Financial Influencers को लेकर सेबी सख्त होती जा रही है. निवेशकों तक सटीक और निष्पक्ष जानकारी पहुंचाने के लिए बाजार नियामक सेबी वित्तीय ‘इन्फ्लूएंसर’ पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रहा है.वित्तीय इन्फ्लूएंसर डिजिटल मीडिया, चैनल आदि के माध्यम से लोगों को निवेश के बारे में सलाह देते हैं. दरअसल ऐसा पता चला था कि ये वित्तीय इन्फ्लूएंसर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करने के लिए 7.5 लाख रुपये तक लेते हैं और अपनी राय से लोगों के वित्तीय फैसलों को प्रभावित करते हैं. हालांकि, अब इन्हें नियामक के दायरे में आना होगा, क्योंकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) इनकी तेजी से बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने की तैयारी कर रहा है.
धोखाधड़ी से बचाने में भी मिलेगी मदद
आनंद राठी वेल्थ के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) फिरोज अजीज ने बताया कि सेबी का प्रस्तावित कदम यह सुनिश्चित करता है कि निवेशकों को सटीक और निष्पक्ष जानकारी मिले.इससे उन्हें धोखाधड़ी से बचाने में भी मदद मिलेगी. प्रस्ताव के तहत वित्तीय इन्फ्लूएंसर को सेबी के पास अपना पंजीकरण कराना होगा, और विशिष्ट दिशानिर्देशों का पालन करना होगा.इसके अलावा इनके म्यूचुअल फंड और शेयर ब्रोकरों के साथ साझेदारी करने पर भी प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है. सोशल मीडिया पर कई इन्फ्लूएंसर अच्छी जानकारी देते हैं, लेकिन इस बात की आशंका बढ़ रही है कि अनियंत्रित इन्फ्लूएंसर जोखिमों को बढ़ा सकते हैं और पक्षपातपूर्ण या भ्रामक सलाह दे सकते हैं.
Cyber Crime को लेकर भी सेबी गंभीर
हाल के दिनों में साइबर क्राइम के मामलों में काफी ज्यादा इजाफा हुआ है. पुलिस और सरकार की कोशिशों के बाद भी ठग किसी न किसी तरह लोगों को अपना शिकार बना हीं ले रहे हैं. बताया जा रहा है कि अब साइबर सुरक्षा को लेकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सख्त गाइडलाइन जारी कर दी है. सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों और अन्य मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MII) के लिए मौजूदा साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलापन ढांचे को मजबूत करने का तत्काल निर्देश दिया है. सेबी ने अपने नए गाइडलाइन में कहा कि कार्यों को पूरा करने के लिए मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन की परस्पर संबद्धता और अन्योन्याश्रितता को ध्यान में रखते हुए, किसी भी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन का साइबर जोखिम अब एमआईआई के स्वामित्व वाले या नियंत्रित सिस्टम, नेटवर्क और परिसंपत्तियों तक सीमित नहीं है.
साइबर सुरक्षा पर क्या सेबी की गाइडलाइन
सेबी ने अपने साइबर सुरक्षा से जुड़े गाइडलाइन में कहा कि सभी स्टॉक एक्सचेंजों को एमआईआई को डेटा का ऑफलाइन, एन्क्रिप्टेड बैकअप बनाए रखना होगा. इसके साथ ही, गोपनीयता, अखंडता और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कम से कम हर तिमाही में इन बैकअप का नियमित रूप से परीक्षण करना होगा. गाइडलाइन में प्राथमिक डेटा सेंटर (PDC) और डिजास्टर रिकवरी साइट (DRS) दोनों से अपना संचालन शुरू करना संभव नहीं होने की स्थिति में सिस्टम के पुनर्निर्माण करके एक अतिरिक्त हार्डवेयर को बनाए रखने की संभावना का पता लगाना होगा. साथ ही, संस्थानों पर रैंसमवेयर हमलों से निपटने के लिए तैयारी करनी होगी. जमीनी स्तर पर मौजूद सुरक्षा नियंत्रणों की एफिशिएंसी की जांच करने के लिए नियमित अभ्यास करना होगा.
गैर-लाभकारी संगठनों के लिए धन जुटाने के नियमों को सुगम करने पर विचार कर रहा है सेबी
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के लिए वित्त जुटाने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मंगलवार को सोशल स्टॉक एक्सचेंजों के नियामकीय ढांचे में लचीलापन लाने का प्रस्ताव रखा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने एक परामर्श पत्र में एनपीओ के लिए न्यूनतम निर्गम आकार के साथ आवेदन आकार की सीमा को कम करने का सुझाव भी दिया है. इसके अलावा सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंजों (एसएसई) पर पंजीकरण के लिए जरूरी कुछ शर्तों में बदलाव करने की बात भी कही है. एनपीओ के खिलाफ आयकर का कोई नोटिस या जांच लंबित न होने की व्यवस्था खत्म करने और सोशल ऑडिटर की जगह ‘सामाजिक प्रभाव मूल्यांकनकर्ता’ शब्दावली का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है. धन जुटाने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन (एनपीओ) का एसएसई के साथ पंजीकृत होना जरूरी है। फिलहाल दोनों एक्सचेंज के साथ इस खंड में 31 एनपीओ ने अपना पंजीकरण कराया हुआ है.
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