11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इसरो के हर स्वदेशी मिशन के लिए जरूरी है एचईसी, बना रहा है एक और लांच पैड व क्रेन

इसरो नित-नये कीर्तिमान गढ़ रहा है. मंगल, चांद और अब सूर्य की ओर उसके कदम बढ़ चले हैं. इसरो के हर अभियान में रांची की कंपनी एचईसी की भूमिका रही है. बड़े-बड़े उपकरण उसने बनाकर दिए हैं.

आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थापित इसरो का प्रक्षेपण केंद्र किसी मिशन की लांचिंग के लिए जितना महत्वपूर्ण है, झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा में स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) का महत्व उससे कम नहीं है. एचईसी की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसरो के हर लांचिंग मिशन में ‘मदर ऑ‍फ ऑल इंडस्ट्रीज’ के बनाए लांचिंग पैड का इस्तेमाल होता है. सबसे बड़े रॉकेट प्रक्षेपण के लिए जिस यान का निर्माण हुआ था, उसमें मेकॉन के 50 इंजीनियर्स की टीम ने अहम भूमिका निभाई थी. इसके उपकरण बनाने की जिम्मेदारी टाटा स्टील और एचईसी के अलावा देश के 50 से ज्यादा संस्थानों ने बनाकर दिए थे. सबसे बड़े उपकरण एचईसी में ही बने थे. एचईसी दो लांच पैड इसरो को सप्लाई कर चुका है. तीसरे लांच पैड का यहां निर्माण चल रहा है.

इसरो को हर बड़े उपकरण के लिए एचईसी की जरूरत

एचईसी के वैज्ञानिक सुभाष ने बताया कि एचईसी ने सामरिक क्षेत्र में कई अहम योगदान दिए हैं. वर्ष 2019 में इसरो की ओर से एचईसी को मोबाइल लांच पेडेस्टल का ऑर्डर मिला था. उस पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि आज एचईसी की माली हालत भले खस्ताहाल हो, उसके इंजीनियर्स एवं कर्मचारियों को 18 महीने से वेतन न मिला हो, लेकिन इसरो को आज भी जब कोई स्वदेशी उपकरण बनाना होता है, तो उसे सबसे पहले एचईसी की ही याद आती है. हाल ही में इसरो की टीम ने एचईसी का दौरा किया और कंपनी को व्हील बोगी सिस्टम बनाने का ऑर्डर दिया. व्हील बोगी सिस्टम एक प्रकार का वाहन है, जो रॉकेट को असेंबली बिल्डिंग से लांचिंग पैड तक ले जाता है. रॉकेट के सुरक्षित और सफल प्रक्षेपण के लिए यह उपकरण बेहद जरूरी होता है. भारत में पहली बार एचईसी ने व्हील बोगी सिस्टम का निर्माण किया है.

Also Read: Aditya L1 Launch: रांची के एचईसी में बने लांच पैड से इसरो की एक और उड़ान, देखें VIDEO

रॉकेट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाती है व्हील बोगी

बता दें कि व्हील बोगी सिस्टम में एक या अधिक बोगियां होती हैं. इसमें से हर एक बोगी में चार पहिए लगे होते हैं. बोगियां एक फ्रेम से जुड़ी होती हैं, जो रॉकेट को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाती है. फ्रेम को एक ट्रैक्टर या अन्य वाहन द्वारा खींचा जाता है. इसके निर्माण के लिए एचईसी का चयन इसलिए किया गया है, क्योंकि एचईसी ने इसरो के लिए अब तक जो भी उपकरण बनाकर दिए हैं, वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानक पर खड़े उतरे हैं. व्हील बोगी सिस्टम को बहुत मजबूत और टिकाऊ होना चाहिए.

रॉकेट के प्रक्षेपण में होता है इस्तेमाल

इसमें रॉकेट के भारी वजन को सहन करने की क्षमता होनी चाहिए, क्योंकि रॉकेट की असेंबलिंग लांच पैड पर ही होती है. इतना ही नहीं, रॉकेट को सुरक्षित रूप से और आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में इसको सक्षम होना चाहिए. व्हील बोगी सिस्टम का उपयोग इसरो के विभिन्न रॉकेटों के प्रक्षेपण के लिए किया जाता है. यह प्रणाली इसरो के प्रक्षेपण कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

Also Read: चांद पर चंद्रयान-3, रांची में गूंजा- जय इसरो, जय एचईसी, कल निकलेगी तिरंगा यात्रा, देखें VIDEO

व्हील बोगी सिस्टम के लाभ

  • यार्ड से लांचिंग पैड तक ले जाता है.

  • रॉकेट को सुरक्षित और कुशलता से लॉन्चिंग पैड तक ले जाएगा.

  • रॉकेट के प्रक्षेपण की तैयारी में मदद करेगा.

  • रॉकेट के प्रक्षेपण में शामिल कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.

  • व्हील बोगी सिस्टम एक महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति है, जो इसरो के प्रक्षेपण कार्यक्रम को और अधिक कुशल और सुरक्षित बनाने में मदद करेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें