14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हिंदू धर्म पर पहले भी होते रहे हैं हमले

स्वामी विवेकानंद जब अमेरिका में अत्यंत सफल हो रहे थे, तो उनके प्रति विष वमन करने और हिंदुओं को सांप-संपेरों को पूजने वाले अनपढ़ गंवार बताने वाले ईसाई पादरी ही थे.

इन दिनों तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पुत्र और प्रदेश सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के एक वक्तव्य से कुछ शोर उठा है, जिसमें कहा गया है कि मच्छर और डेंगू की तरह सनातन का विरोध नहीं, बल्कि उसको समाप्त करना जरूरी है. उन्होंने बाद में ट्वीट कर यह भी कहा कि वह अपने वक्तव्य पर कायम हैं, क्योंकि सनातन धर्म जातिभेद और सामाजिक दरारें पैदा करता है. हिंदुओं को अपने ऊपर विभिन्न प्रकार के आक्रमण देखने, सहने, उनको नजरअंदाज करने अथवा उनका समुचित उत्तर देने का शताब्दियों पुराना अनुभव है.

उदय स्टालिन के वक्तव्य को सामान्यतः हिंदू समाज उपेक्षित ही करेगा, लेकिन चूंकि वे हिंदू नहीं हैं, फिर भी उन्होंने सत्ता में रहते हुए हिंदुओं पर शाब्दिक आक्रमण किया है, इसलिए उन्हें यह बताना जरूरी हो जाता है कि वह एक ईसाई राज्य के मंत्री नहीं, बल्कि एक सेकुलर प्रदेश के नेता हैं. इस प्रदेश में हिंदुओं की संख्या बहुमत में है और उनके मंदिरों के कारण वहां तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं. शायद अधिक लोगों को पता नहीं कि स्वामी विवेकानंद ईसा मसीह के प्रशंसक थे.

विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन के सभी मठों और आश्रमों में क्रिसमस मनाने का अधिकृत विधान किया था, लेकिन वैटिकन के व्यापारी ईसाइयों के कुकृत्य देख कर उन्होंने कहा था- तुम लोग ईसाई नहीं हो. जाओ पहले जीसस को पढ़ो और समझो. उदयन स्टालिन का व्यवहार उन्हें स्वामी विवेकानंद की यही उक्ति उनको पुनः बताने की मांग करता है.

ईसाइयों ने ब्रिटिश काल से हिंदुओं पर अनेक आक्रमण किये तथा उनमें अपने धर्म के प्रति घृणा और हेय भाव पैदा करने का कोई उद्यम नहीं छोड़ा. स्वामी विवेकानंद जब अमेरिका में अत्यंत सफल हो रहे थे, तो उनके प्रति विष वमन करने और हिंदुओं को सांप-संपेरों को पूजने वाले अनपढ़ गंवार बताने वाले ईसाई पादरी ही थे. पंडिता रमाबाई नामक ईसाई प्रचारिका ने तब स्वामी जी पर अनेक अनर्गल आरोप लगाये. हिंदुओं में कितने दोष हैं, हिंदू धर्म कितना खराब है, हिंदू कितने अशिक्षित हैं, यह सब ईसाई प्रचारकों के साहित्य में भरा है.

स्वामी विवेकानंद ने इसलिए कहा था कि हिंदू धर्म छोड़ दूसरा मजहब अपनाने से केवल एक हिंदू कम नहीं होता, बल्कि एक शत्रु बढ़ जाता है. धर्म बदलने वाला हिंदू, अपने ही पूर्व धर्म और उसके अनुयायियों के प्रति किसी मूल इस्लामी या ईसाई से भी ज्यादा घृणा क्यों रखने लगता है? राजस्थान में मानगढ़ की पहाड़ी पर 17 नवंबर, 1913 को ब्रिटिश फौज ने 1500 निहत्थे भीलों को तोपों और बंदूकों की गोलियों से मार डाला था. बाद में उस ब्रिटिश फौज के कमांडर ने पत्र लिख कर कहा था कि भविष्य में यहां अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत न हो, इसको सुनिश्चित करने के लिए यहां चर्च बना कर लोगों का धर्मपरिवर्तन किया जाना बहुत जरूरी है. वैसा ही किया भी गया.

गोवा में पुर्तगाली ईसाइयों ने 400 साल तक बर्बर शासन किया. हजारों हिंदुओं को ईसाई धर्म को मानने से मना करने पर तपते लोहे के तवे पर बांध तड़पा-तड़पा कर मार डाला गया. गोवा की राजधानी पंजिम में पुर्तगालियों के समय का स्थापित हाथ कात्रो खंभ नाम का एक खंभा है. वहां ऐसे अनेक खंभ थे, जिनमें से अभी एकमात्र यही बचा है. उस समय जिस किसी हिंदू के घर में तुलसी का पौधा मिलता था, उसे यहां लाकर उसके दोनों हाथ इस खंभे से बांध कर काट दिए जाते थे. उदयनिधि स्टालिन को आज इन अत्याचारों से गुजरकर भी अपनी सनातन संस्कृति और धर्म बचने वाले हिंदुओं पर आक्रमण करते हुए ध्यान रखना चाहिए कि उनके पूर्वज इसी सनातन धर्म के अनुयायी थे.

उन्होंने सनातन पर हमला कर स्वयं को अंग्रेज, मुगल और पुर्तगालियों के समकक्ष रख लिया है. अरुणाचल प्रदेश में वांचू जनजाति के वीर रहते हैं. उन्होंने अंग्रेजों से जम कर लोहा लिया था. उनके विरुद्ध जासूसी करने और उनकी पहचान के लिए अंग्रेजों ने ईसाई मिशनरियों का उपयोग किया था. जब एक बार वांचू प्रमुख की पहचान नहीं हो पा रही थी, तो अंग्रेज फौजी अफसर नौ नर मुंड लेकर अंग्रेज ईसाई मिशनरी की पत्नी को दिखाने लाये. उस महिला ने वांचू प्रमुख को देखा हुआ था और उसने तब सही नरमुंड की पहचान की. यह घटना उनकी अपनी डायरी में लिखी है और इस पर अरुणाचल सरकार ने दस्तावेज एकत्र कर पुस्तक एवं डाक्यूमेंट्री भी जारी की है.

अर्धशिक्षित ईसाई आक्रमणकारियों को सनातन धर्म के बारे में ज्ञान नहीं. संसार की सर्वप्रथम पुस्तक ऋग्वेद जिन सनातनियों ने लिखी, जिन्होंने टेलिस्कोप से पहले नक्षत्रों और ग्रहों का अन्वेषण किया, जिन्होंने अनेक सूर्यों के अस्तित्व को सिद्ध किया, पृथ्वी और प्रकाश की गति मापी, दशमलव प्रणाली का आविष्कार किया, शून्य की खोज की, अंकों और गणित का अन्वेषण किया, ग्रहों के नाम रखे, कभी जंग न लगने वाले लौह स्तंभ का निर्माण किया, जिन्होंने ऐसे समय वसुधैव कुटुंबकम का संदेश दिया जब संसार में क्रूसेड और जिहाद में लाखों लोग मारे जा रहे थे, जिनके नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय ऑक्सफोर्ड और केंब्रिज से दो हजार वर्ष पहले संसार में ज्ञान की ज्योति फैला रहे थे, उन सनातनियों एवं उनके धर्म पर चोट करना सूरज पर थूकने के समान है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें