कृष्ण कुमार, पटना. राज्य के 10 जिलों में करीब 10 हजार 778 हेक्टेयर में फैले 45 वेटलैंड्स का हेल्थ कार्ड बन रहा है. इसका मकसद इनके विकास सहित उपयोग की कार्ययोजना बनाना है. इससे भविष्य में वेटलैंड्स का संरक्षण तो होगा ही साथ ही कृषि और मत्स्य पालन भी किया जायेगा. इससे लोगों को रोजी-रोजगार भी मिलेगा. इनकी देखरेख के लिए आर्द्रभूमि मित्र का चयन किया जायेगा. इन दस जिलों में मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, मुंगेर, लखीसराय, बक्सर शामिल हैं. इनमें से समस्तीपुर जिले में सबसे अधिक 11 वेटलैंड्स करीब 3910 हेक्टेयर में हैं.
चार जिलों के चार वेटलैंड्स को रामसर साइट घोषित
सूत्रों के अनुसार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने राज्य के चार जिलों के चार वेटलैंड्स को रामसर साइट घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी कर रहा है. इनमें पश्चिम चंपारण जिले में करीब 319.7 हेक्टेयर में फैला उदयपुर झील, भागलपुर जिले में करीब छह हजार हेक्टेयर में फैला विक्रमशिला डॉल्फिन सेंचुरी, कटिहार जिले में करीब 137 हेक्टेयर में फैला गोगाबिल झील और बक्सर जिले में करीब 125 हेक्टेयर में फैला गोकुल जलाशय शामिल है.
बेगूसराय जिले का कांवरताल है रामसर साइट
फिलहाल राज्य में बेगूसराय जिले का कांवरताल रामसर साइट घोषित किया जा चुका है. इसके साथ ही पांच वेटलैंड्स को रामसर साइट घोषित करने की योजना तैयार की गई थी. उनमें कटिहार का गोगाबिल झील, जमुई जिले का नागी और नकटी, दरभंगा जिले का कुशेश्वरस्थान और वैशाली जिले का बरैला झील शामिल है. इसमें से स्थल निरीक्षण के बाद कुशेश्वरस्थान और बरैला वेटलैंड्स को रामसर साइट के उपयुक्त नहीं माना गया था.
क्या है रामसर साइट
रामसर साइट अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाले वेटलैंड्स को घोषित किया जाता है. दुनियाभर के रामसर साइट घोषित वेटलैंड्स के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने के लिए युनेस्को सहित विश्व की अन्य संस्थाओं द्वारा सहयोग किया जाता है. दरअसल ईरान के रामसर में साल 1971 को वेटलैंड्स सम्मेलन हुआ था. उसमें कई देशों ने संधि पर हस्ताक्षर किए जिसमें भारत भी शामिल था.
वेटलैंड्स का महत्व
पर्यावरण के जानकारों के अनुसार नदी किनारे या जलस्रोत की उपलब्धता वाली दलदली जमीन को वेटलैंड्स कहा जाता है. वेटलैंड्स को इको सिस्टम की किडनी कहा जाता है. इनको बचाकर ही इको सिस्टम को बेहतर बनाने की दिशा में काम हो सकता है. राज्य में लगभग चार हजार वेटलैंड्स हैं. इसमें से राज्य में 100 हेक्टेयर से बड़े 130 वेट लैंड्स हैं.
1971 में ईरान में रामसर सम्मेलन में परिभाषित हुई आर्द्रभूमि
वर्ष 1971 में ईरान में आयोजित रामसर सम्मेलन के अनुसार आर्द्रभूमि निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है. जैसे दलदल , पंकभूमि , पिटभूमि, जल, कृत्रिम या अप्राकृतिक, स्थायी या अस्थायी, स्थिर जल या गतिमान जल, ताजा पानी, खारा व लवणयुक्त जल क्षेत्रों को आर्द्रभूमि कहते है. बिहार के उत्तरी भाग में आर्द्रभूमि मुख्यत: मीठे जल के स्रोत के रूप में झील, मन, चौर, दियर आदि के रूप में पाई जाती है. राष्ट्रीय आर्द्र भूमि संरक्षण कार्यक्रम के तहत भारत में 115 आर्द्रभूमि क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है. इन आर्द्रभूमि स्थलों में से 3 बिहार में स्थित हैं.
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काँवर, बेगूसराय,
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बारिला, वैशाली,
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कुशेश्वर स्थान, दरभंगा
बिहार सिंचाई आयोग द्वारा वर्ष 1971 में राज्य की 3 लाख हेक्टेयर से भी अधिक भूमि को आर्द्रभूमि के रूप में चिह्नित किया गया है. आर्द्रभूमि पर्यावरण एवं जैव विविधता के साथ-साथ आर्थिक एवं संसाधनात्मक महत्त्व भी रखती है, जैसे स्वच्छ पानी, भोजन, अनुवांशिक संसाधन, जलवायु नियमन , मनोरंजन स्थल , मृदा का निर्माण , परंपरागत जीवन, उच्च जैव विविधता आदि. बिहार में कुल आर्द्रभूमि का 21% निजी स्वामित्व तथा 79% सरकारी स्वामित्व के अंतर्गत है.
बिहार के प्रमुख जल निमग्न (आर्द्रभूमि) क्षेत्र
क्र.स. जल निमग्न (आर्द्रभूमि) क्षेत्र स्थिति स्थान/जिला
1. काँवर झील मॅझौल बेगूसराय
2. कुशेश्वर स्थान झील कुशेश्वर स्थान दरभंगा
3. घोघा चाप मनिहारी कटिहार
4. सिमरी बख्तियारपुर झील सिमरी बख्तियारपुर सहरसा
5. उदयपुर झील उदयपुर पश्चिमी चंपारण
6. भुसारा मन भुसारा मुजफ्फरपुर
7. ब्रह्मपुरा मन मुजफ्फरपुर मुजफ्फरपुर
8. केसरिया चौर (खेतर) मोतिहारी पूर्वी चंपारण
9. चैता चौर पिपरी पकरी पश्चिमी चंपारण
10. मानसी चौर फुलिया खार खगड़िया
11. भरथुआ चौर भरथुआ मुजफ्फरपुर
12. भग्वा चौर बलुआ बाजार सहरसा
13. बोरा चौर खरकता ताल सहरसा
14. परबा मुरली चौर कुमार गेज सहरसा
15. मुरादपुर चौर मुरादपुर सहरसा
16. हरिया चौर अकीलपुर सारण
17. राघोपुर माजीपुर/मैनालिया/पैतिया वैशाली