शुक्रवार को इडी ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी व्यापारी विष्णु अग्रवाल की संपत्ति जब्त कर ली. जब्त की गयी संपत्ति की सूची में चेशायर होम रोड, नामकुम और सिरमटोली स्थित सेना के लिए अधिग्रहित जमीन शामिल है. इसकीं कीमत 161.64 करोड़ रुपये आंकी गयी है.संपत्ति जब्त करने से संबंधित आदेश में यह कहा गया है कि राजस्व विभाग के अधिकारियों की मदद से जमीन माफिया के नाम पर संबंधित जमीन का म्यूटेशन कर दिया गया है.
दस्तावेज में जालसाजी कर जमीन की खरीद-बिक्री के मामले में अब तक पूर्व उपायुक्त छवि रंजन, विष्णु अग्रवाल, प्रेम प्रकाश सहित 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इडी ने इस मामले में कुल 41 ठिकानों पर छापा मारा. साथ ही पांच सर्वे किये. इस दौरान जालसाजी कर तैयार किये गये सेल डीड, जमीन की खरीद-बिक्री में मिली राशि के बंटवारे और सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को रिश्वत देने के सबूत मिले. दस्तावेज में जालसाजी कर अफसरों की मदद से विष्णु अग्रवाल द्वारा खरीदी गयी चेशायर होम रोड स्थित मौजा गाड़ी की एक एकड़ जमीन जब्त कर ली गयी है.
कोलकाता स्थित रजिस्ट्री कार्यालय में रखे गये जमीन के मूल दस्तावेज में जालसाजी कर एक फर्जी डीड तैयार किया गया. इस डीड के सहारे उक्त जमीन पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश के करीबी पुनीत भार्गव को बेची गयी. पुनीत भार्गव ने यह जमीन 1.78 करोड़ रुपये में खरीदी और 1.80 करोड़ रुपये में विष्णु अग्रवाल को बेच दी. पुनीत ने विष्णु से मिली रकम में से फर्जी दस्तावेज बनानेवाले गिरोह के सदस्यों को उनका हिस्सा दिया.
साथ ही 1.50 करोड़ रुपये प्रेम प्रकाश को दिये. विष्णु अग्रवाल को इस मामले में की गयी जालसाजी की जानकारी थी. इसके बावजूद उन्होंने यह संपत्ति खरीदी. विष्णु अग्रवाल ने नामकुम अंचल के पुगड़ू मौजा स्थित 9.30 एकड़ जमीन भी अफसरों की मदद से खरीदी. जमीन के मामले में विवाद होने पर सरकार ने एसआइटी का गठन किया था. एसआइटी जांच के दौरान कनीय अधिकारियों की ओर से भेजी गयी जानकारी में जमीन के खासमहल होने का उल्लेख किया गया था. लेकिन इसमें ‘नहीं’ शब्द को जोड़ कर रिपोर्ट तैयार की गयी.
उपायुक्त छवि रंजन ने इस रिपोर्ट की समीक्षा नहीं की, जबकि यह उनका दायित्व था. उपायुक्त ने इस गलत रिपोर्ट के आधार पर ही म्यूटेशन करने का आदेश दिया. इससे खासमहल की इस जमीन का मालिकाना हक पाने में उन्हें मदद मिली. विष्णु अग्रवाल ने सेना के लिए अधिग्रहित जमीन भी अफसरों की मदद से खरीदी. सिरमटोली स्थित इस जमीन का अधिग्रहण द्वितीय विश्व युद्ध के समय किया गया था.
दानापुर स्थित सेना के कार्यालय में वर्ष 1949 में जमीन के अधिग्रहण और भुगतान से संबंधित ब्योरा है. झारखंड सरकार के रजिस्टर में भी जमीन के सेना की होने की बात दर्ज है. इसके बावजूद इसे सिर्फ अधिग्रहण के लिए किया गया अनुरोध बताया गया. विष्णु अग्रवाल ने यह जमीन रैयतों के वारिस महुआ मित्रा और संजय घोष से खरीदी है. सेल डीडी में जमीन खरीदने के लिए 15 करोड़ रुपये के भुगतान का ब्योरा दर्ज है. इस ब्योरे की जांच के दौरान यह पाया गया कि महुआ मित्रा और संजय घोष को सिर्फ तीन करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया है. शेष 12 करोड़ के भुगतान का दावा फर्जी है.