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2047 तक भारत में भ्रष्टाचार और जातिवाद का कोई स्थान नहीं होगा, जानें इंटरव्यू में क्या बोले पीएम मोदी

भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र होगा. भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की हमारे राष्ट्रीय जीवन में कोई जगह नहीं होगी. जानें इंटरव्यू में क्या बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीटीआई-भाषा को इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने कई मुद्दों पर बात की है. उन्होंने कहा है कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के कई सकारात्मक परिणाम आए हैं और इनमें से कुछ “मेरे दिल के बहुत करीब” हैं. पीएम मोदी के इंटरव्यू की खास बातें जानें यहां

-पीटीआई-भाषा को दिये इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण, अब मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में बदल रहा है; भारत इसमें उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘सब का साथ, सबका विकास’, विश्व कल्याण के लिए भी एक मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है. भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र होगा. भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की हमारे राष्ट्रीय जीवन में कोई जगह नहीं होगी.

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-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जी-20 में हमारे शब्दों और दृष्टिकोण को विश्व ने केवल विचारों के रूप में ही नहीं बल्कि भविष्य के एक रोडमैप के रूप में देखा है. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक भारत को एक अरब भूखे पेट वाले देश के रूप में देखा जाता था, अब यह एक अरब महत्वाकांक्षी मस्तिष्क और दो अरब कुशल हाथों वाला देश है.

-पीएम मोदी ने कहा कि आज भारतीयों के पास विकास की नींव रखने का एक बड़ा मौका है जिसे अगले एक हजार वर्षों तक याद किया जाएगा. एक दशक से भी कम समय में पांच पायदान की छलांग लगाने की उपलब्धि का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि निकट भविष्य में भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में होगा.

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-प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में जी 20 की बैठकें आयोजित करने पर पाकिस्तान और चीन की आपत्तियों को खारिज करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि (भारत के) हर भाग में बैठक आयोजित होना “स्वाभाविक” है. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विभिन्न जगहों पर अलग-अलग संघर्षों को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है.

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-प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साइबर अपराधों से लड़ने में वैश्विक सहयोग न केवल वांछनीय बल्कि अपरिहार्य है.

-प्रधानमंत्री ने पीटीआई से कहा कि साइबर क्षेत्र ने अवैध वित्तीय गतिविधियों और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक नया आयाम पेश किया है. साइबर खतरों को बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए. साइबर आतंकवाद, ऑनलाइन कट्टरपंथ, धनशोधन इस खतरे की झलक भर हैं.

-पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए ‘डार्कनेट’, ‘मेटावर्स’ और ‘क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म’ का उपयोग कर रहे हैं. राष्ट्रों के सामाजिक ताने- बाने पर इसका असर पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि फर्जी खबरें अराजकता का कारण बन सकती हैं और इनसे समाचार माध्यमों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच सकता है. इसका इस्तेमाल समाज में अशांति के लिए किया जा सकता है.

-पीएम मोदी ने कहा कि आपराधिक उद्देश्यों के लिए आईसीटी के उपयोग का मुकाबला करने के लिए एक समग्र अंतरराष्ट्रीय संधि करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नौ साल की राजनीतिक स्थिरता के चलते कई सुधार हुए हैं और विकास इसका स्वाभाविक प्रतिफल है.

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-प्रधानमंत्री ने कहा कि गैर-जिम्मेदाराना वित्तीय और लोकलुभावन नीतियों के अल्पकालिक राजनीतिक परिणाम मिल सकते हैं, लेकिन लंबी अवधि में इसकी बड़ी सामाजिक और आर्थिक कीमत चुकानी पड़ सकती है.

-प्रधानमंत्री मोदी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि गैर-जिम्मेदाराना वित्तीय नीतियों और लोकलुभावनवाद का सबसे अधिक असर सबसे गरीब वर्ग पर पड़ता है.

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-पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए नीतिगत रुख का समय पर और स्पष्ट संचार महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति दुनिया के सामने प्रमुख मुद्दा है. हमारी जी 20 अध्यक्षता ने ऐसी नीतियों को मान्यता दी है जिसमें एक देश में मुद्रास्फीति दूसरे देशों को प्रभावित नहीं करती.

-पीएम मोदी ने कहा कि भारत की जी 20 की अध्यक्षता ने तथाकथित तीसरी दुनिया के देशों में भी विश्वास के बीज बोए. कभी केवल एक बड़े बाजार के रूप में देखा जाने वाला भारत अब वैश्विक चुनौतियों के समाधान का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि भारत की जी 20 अध्यक्षता का विषय ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ सिर्फ एक नारा नहीं बल्कि व्यापक दर्शन है, जो हमारे सांस्कृतिक लोकाचार से लिया गया है.

-प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सबसे पिछड़े और उपेक्षित लोगों को संबोधित करने का हमारा घरेलू दृष्टिकोण वैश्विक स्तर पर भी हमारा मार्गदर्शन कर रहा है. उन्होंने कहा कि जी 20 में अफ्रीका हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है. सभी की आवाज सुने बिना विश्व में भविष्य की कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती.

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