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लोकसभा चुनाव से पहले और गरमायेगा इंडिया-भारत का विवाद, मुलायम सिंह भी भेज चुके हैं प्रस्ताव, अखिलेश को ऐतराज

नाम के विवााद में ताजा बयान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि वैसे तो भाषाओं का मिलन और परस्पर प्रयोग बड़ी सोच के लोगों के बीच मानवता और सौहार्द के विकास का प्रतीक माना जाता है. अखिलेश ने कहा कि भाजपा को अपने नाम से 'पार्टी' हटाकर 'दल' लगाकर भाजद कर देना चाहिए.

India Vs Bharat Controversy: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा बनाम विपक्ष की लड़ाई इस बार मुद्दों से हटकर अब अन्य विषयों पर ज्यादा केंद्रित नजर आ रही है. इस पर आरोप प्रत्यारोप में देश का नाम ‘इंडिया’ और ‘भारत’ मुद्दा बना है. पहले विपक्ष के गठबंधन ‘इंडिया’ के नाम पर सत्तापक्ष ने कटाक्ष किया तो फिर देश का नाम बदलकर ‘भारत’ किए जाने की अफवाहों पर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला. वहीं इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी जाने-अनजाने चर्चा में आ गए हैं तो अखिलेश यादव ने नाम के इस विवाद को आगे बढ़ाते हुए भाजपा को नसीहत दे डाली है.

अखिलेश बोले भाजपा अपना नाम बदलकर करे भाजद

नाम के विवााद में ताजा बयान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि वैसे तो भाषाओं का मिलन और परस्पर प्रयोग बड़ी सोच के लोगों के बीच मानवता और सौहार्द के विकास का प्रतीक माना जाता है. उन्होंने कहा कि फिर भी अगर संकीर्ण सोचवाली भाजपा और उसके संगी-साथी किसी भाषा के शब्द को गुलामी का प्रतीक मानकर बदलना ही चाहते हैं, तब तो सबसे पहले भाजपा को भी अपना एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए. सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा को अपने नाम में से अंग्रेजी का शब्द ‘पार्टी’ हटाकर स्वदेशी परंपरा का शब्द ‘दल’ लगाकर भाजद कर देना चाहिए.

विपक्ष के गठबंधन I-N-D-I-A के नाम से हुई विवाद की शुरुआत

वैसे विवाद की शुरुआत विपक्षी दलों के एकजुट होकर India National Developmental Inclusive Alliance (I-N-D-I-A) के गठबंधन के साथ हुई. विपक्ष ने जहां इसे पूरे देश की एकता से जोड़कर दिखाने की कोशिश की, वहीं भाजपा की ओर से इस पर कटाक्ष किया गया.

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‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ को लेकर अफवाहों का बाजार गरम

ये विवाद जारी था कि हाल ही में जी20 सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित डिनर के लिए भेजे गए निमंत्रण में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा होने पर देश का नाम बदले जाने की संभावना को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया. इसे लेकर सत्तापक्ष की ओर से भी पलटवार किया जा रहा है. इस बीच देश का नाम बदले जाने की चर्चा के बीच समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का नाम सुर्खियों में आ गया है.

पहले भी देश का नाम बदलने की उठ चुकी है मांग

दरअसल यह पहला मौका नहीं है जब देश का नाम बदलने की कवायद हो रही है. इससे पहले भी एक बार ऐसी ही कोशिश की जा चुकी है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की सरकार में करीब 20 साल पहले 2004 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहने के दौरान विधानसभा में इंडिया का नाम बदलने के लिए प्रस्ताव लाया गया था. उस समय मुलायम सिंह यादव इंडिया का नाम भारत करने के लिए एक प्रस्ताव उत्तर प्रदेश की विधानसभा में लाए और इसे सर्वसम्मति से पास कराया.

मुलायम सिंह यादव ने विधानसभा में कही थी ये बात

भारतीय संविधान के भाग-1 के अनुच्छेद-1 (नेम एण्ड टेरीटोरी आफ यूनियन) में ‘इण्डिया दैट इज भारत’ के स्थान पर ‘भारत दैट इज इण्डिया’ करने हेतु संविधान में आवश्यक संशोधन किये जाने का प्रस्ताव लाते हुए तात्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सदन में कार्यवाही के दौरान कहा था कि ‘मैं कहना चाहता हूं कि जहां लिखा है संविधान में ‘इण्डिया इज भारत’ वहां ‘भारत इज इण्डिया’ लिख दिया जाए, लेकिन उसमें भी आज की तारीख में वे तैयार नहीं है.

मैं संसदीय कार्य मंत्री जी से कहूंगा कि वे प्रस्ताव यहां ले आयें. विधान सभा में इसकी बाबत और उसको पास करके संसद में भेजा जाए, इसमें क्या परेशानी है? ‘भारत इज इण्डिया’ अभी कर दिया जाए में इसका प्रस्ताव करता हूं माननीय उपाध्यक्ष जी हम प्रस्ताव करें कि संशोधन किया जाए, संविधान में जहां पर लिखा है ‘इण्डिया इज भारत’ वहां पर ‘भारत इज इण्डिया’ लिख दिया जाए. अगर अनुमति हो तो यह प्रस्ताव किया जाए. यह यहां से सर्वसम्मति से पास हो जाए?’

यूपी की विधानसभा में पास हुआ था प्रस्ताव

खास बात है कि समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2004 में हुए चुनाव के दौरान अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इस बात का जिक्र किया था कि वह देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करेगा. इसके लिए चुनावी घोषणापत्र में देश का नाम बदलने के लिए संविधान संशोधन की बात कही गई थी. जिसे सरकार बनने के बाद तीन अगस्त 2004 को मुलायम सिंह ने विधानसभा में पेश किया गया. सदन में पेश होने के बाद देश का नाम बदले जाने वाले प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास करने के बाद इसे केंद्र सरकार के पास भेजने की बात कही गई थी.

‘भारत दैट इज इंडिया’ को लेकर भेजा गया था प्रस्ताव

इस प्रस्ताव के तहत समाजवादी पार्टी के संस्थापक रहे स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने संविधान के भाग-1 के अनुच्छेद-1 में ‘इंडिया दैट इज भारत’ के स्थान पर ‘भारत दैट इज इंडिया’ करने के लिए संशोधन करने के लिए केंद्र सरकार के पास इस प्रस्ताव को भेजा था. वहीं ताजा प्रकरण में समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि मुलायम सिंह हमेशा से ही एक देश एक नाम के पक्षधर रहे हैं. उन्होंने खुद विधानसभा में संविधान में दर्ज ‘इंडिया दैट इज भारत’ के स्थान पर ‘भारत दैट इज इंडिया’ करने के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था.

अनुराग ठाकुर बोले- भारत नाम से एलर्जी क्यों

वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस ताजा प्रकरण को लेकर कहा कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. इससे पहले भी आपने भारत सरकार के नाम से कई आमंत्रण देखे होंगे. समस्या कहां है. उन्होंने कहा कि मैं भारत सरकार का मंत्री हूं, कई समाचार चैनलों के नाम में भी भारत है। भारत पर किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए, ये कौन लोग हैं जिन्हें भारत नाम से एलर्जी है.’ ठाकुर ने कहा, ”भारत नाम का विरोध कौन कर रहा है? अब क्या आपको भारत का नाम लेते ही दर्द महसूस होने लगा है? ये वही लोग हैं जो पार्टी को देश से पहले रखते हैं और राजनीति के दलदल में फंसे हुए हैं. उन्होंने विदेशी धरती से देश को बदनाम करने की भी कोशिश की है.

नाम बदलने से आपके कर्म नहीं बदल जाते

उन्होंने कहा कि इन दलों ने अपने 10 वर्षों के शासनकाल में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण अपने गठबंधन को संप्रग कहना बंद कर दिया था. लेकिन, वे भूल जाते हैं कि उन्होंने भले ही अपना संप्रग नाम छोड़ दिया हो. लेकिन, उनका चेहरा, चरित्र और आचरण वही है. सिर्फ संप्रग नाम बदलने से आपके कर्म नहीं बदल जाते. पूरा देश इस भ्रष्ट ‘घमंडिया’ गठबंधन को देख रहा है, जो अहंकार से भरा है.

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले और तेज होगी जंग

इस बीच राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इस तरह के कई विवाद और सामने आएंगे. दरअसल नरेंद्र मोदी के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए विपक्ष इस बार एकजुट होकर सामूहिक ताकत के साथ भाजपा का मुकाबला करने की तैयारी में है. इसलिए वह सरकार के खिलाफ हर मुद्दे को हवा दे रहा है. उधर सत्तापक्ष भी विपक्ष की एकजुटता अवसरवाद और परिवारवाद की राजनीति बताकर घेरने में जुटा है. ऐसे में हर छोटी और बड़ी बातें न सिर्फ मुद्दा बनेंगी, बल्कि आरोप प्रत्यारोप की लड़ाई और तेज होती नजर आएगी.

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