नेतरहाट
नेतरहाट पहाड़ियों से घिरा शांत और खूबसूरत जगह होने के कारण इसे छोटानागपुर की रानी भी कहा जाता है. नेतरहाट झारखंड के लातेहार जिले में स्थित एक बहुत ही शानदार टूरिस्ट प्लेस है. शायद इस लिए नेतरहाट को झारखंड का शान कहा जाता है. पर्यटकों को प्रकृति और उसके अविश्वसनीय आश्चर्यों के साथ निकटता से बातचीत करने का शानदार मौका मिलेगा. शेरनी पहाड़ियों में सूर्यास्त की सुंदरता की प्रशंसा करने का शानदार मौका लें. यह चुंबकीय परिदृश्य का एक क्षण होगा जिसके लिए आप निश्चित रूप से आकर्षित होंगे!
तिलैया डैम
तिलैया डैम झारखंड राज्य के कोडरमा जिले में स्थित खूबसूरत बांध है. तिलैया डैम झारखंड के बराकर नदी पर स्थित है, इस बांध का निर्माण DVC यानी दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत 1953 में किया गया था. पर्यटन की दृष्टी से तिलैया डैम के चारों तरफ हरी-भरी वादियां और खूबसूरत नजारे आपको देखने को मिलेंगे,
बेतला नेशनल पार्क
अगर आप झारखंड के एक खूबसूरत जंगल की सैर करना चाहते हैं, तो बेतला नेशनल पार्क झारखण्ड के फेमस टूरिस्ट प्लेस की दृष्टी से सबसे अच्छा विकल्प है. झारखंड के पलामू जिले में स्थित पहाड़ों की वादियों में कई किलोमीटर दूर तक फैला बेतला नेशनल पार्क, भारत के पुराने नेशनल पार्क में से एक है. जो अपने विविध प्रकार की जैव विविधता के लिए जाना जाता है. यहां आपको जंगली हाथी, हिरण, बंदर, बाघ, तेंदुआ, टाइगर जैसे कई सारे जंगली जानवर खुले में धूमते दिख जायेगे. इस पार्क में विभिन्न प्रजाति के पक्षी जैसे डोगरा, चील, लाल जंगली मुर्गा, मोर के अलावा सांपों की भी कई प्रजातियां देखने को मिल जाती हैं
पतरातु वैली
पतरातु वैली को रांची का शिमला कहा जाता है, यहां पर आप अपने दो पहियावाहन से आसानी से आ सकते हैं. यह रांची से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां की खूबसूरत वादियां व घुमावदार जलेबी की तरह सड़कें आपको शिमला की याद दिला देगी.
मैक्लुस्कीगंज
मैक्लुस्कीगंज रांची से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. इसे मीनी लंदन कहां जाता है, इसे लेफ्टिनेंट मैकलुक्सी ने बसाया था. रातू के महाराज से जमीन लेकर यहां 100 आलीशान बंगले, क्लब व चर्च बनवाए थे. मैक्लुस्कीगंज जंगलों के बीच में बसा हुआ है जिस वजह से आपको गर्मी ना के बराबर लगेगी.
देवघर
झारखंड में एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल देवघर, बैद्यनाथ मंदिर के रूप में जाना जाने वाले 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है. जब लाखों भक्त श्रावण महीने के दौरान रुद्राभिषेक के लिए यहां पवित्र जल लेकर आते हैं, तब देवघर का महत्व और अधिक बढ़ जाता है.
छिन्नमस्तिके मंदिर
यह भैरवी और दामोदर नदियों के संगम पर रामगढ़ से 28 किमी दूर स्थित है. यह मंदिर छिन्नमस्तिके मंदिर के रूप में जाना जाता है, जो हमारे वेदों और पुराणों में पाया जाता है और इसे शक्ति का एक प्राचीन और मजबूत स्रोत माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि वह व्यक्ति जो माता छिन्नमस्तिका को पवित्र दिल से पूरी तरह से दिल से समर्पित करता है, उसकी सारी इच्छाएं देवी द्वारा पूरी की जाती हैं. झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के सभी कोनों से भक्त पूरे वर्ष इस पवित्र स्थान पर जाते हैं.
मैथन डैम
मैथन ने अपना नाम “माँ का स्थान” से लिया है, जिसका अर्थ है हिंदू देवी माँ कल्याणश्वरी के लिए जगह. यह बाराकर नदी के तट पर स्थित है. मैथन डैम धनबाद के कोयला शहर से लगभग 48 किमी दूर स्थित है. अंडरग्राउंड पावर स्टेशन वाला बांध पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में अद्वितीय है. जिस झील पर यह बनाया गया है वह 65 वर्ग किलोमीटर से अधिक फैला हुआ है. यह वर्ष 1948 में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी लिमिटेड) द्वारा विकसित किया गया था.
पारसनाथ
पारसनाथ पहाडी झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पहाड़ियों की एक श्रृंखला है. उच्चतम चोटी 1350 मीटर है. यह जैन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल केंद्र में से एक है. वे इसे सम्मेद शिखर कहते हैं. 23 वें तीर्थंकर के नाम पर पहाड़ी का नाम पारसनाथ रखा गया है. 20 जैन तीर्थंकरों ने इस पहाड़ी पर मोक्ष प्राप्त किया. उनमें से प्रत्येक के लिए पहाड़ी पर एक मंदिर (गुमटी या तुक) है. पहाड़ी पर कुछ मंदिर 2,000 साल से अधिक पुराने माना जाता है.
दलमा वन्यजीव अभयारण्य
झारखंड में स्थित दलमा वन्यजीव अभयारण्य को बड़ी संख्या में जंगली भारतीय हाथियों का घर माना जाता है. दलमा वन्यजीव अभ्यारण्य समुद्र तल से 3,000 फीट ऊपर दलमा पर्वत श्रृंखला के घने जंगलों वाले ढलानों में फैला हुआ है. दलमा वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1975 में हुई थी और इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 195 वर्ग किलोमीटर है. जमशेदपुर के पास स्थित यह अभयारण्य झारखंड का एक शीर्ष पर्यटन स्थल है.