दुनिया की कई सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक अनौपचारिक जमावड़ा समूह-20, आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच हैं. इसी कारण हर वर्ष इस समूह के सदस्यों के नेता मुख्य रूप से आर्थिक और वित्तीय मामलों पर चर्चा करने तथा आपसी हितों से जुड़े अनेक मुद्दों पर नीतियों के समन्वय के लिए होने वाले सम्मेलनों में जुटते हैं. जहां तक इस समूह के महत्व की बात है, तो इस समूह के राष्ट्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक निर्यात का लगभग 75 प्रतिशत और दुनिया की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा हैं.
ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन डेवलपमेंट (ओसीईडी) की मानें, तो तत्कालिक अनुमानों (प्रोविजनल एस्टीमेट) के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में जी-20 क्षेत्रों की जीडीपी में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, जो पिछली तिमाही (2022 की चौथी तिमाही) की तुलना में 0.4 प्रतिशत अधिक है. वर्ष 2023 की पहली तिमाही में, जी-20 क्षेत्र की जीडीपी अपने महामारी-पूर्व (2019 की चौथी तिमाही) स्तर से 7.8 प्रतिशत अधिक हो गयी. जो दर्शाती है कि 2022 की चौथी तिमाही में संकुचन के बाद कई अर्थव्यवस्थाएं विकास की ओर लौट आयीं है. हालांकि, यूके और जर्मनी की जीडीपी अपने महामारी-पूर्व स्तर से नीचे ही रहीं.
वर्ष 2022 की चौथी तिमाही की 0.6 प्रतिशत की तुलना में 2023 की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी बढ़कर 2.2 प्रतिशत हो गयी.
भारत की जीडीपी भी 2023 की पहली तिमाही में 1.9 प्रतिशत हो गयी, जो 2022 की चौथी तिमाही से 1.0 प्रतिशत अधिक है.
मेक्सिको की पहली तिमाही की वृद्धि 1.0 प्रतिशत पर पहुंच गयी (2022 की चौथी तिमाही के 0.6 की तुलना में).
जापान में यह बढ़कर 0.7 प्रतिशत (2022 की चौथी तिमाही के 0.1 प्रतिशत की तुलना में) पर पहुंच गयी.
ब्राजील की जीडीपी में चौथी तिमाही में 0.1 प्रतिशत के संकुचन के बाद यह पहली तिमाही में 1.9 प्रतिशत पर पहुंच गयी, जबकि दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण कोरिया में क्रमश: 1.1 और 0.4 प्रतिशत के संकुचन के बाद जीडीपी में क्रमशः 0.4 और 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई. कनाडा, फ्रांस और इटली में भी सुधार दर्ज हुआ है.
समग्र रूप से जी-20 क्षेत्र की जीडीपी की वृद्धि में तेजी के बावजूद, जर्मनी ने मंदी में प्रवेश किया. सऊदी अरब की जीडीपी में भी दो वर्ष में पहली बार गिरावट आयी. इंडोनेशिया की जीडीपी की वृद्धि धीमी हो गयी. ऑस्ट्रेलिया, तुर्किये और अमेरिका की वृद्धि में भी कुछ हद तक कमी आयी. जबकि यूके की वृद्धि दर पिछली तिमाही की तरह ही पहली तिमाही में भी 0.1 प्रतिशत पर बनी रही.
भारत-चीन संबंध काफी प्राचीन और ऐतिहासिक हैं. इस बारे में कम से कम ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के लिखित अभिलेख मौजूद हैं. वाणिज्य के माध्यम से लोगों के संपर्कों को शाही संरक्षण के तहत पहली शताब्दी ईस्वी में भारत से चीन में बौद्ध धर्म के आगमन के साथ बढ़ावा मिला. चीनी भिक्षु, फाहियान ने 402 ईस्वी में भारत का दौरा किया. वेदों और बौद्ध सूत्रों के विद्वान कुमारजीव के संस्कृत सूत्रों के चीनी भाषा में अनुवाद को आज भी महत्व दिया जाता है.
पांचवी शताब्दी में भारतीय भिक्षु बोधिधर्म, चीन में शाओलिन मठ के पहले कुलपति बने. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने बौद्ध धर्मग्रंथों की खोज में 7वीं शताब्दी ईस्वी में भारत का दौरा किया था. भारत में बौद्ध धर्म के पतन और दोनों देशों में उपनिवेशवाद के प्रसार के परिणामस्वरूप सांस्कृतिक आदान-प्रदान कम हो गया. हालांकि, कुछ समय बाद दोनों देशों की मित्रता पुनर्जीवित हुई. उस अवधि की ऐतिहासिक घटनाएं हैं कांग यूवेई का भारत में प्रवास (1890), टैगोर की चीन यात्रा (1924), टैगोर के मार्गदर्शन में प्रोफेसर टैन युनशान द्वारा विश्व भारती विश्वविद्यालय में चीना भवन की स्थापना (1937) आदि. पचास के दशक की शुरुआत में इन संबंधों में और मजबूती देखी गयी. वर्ष 1980 के दशक में राजनीतिक संबंधों की बहाली ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को गति प्रदान की है.