम से 26 साल का एक युवा ईसाई धर्म का प्रचार करने भारत आया और फिर भारत की भाषा और संस्कृति में कुछ ऐसा रंगा कि तुलसीदास और वाल्मीकि का भक्त हो गया. भारत में शब्दकोश का जिक्र जब भी आता है तब उस साहित्यकार का नाम जहन में आता है जिन्होंने सबसे मशहूर अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश कि रचना की थी.

सन् 1935 में बेल्जियम से 26 साल का एक युवा ईसाई धर्म का प्रचार करने भारत आया और फिर भारत की भाषा और संस्कृति में कुछ ऐसा रंगा कि तुलसीदास और वाल्मीकि का भक्त हो गया.. भारत में शब्दकोश का जिक्र जब भी आता है तब उस साहित्यकार का नाम जहन में आता है जिन्होंने सबसे मशहूर अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश कि रचना की थी. हम बात कर रहे हैं फादर कामिल बुल्के की. वही कामिल बुल्के जो एक मिशनरी होते हुए भी रामकथा के विद्वान थे. कामिल बुल्के का जन्म 1 सितंबर 1909 को बेल्जियम के वेस्ट फ्लैंडर्स में के एक गांव रम्सकपेल में हुआ था. उन्‍होंने ‘अंग्रेजी हिंदी शब्‍दकोश’ ही नहीं बनाया बल्कि विश्‍वविद्यालयों में हिंदी में शोध कार्य को आरंभ करवाया. 1934 में वे ईसाई धर्म प्रचारक के रूप में भारत आए. 16 वर्ष बाद 1950 में उन्‍हें भारत की नागरिकता मिली. इस दौरान वे एक ऐसे हिंदी और भारतीय संस्‍कृति प्रेमी के रूप में परिवर्तित हो गए थे जिनके कार्यों की मिसाल आज भी दी जाती है.

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