ओडिशा सरकार ने शनिवार को झारसुगुड़ा जिले के 1,749 परिवारों को भूमि अधिकार प्रदान करने का फैसला किया, जिन्होंने 1957 में बहुउद्देशीय हीराकुंद बांध परियोजना के कारण अपने घर खो दिये थे. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने शनिवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए विभिन्न स्थानों पर जमीन से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर लोगों को जमीन का पट्टा देने के लिए नीतिगत निर्णय लिया है. इससे कई जिलों में जमीन से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है. खासकर झारसुगुड़ा जिला में हीराकुद बांध के कारण विस्थापित होने वाले सैकड़ों परिवार इससे विशेष रूप से लाभान्वित होंगे.
विस्थापितों की सालों पुरानी मांग होगी पूरी
मुख्यमंत्री के 5टी सचिव वीके पांडियन ने हाल ही में जिलों का अपना दौरा कार्यक्रम समाप्त किया है. इन जिलों के दौरे के समय लोगों ने उन्हें जमीन से जुड़ी अनेक शिकायतें की थीं. हीराकुद बांध के कारण विस्थापित हुए लोगों के सालों की समस्या, अन्य स्थानों पर सरकारी जमीन पर सालों से रह रहे लोगों की समस्या से उन्हें अवगत कराया था. इन समस्याओं के समाधान के लिए अनुरोध किया था. 5टी सचिव वीके पांडियन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को अवगत कराया. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय बैठक कर इस बारे में निर्णय लिया है.
वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई अहम बैठक
बैठक में 5टी सचिव के साथ-साथ विकास आयुक्त अनु गर्ग, राजस्व विभाग के सचिव सत्यव्रत साहू, गंजाम व झारसुगुड़ा जिले के जिलाधिकारी व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. बैठक में जमीन से जुड़े मामलों का स्थायी समाधान कर लोगों को जमीन का पट्टा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है. झारसुगुड़ा जिले में हीराकुद बांध के कारण विस्थापित हुए लोगों की समस्या लगभग 50 साल पुरानी है. लखनपुर तहसील के 18 गांव व झारसुगुड़ा तहसील के एक गांव समेत कुल 19 गांवों के जमीन की समस्या का स्थायी समाधान करने का निर्णय बैठक में लिया गया है. 1749 परिवारों को 3231 एकड़ जमीन पर अधिकार प्रदान किया जायेगा.
Also Read: ओडिशा में समय से पहले होंगे विधानसभा चुनाव! 13 सितंबर को आ रही है निर्वाचन आयोग की टीम