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Online Gaming : गेमिंग कंपनी को जीएसटी से राहत नहीं, हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक

गेम्सक्राफ्ट को पिछले साल आठ सितंबर को जीएसटी अधिकारियों की ओर से नोटिस जारी किया गया, जिसमें 21 हजार करोड़ रुपये की मांग की गई. कंपनी ने इसको उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने जीएसटी विभाग के नोटिस पर रोक लगा दी थी और कहा था कि मामले में कई विवादास्पद मुद्दे शामिल हैं.

Online Gaming : उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें एक ऑनलाइन गेमिंग मंच से 21,000 करोड़ रुपये की मांग के माल एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग के नोटिस को रद्द कर दिया गया था. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बुधवार को जीएसटी आसूचना के महानिदेशक की याचिका पर कर्नाटक की ऑनलाइन गेमिंग कंपनी गेम्सक्राफ्ट को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा.

शीर्ष अदालत ने मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद करना तय किया. जीएसटी अधिकारी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के 11 मई के आदेश को चुनौती दी थी जिसने कहा था कि ‘रमी’ जुआ नहीं है, भले ही इसमें दांव लगाया जाए या बिना दांव लगाये खेला जाए. उच्च न्यायालय ने कहा था कि रमी को ऑनलाइन खेला जाए या प्रत्यक्ष खेला जाए, यह हुनर का खेल है और किस्मत का खेल नहीं है, इसलिए गेम्सक्राफ्ट के मंचों पर खेले जाने वाले ऑनलाइन रमी तथा अन्य डिजिटल गेम ‘सट्टेबाजी’ और ‘जुआ’ के रूप में कर चुकाने के दायरे में नहीं आते.

Also Read: GST On Online Gaming: ऑनलाइन गेमिंग पर लगेगी 28% जीएसटी, एक अक्तूबर से प्रभावी होंगे नये नियम

जीएसटी अधिकारियों ने पिछले साल आठ सितंबर को गेम्सक्राफ्ट को नोटिस जारी किया था और 21,000 करोड़ रुपये की मांग की थी. कंपनी ने नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 23 सितंबर, 2022 को जीएसटी विभाग के नोटिस पर रोक लगा दी थी.

ऑनलाइन गेमिंग पर कितनी जीएसटी लगती है?

जीएसटी काउंसिल ने 11 जुलाई, 2023 को अपनी 50वीं बैठक में ऑनलाइन गेमिंग, कैसिनो और हाॅर्स रेसिंग पर 28% जीएसटी वसूली के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. इस फैसले के अनुसार, ऑनलाइन गेमिंग, कैसिनो और हॉर्स रेसिंग में बेटिंग लगाने के फुल वैल्यू पर 28% जीएसटी वसूला जाएगा. यह फैसला 1 अक्तूबर, 2023 से लागू होगा.

जीएसटी काउंसिल ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि उसने माना कि ऑनलाइन गेमिंग, कैसिनो और हार्स रेसिंग एक तरह का जुआ है और इस पर कर लगाया जाना चाहिए. हालांकि, कुछ राज्यों ने इस फैसले का विरोध किया है. दिल्ली, गोवा और सिक्किम ने इस फैसले की समीक्षा की मांग की है. जीएसटी काउंसिल ने फैसला लिया है कि वह इस फैसले की समीक्षा 6 महीने बाद करेगी.

जीएसटी काउंसिल ने इस फैसले को लेने के लिए कई कारणों का हवाला दिया. पहला, यह सुनिश्चित करना कि ऑनलाइन गेमिंग, हार्स रेसिंग और कैसिनो जैसे मनोरंजक गतिविधियों पर समान रूप से कर लगाया जाए. दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि ऑनलाइन गेमिंग, हार्स रेसिंग और कैसिनो जैसे उद्योगों से प्राप्त राजस्व का उपयोग देश के विकास के लिए किया जा सके.

इस फैसले का गेमिंग उद्योग और खिलाड़ियों दोनों ने विरोध किया है. गेमिंग उद्योग ने कहा है कि यह फैसला उद्योग को नुकसान पहुंचाएगा और खिलाड़ियों को अधिक महंगा बना देगा. खिलाड़ियों ने कहा है कि यह फैसला उनके मनोरंजन के अधिकार का उल्लंघन है.

जीएसटी काउंसिल ने इस फैसले को लेने के लिए कई कारणों का हवाला दिया. पहला, यह सुनिश्चित करना कि ऑनलाइन गेमिंग, हार्स रेसिंग और कैसिनो जैसे मनोरंजक गतिविधियों पर समान रूप से कर लगाया जाए. दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि ऑनलाइन गेमिंग, हार्स रेसिंग और कैसिनो जैसे उद्योगों से प्राप्त राजस्व का उपयोग देश के विकास के लिए किया जा सके.

इस फैसले का गेमिंग उद्योग और खिलाड़ियों दोनों ने विरोध किया है. गेमिंग उद्योग ने कहा है कि यह फैसला उद्योग को नुकसान पहुंचाएगा और खिलाड़ियों को अधिक महंगा बना देगा. खिलाड़ियों ने कहा है कि यह फैसला उनके मनोरंजन के अधिकार का उल्लंघन है.

जीएसटी काउंसिल ने इस फैसले को लेने के लिए कई कारणों का हवाला दिया. पहला, यह सुनिश्चित करना कि ऑनलाइन गेमिंग, हाॅर्स रेसिंग और कैसिनो जैसी मनोरंजक गतिविधियों पर समान रूप से कर लगाया जाए. दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि ऑनलाइन गेमिंग, हाॅर्स रेसिंग और कैसिनो जैसे उद्योगों से प्राप्त राजस्व का उपयोग देश के विकास के लिए किया जा सके.

इस फैसले का गेमिंग उद्योग और खिलाड़ियों दोनों ने विरोध किया है. गेमिंग उद्योग ने कहा है कि यह फैसला उद्योग को नुकसान पहुंचाएगा और खिलाड़ियों को अधिक महंगा बना देगा. खिलाड़ियों ने कहा है कि यह फैसला उनके मनोरंजन के अधिकार का उल्लंघन है.

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