झारखंड के कई जिले इन दिनों चिकनगुनिया और डेंगू की चपेट में हैं. वहीं, रांची जिले में चिकनगुनिया व डेंगू दोनों का असर है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राजधानी के सभी 53 वार्डों में जांच के लिए नमूने लिए जा रहे हैं. जांच में इस साल जनवरी से अगस्त माह तक डेंगू के 26 और चिकनगुनिया के 47 केस सामने आये हैं. इनमें 28 मरीजों में डेंगू और चिकनगुनिया दोनों पाये गये. दोनों मामले में बुखार के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं. हालांकि, डेंगू का वायरस चिकनगुनिया से ज्यादा खतरनाक होता है.
एडीज मच्छर के काटने से डेंगू और चिकनगुनिया होता है. डेंगू में मरीज को तेज बुखार, सिर और शरीर में दर्द व उल्टी की शिकायत रहती है. डेंगू में लगातार गिरते प्लेटलेट्स से मरीज को बहुत कमजोरी महसूस होती है. वहीं, चिकनगुनिया में मरीज कई दिनों तक जोड़ों के दर्द से परेशान रहता है.
डेंगू व चिकनगुनिया दोनों में ही वायरल फीवर की तरह के लक्षण होते हैं. दो-तीन दिन बाद यदि बुखार खत्म नहीं हो तो डेंगू व चिकनगुनिया की जांच करायें.
जनवरी से जुलाई तक मलेरिया की कुल जांच : 18,7225
मलेरिया रोगियों की संख्या : 68
प्लाज्मोडियम फैलसिफेरम (पीएफ) मलेरिया रोगियों की संख्या : 49
प्लाज्मोडियम वाइवैक्स (पीवी) मलेरिया रोगियों की संख्या :19
डेंगू की कुल जांच : 782
डेंगू मरीजों की संख्या : 26
चिकनगुनिया की कुल जांच : 782
चिकनगुनिया मरीजों की संख्या: 47
फाइलेरिया से ग्रसित रोगियों की जांच : 1200
फाइलेरिया पाये गये एम प्लस रोगी की संख्या : 01
घरों में लार्वा की जांच : 6,346
घरों में मिले डेंगू के लार्वा : 490
कुल बर्तनों की जांच : 1,8578
बर्तनों में लार्वा पाये गये : 385
रिम्स के आइसोलेशन वार्ड में 16 डेंगू पीड़ितों का इलाज चल रहा है. वहीं, कई लोग निजी अस्पताल व घरों में रहकर भी इलाज कर रहे हैं. राज्य में सबसे ज्यादा डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या पूर्वी सिंहभूम में 400 के करीब है. इधर, स्वास्थ्य विभाग घर-घर जाकर स्वच्छता और सर्वे अभियान चला रहा है. स्वास्थ्य कर्मी मच्छर के लार्वा की पहचान कर उसे नष्ट कर रहे हैं.