बिहार में प्रशासनिक अधिकारियों की भारी कमी है. कुल स्वीकृत 359 पद में से मात्र 248 पदों पर आईएएस अधिकारी काम कर रहे हैं. हालत यह है कि एक आईएएस अधिकारी के पास कई विभागों की जिम्मेदारी है. लेकिन जल्द ही ये परेशानी दूर होने वाली है. इसके लिए बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) के 65 अधिकारियों का भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में प्रोमोशन किया जाना है. इन अधिकारियों की सेवा संबंधी दस्तावेज की जांच करने के लिये 27 अक्टूबर को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की टीम पटना आ रही है. राज्य सरकार पहले ही इन सभी अधिकारियों की सूची और अन्य दस्तावेजों की स्क्रूटनी कर यूपीएससी को भेज चुकी है.
बिप्रसे के अधिकारियों का आईएएस में प्रमोशन के लिये नहीं होता साक्षात्कार
उल्लेखनीय है कि बिप्रसे के अधिकारियों का आईएएस में प्रमोशन के लिये कोई साक्षात्कार नहीं लिया जाता है, बल्कि केवल सेवा संबंधी दस्तावेजों की जांच की जाती है. हालांकि गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आईएएस में प्रोमोशन के लिये यूपीएससी में साक्षात्कार देना पड़ता है. इस साल गैर प्रशासनिक सेवा से एक का आईएएस में प्रमोशन होने है. इस के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने करीब एक दर्जन अधिकारियों का साक्षात्कार लिया और उसकी सूची यूपीएससी को भेज दी है.
बिप्रसे से आईएएस में प्रोमोशन वाले कुल 101 पद स्वीकृत, अभी 70 फीसदी पद है खाली
बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) से राज्य के आईएएस में प्रोमोशन वाले कुल 101 पद स्वीकृत हैं. जिसमें से अभी 70 फीसदी पद खाली हैं. लेकिन, इस वर्ष प्रोमोशन के जरिए बिप्रसे के 65 अधिकारियों के आईएएस बनने की संभावना जगी है. पिछले 4 सालों से बिप्रसे के अधिकारियों का आईएएस कैडर में प्रोमोशन नहीं हो पाया है. यानी चार साल का बैकलाॅग है. जिसकी वजह से राज्य प्रशासनिक अधिकारियों की कमी झेल रहा है.
प्रोमोशन से भरे जाते हैं आईएएस के एक तिहाई पद
दरअसल बिहार के लिए आईएएस के कुल स्वीकृत पदों में से एक तिहाई पद बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) के अधिकारियों के प्रोमोशन से भरे जाते हैं. यही कारण है कि इस साल बैकलाॅग दूर करने के लिये बिप्रसे के करीब 65 अधिकारियों का आईएएस कैडर में प्रोमोशन होने की पूरी संभावना है.
गैर-प्रशासनिक सेवा के 7 अधिकारियों को मिला था प्रोमोशन
पिछले साल गैर-प्रशासनिक सेवा के सात अधिकारियों का आईएएस में प्रोमोशन हुआ था. सामान्य प्रशासन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष गैर-प्रशासनिक सेवा से 2 अधिकारियों के आईएएस बनने की संभावना है. वैसे राज्य सरकार ने केंद्र से बिहार के लिए और अधिक आईएएस का कोटा निर्धारित करने का आग्रह किया है.
राज्य में आईएएस अधिकारियों की भारी कमी, 359 स्वीकृत में मात्र 248 हैं कार्यरत
राज्य में आईएएस अधिकारियों की अभी भारी कमी है. कुल स्वीकृत 359 पद में से मात्र 248 पदों पर आईएएस अधिकारी काम कर रहे हैं. इन 248 काम कर रहे आईएएस अधिकारियों में से भी 33 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. बिहार में फिलहाल 215 आईएएस अधिकारियों के सहारे सारे पप्रशासनिक कार्य हो रहे हैं.
एक आईएएस के पास कई विभागों की जिम्मेदारी
राज्य में हालात ये है कि आईएएस अधिकारियों की कमी के कारण एक अधिकारी को कई-कई विभागों की जिम्मेदारी मिली हुई है सर्वोच्च पदों पर तैनात अधिकारियों की बात करें तो मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर के 12 अधिकारियों में से 5 के पास दो से अधिक विभागों की जिम्मेवारी है.
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति वाले 33 अधिकारियों में 9 मंत्रालयों में सचिव स्तर के पद पर तैनात
बिहार कैडर के 33 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं जिसमें से 9 आईएएस अधिकारी केन्द्रीय मंत्रालयों में सचिव स्तर के पद पर तैनात हैं. इनमें केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग में सचिव राजेश भूषण 11 सालों से तो केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय में सचिव सुनील बर्थवाल और प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव श्रीधर चिरीबोलू 9 सालों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. इसके साथ ही केंद्रीय बार्डर प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. डीएस गंगवार और सफाई कर्मचारी आयोग के सचिव आरके खंडेलवाल पिछले 6 सालों से केंद्र में सेवा दे रहे हैं. वहीं सुजाता चतुर्वेदी युवा कार्यक्रम की सचिव के रूप में तो अंशुली आर्या राजभाषा विभाग में सचिव के पद पर अपनी सेवा दे रही हैं.
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