Q. मैं तलाकशुदा हूं. क्या मेरा पुनर्विवाह संभव है? मेरी जन्म तिथि-
– सुहानी मंडल, जमालपुर
21.08.1993, जन्म समय- 21.22, जन्म स्थान- मुंगेर
आपकी राशि कन्या और लग्न कुंभ है. आपकी कुंडली में पराक्रमेश और कर्मेश मंगल अष्टम भाव में आसीन होकर आपको मांगलिक बना रहा है, वहीं लाभेश और धनेश वृहस्पति की युति आपके स्वभाव को लचीला न बनाकर, झुंझलाहट व आक्रामकता से युक्त करके विवेकहीनता प्रदान कर रही है. विधाता का संकेत ही कि थोड़े से प्रयास से आपका पुनर्विवाह संभव तो है, पर कुंडली मिलान एक अनिवार्य शर्त है. नियमित रूप से वर्जिश, भ्रमण, प्राणायाम व ध्यान के साथ मस्तक, नाभि व जिह्वा पर केसर मिश्रित जल का लेप लाभ प्रदान करेगा, ऐसा ज्योतिष की पारंपरिक मान्यतायें कहती हैं.
एक बाबा ने मेरी बेटी को पुखराज पहनाने सलाह दी है. कृपया आप सलाह दें कि इसे धारण करना उचित होगा या नहीं?
– अनिल राय, पटना
तिथि- 09.03.2013, जन्म समय- 21.06 am, जन्म स्थान-मुजफ्फरपुर
आपकी राशि कन्या और लग्न कुंभ है. आपकी कुंडली में पराक्रमेश और कर्मेश मंगल अष्टम भाव में आसीन होकर आपको मांगलिक बना रहा है, वहीं लाभेश और धनेश वृहस्पति की युति आपके स्वभाव को लचीला न बनाकर, झुंझलाहट व आक्रामकता से युक्त करके विवेकहीनता प्रदान कर रही है. विधाता का संकेत ही कि थोड़े से प्रयास से आपका पुनर्विवाह संभव तो है, पर कुंडली मिलान एक अनिवार्य शर्त है. नियमित रूप से वर्जिश, भ्रमण, प्राणायाम व ध्यान के साथ मस्तक, नाभि व जिह्वा पर केसर मिश्रित जल का लेप लाभ प्रदान करेगा, ऐसा ज्योतिष की पारंपरिक मान्यतायें कहती हैं.
Qलोग कहते हैं नीलम भाग्य को चमका देता है. क्या इसे पहनने से मेरा भी नसीब खुल जायेगा?
जन्म तिथि-20.07.1990, जन्म समय-15.14, जन्म स्थान- बोकारो.
– प्रवीण दास, रांची
जीवन में उन्नति और प्रगति के लिए मीठी वाणी, उत्तम आचरण, क्षमा और धैर्य के साथ सही दिशा में सतत सही कर्म की दरकार है. कोई रत्न आप के कर्म और श्रम का स्थान ले लेंगे, ये सोच सही नहीं है. आपकी राशि आपकी राशि और लग्न दोनों मकर है. शनि आपके व्यय भाव में बृहस्पति की राशि धनु में आसीन है, जो शनि की उत्तम स्थिति नहीं है. रत्न ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार, इस योग में नीलम नकारात्मक फलों का सृजन करता है. अतएव मैं आपके लिए नीलम न पहनने की अनुशंसा करता हूं.
Q. क्या शनि लाभ भी देता है या सिर्फ परेशान करता है?
– जीवन सिंह, लातेहार
हमारी परेशानियों का सबब ग्रह नहीं, हमारे ज्ञात-अज्ञात कर्म हैं. शनि न्यायाधीश हैं, जो सिर्फ इंसाफ करते हैं. यदि शनि कुंडली में तृतीय, षष्ठ और एकादश भाव में आसीन हों, तो यह अपनी दशा में हानि नहीं लाभ का कारक बन जाता है. तब शनि से संबंधित कर्म अपार धन, संपत्ति व सफलता का सबब बनते हैं. तब तेल, चमड़े, लोहे, स्टील, मशीनरी, सर्विसिंग, कोयले व खनिज के क्षेत्र में बड़ी सफलता मिलती है.