HDFC Bank Hikes MCLR: पहले से महंगाई की मार झेल रहे आमलोगों की जेब और खाली होने वाली है. देश के सबसे बड़े निजी बैंक एचडीएफसी ने अपने ग्राहकों के लिए कर्ज को महंगा कर दिया है. अब सात सितंबर से बैंक के कुछ चुनिंदा लोन पर ग्राहकों को ज्यादा ब्याज देना होगा. एचडीएफसी ने गुरुवार से बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग रेट (MCLR) की दरों में 15 बेसिस पॉइंट या 0.15 फीसदी का इजाफा कर दिया है. इसे ग्राहकों को अपने लोन पर अब ज्यादा ईएमआई देना होगा. नयी व्यवस्था के तहत ग्राहकों को अब होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन आदि के लिए ज्यादा ईएमआई देना पड़ेगा.
ब्याज के दरों में क्या पड़ा है अंतर
सात सितंबर से एचडीएफसी बैंक ने ओवरनाइट एमसीएलआर में 15 बीपीएस की बढ़ोतरी की है. इसके बाद रेट 8.35 से बढ़कर 8.50 फीसदी पर आ गया है. जबकि, बैंक ने एक महीने के एमसीएलआर में भी 10 प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. इससे रेट 8.45 से बढ़कर 8.55 फीसदी पर आ गया है. तीन महीने का एमसीएलआर 10 में बढ़ोतरी के बाद रेट 8.70 फीसदी से 8.80 फीसदी पर आ गया है. छह महीने के एमसीएलआर में बैंक के द्वारा 10 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी हुई है और ये 8.95 फीसदी से लेकर 9.05 फीसदी पर आ गया है.
कंज्यूमर लोन में कितना पड़ा फर्क
एचडीएफसी लोन के इजाफा से ऐसे कंज्यूमर लोन जो एक साल के एमसीएलआर से लिंक्ड होते हैं. उनमें पांच प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई है. ये 9.10 से बढ़कर 9.15 फीसदी पर पहुंच गया है. जबकि, एक साल और दो साल के एमसीएलआर में बैंक के द्वारा 0.05 फीसदी का इजाफा किया गया है. ये पहले 9.20 था जो अब 9.25 फीसदी पर पहुंच गया है. रिवाइज्ड बेस रेट 16 जून से प्रभावी है और ये संशोधित होकर 9.20 फीसदी पर आ गया है. बेंचमार्क PLR की दर संशोधित होतक 17.70 फीसदी पर होती है.
क्या है बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग रेट
बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लैंडिंग रेट (Benchmark Marginal Cost of Lending Rate – MCLR) एक निर्दिष्ट वित्तीय पैमाना है जिसे बैंकें अपने व्यापारिक ऋणों के लिए निर्धारित करती हैं. यह दर वित्तीय संस्थाओं को उनके विभिन्न ऋण उत्पादों के लिए उधार देने की नीतियों का एक हिस्सा है. MCLR द्वारा निर्धारित ऋण ब्याज के लिए वित्तीय संस्थाओं द्वारा उधार लेने और देने की दरें निर्भर करती हैं. इसका सीधा संबंध बैंक की वित्तीय आपूर्ति को विनिमय करने के लिए रिजर्व बैंक के साथ किया जाने वाला व्यापार यानी रेपो रेट से है. इसके साथ ही, बैंक की उपयुक्त नकदी आपूर्ति की लागत यानि कॉस्ट ऑफ डिपोजिट, बैंक को रिजर्व बैंक से अतिरिक्त नकदी के लिए लेने की दर, नई उधार देने की योजनाओं के लिए वित्तीय संस्था द्वारा अपनायी जाने वाली लागतों की दर से भी है. जिस तरह के ऋण उत्पाद के लिए आप आवेदन कर रहे हैं, उसके आधार पर बैंक MCLR के आधार पर ब्याज निर्धारित करेगा. आमतौर पर, बैंक MCLR को अपनी मार्जिन या रिवर्स रिपो दर के आधार पर निर्धारित करती है, जो उसकी लागतों को निर्धारित करने में सहायक होते हैं.
एमसीएलआर बढ़ने से लोन महंगे क्यों
भारत के बैंकिंग रेगुलेटर, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा MCLR या मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट को 2016 में लॉन्च किया गया था. एमसीएलआर अब क्रेडिट और होम लोन देने के लिए बैंकों की आंतरिक बेंचमार्क के तौर पर लागू है जिसे फ्लोटिंग ब्याज दर व्यवस्था भी कह सकते हैं. एमसीएलआर सीधे घर खरीदारों द्वारा लिए गए होम लोन की ईएमआई से जुड़ा हुआ है. लिहाजा एमसीएलआर बढ़ने से बैंकों के लोन महंगे हो जाते हैं और ऐसा ही एचडीएफसी बैंक ने किया है.
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