पंकज मिश्रा ने अवैध खनन के मामले में हाइकोर्ट द्वारा दिये गये सीबीआइ जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इसमें विजय हांसदा, राज्य सरकार, इडी और केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है. अवैध खनन के आरोप में जेल में बंद पंकज मिश्रा की ओर से 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गयी है. इसमें हाइकोर्ट द्वारा रिट पिटिशन क्रिमनल(665/2022) में दिये गये आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है.
उल्लेखनीय है कि विजय हांसदा ने जेल में रहते हुए हाइकोर्ट में रिट पिटिशन दायर पंकज मिश्रा व अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (06/2022) की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी. जेल से रिहा होने के बाद हांसदा ने अपना रिट पिटिशन वापस लेने के लिए भी हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने पुलिस की ओर से प्राथमिकी की जांच से संबंधित प्रगति रिपोर्ट में पाया कि जांच अधिकारी ने हांसदा को घटना के दिन बेंगलुरु में होने की बात कही.
इसके लिए डिजिटल टीम द्वारा दिये गये आंकड़ों का इस्तेमाल किया. इडी की ओर से पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया था कि पुलिस ने बेंगलुरु निवासी व्यक्ति के नंबर का ब्योरा डिजिटल टीम से मांग कर हांसदा के घटना के दिन साहिबगंज के बदले बेंगलुरु में होने की कहानी गढ़ी. न्यायालय ने इस बात के मद्देनजर पुलिस की जांच को अपर्याप्त मानते हुए इसकी जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया. सीबीआइ ने पीइ दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. प्राथमिकी में नींबू पहाड़ पर अवैध खनन का आरोप लगाया गया है.
तीरथ नाथ अशोक ने अवैध खनन मामले में पंकज मिश्रा समेत 20 लोगों पर प्राथमिकी के लिए साहिबगंज पुलिस से ऑनलाइन शिकायत की है. उन्होंने इसे पीआइएल (1954/2021) में कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश के आलोक में की गयी शिकायत माना है. तीरथ नाथ अशोक व अनुरंज अशोक ने हाइकोर्ट में पीआइएल दायर किया था. इसमें राज्य सरकार, खान सचिव, साहिबगंज के डीएमओ, सीबीआइ, पंकज मिश्रा व दाहू यादव को प्रतिवादी बनाया था. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंदा सेन ने सुनवाई के बाद 27 अप्रैल को फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कहीं प्राथमिकी नहीं दर्ज करायी है. इसके बाद तीरथ नाथ ने ऑनलाइन शिकायत की है.