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कोणार्क चक्र से नालंदा तक… जी20 शिखर सम्मेलन में दिखी भारत की भव्य विरासत, खूब हो रही चर्चा

G- 20 Summit: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी भारत मंडपम स्थल पर विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और अन्य विश्व नेताओं और उनके जीवनसाथियों के लिए एक औपचारिक रात्रिभोज में मेहमानों का स्वागत किया जहां यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल-प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिकृति प्रमुखता से नजर आई.

G- 20 Summit: भारत की अध्यक्षता में G20 शिखर सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है. समापन समारोह में पीएम मोदी ने आज यानी रविवार को जी 20 की अध्यक्षता ब्राजील के राष्ट्रपति इनासियो लूला डी सिल्वा को सौंप दी. साथ ही भारत की अध्यक्षता के दौरान लिए गए फैसलों पर हुई प्रगति की समीक्षा के लिए नवंबर में एक डिजिटल सत्र के आयोजन का प्रस्ताव दिया. भारत की ओर से जी 20 के सफल आयोजन के लेकर विदेशी मेहमानों ने भी पीएम मोदी को बधाई दी है. जी 20 के सफल आयोजन की देश दुनिया में जितनी चर्चा हो रही है. उतनी ही चर्चा आयोजन के दौरान रखी गई पांच चीजों की हो रही है. भारत मंडपम में ओडिशा के 13वीं सदी के कोणार्क मंदिर से लेकर बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय तक भारत की समृद्ध स्थापत्य विरासत को प्रमुखता से पेश किया गया.

नटराज मूर्ति
जी 20 के लिए तैयार की गई भारत मंडपम में कन्वेंशन हॉल के प्रवेश द्वार पर एक नटराज की मूर्ति रखी गई थी. नटराज की प्रतिमा की ऊंचाई 28 फीट थी. इस प्रतिमा में भगवान शिव को नृत्य के देवता के तौर पर दर्शाया गया है. इसे भगवान शिव के तांडव से भी जोड़ा जाता है, और भगवान शिव और सृष्टि के सृजन और विनाश के रूप में दर्शाया गया है. वहीं, भारत मंडपम में लगाई गई नटराज की मूर्ति थिल्लई नटराज मंदिर, उमा महेश्वर मंदिर और बृहदेश्वर मंदिर में स्थापित मूर्तियों से प्रेरित है. इन तीनों मंदिरों का चोल साम्राज्य में 9वीं से 11वीं सदी के बीच निर्माण किया गया था.

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नालंदा विश्वविद्यालय
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार रात भारत मंडपम स्थल पर विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और अन्य विश्व नेताओं और उनके जीवन साथियों के लिए एक औपचारिक रात्रिभोज में मेहमानों का स्वागत किया जहां यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल-प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिकृति प्रमुखता से नजर आई. नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है. मेहमानों का अभिवादन करते समय प्रधानमंत्री मोदी को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित जी 20 के कुछ नेताओं को विश्वविद्यालय के महत्व के बारे में बताते हुए भी देखा गया.

अधिकारियों ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय विविधता, योग्यता, विचार की स्वतंत्रता, सामूहिक शासन, स्वायत्तता और ज्ञान साझाकरण का प्रतिनिधित्व करता है – ये सभी लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के अनुरूप हैं. उन्होंने कहा कि नालंदा भारत की उन्नत शैक्षिक खोज की स्थायी भावना और भारत के जी 20 प्रेसीडेंसी थीम वसुधैव कुटुंबकम के अनुरूप एक सामंजस्यपूर्ण विश्व समुदाय के निर्माण की प्रतिबद्धता का जीता जागता प्रमाण है.

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कोणार्क चक्र
शाम के स्वागत समारोह की पृष्ठभूमि में नालंदा था, तो सुबह में भारत का कोणार्क चक्र फोकस में रहा. प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले जी 20 नेताओं का अभिवादन किया तो पृष्ठभूमि में ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर की एक सुंदर छवि दिखी.
13वीं शताब्दी में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है. इसका निर्माण राजा नरसिम्हा देव प्रथम के शासनकाल में किया गया था. 24 कड़ियों वाला कोणार्क चक्र भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज में समाहित है और यह भारत की प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है. यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार बंगाल की खाड़ी के तट पर, उगते सूरज की किरणों से नहाया हुआ कोणार्क का मंदिर सूर्य देवता के रथ का प्रतिनिधित्व करता है.

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इसके 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिजाइनों से सजाया गया है और इसे छह घोड़े खींचते हैं. अधिकारियों ने कहा कि कोणार्क चक्र की घूमती गति, समय, ‘कालचक्र’ के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है. यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. ‘मायगॉवइंडिया’ ने शनिवार को सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विश्व नेताओं के स्वागत अभिनंदन का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसका शीर्षक था ‘जी20 के नेताओं का अभिवादन – कोणार्क का कालचक्र केंद्र में आया.’

भारत मंडपम में भी कई कलाकृतियां लगाई गई थी, जिसमें ‘सूर्य द्वार’ प्रमुख था. इसमें सूर्य देव के घोड़ों को भी दर्शाया गया है. संस्कृति मंत्रालय ने भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ अन्य जी 20 सदस्य देशों के लिए शिखर सम्मेलन कक्ष के सामने स्थापित ‘संस्कृति गलियारे’ में सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया गया है. विशेष रूप से बड़े अवसर के लिए बनाए गए इस अस्थायी ‘कला गलियारे’ में कलाकृतियों को प्रत्यक्ष और डिजिटल रूपों में प्रदर्शित किया गया. पाणिनी के व्याकरण ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’, ऋग्वेद शिलालेख और मध्य प्रदेश में भीमभेटका गुफा चित्रों की डिजिटल छवियां, जो लगभग 30000 साल पुरानी है, को भी प्रदर्शित किया गया.

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संस्कृति मंत्रालय ने शनिवार को एक वीडियो के साथ ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, जब भारत ऐतिहासिक जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए विश्व नेताओं का स्वागत करने की तैयारी कर रहा है, भारत मंडपम में सांस्कृतिक गलियारा वैश्विक विरासत के प्रमाण और वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास के उत्सव के रूप में खड़ा है, इस उल्लेखनीय प्रदर्शन का गवाह बनें. मंत्रालय ने एक अन्य पोस्ट में नटराज की 27 फीट ऊंची प्रतिमा सहित परिसर के विभिन्न कला तत्वों को साझा किया और कहा, ‘‘यह महामंडपम हमारी महान सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों को दर्शाता है. वहीं, समिट के दूसरे दिन G20 देशों के नेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट पहुंचे. जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उनका स्वागत किया. इस दौरान वेलकम स्टेज के बैकग्राउंड पर साबरमती आश्रम की तस्वीर लगी हुई थी. जी 20 सम्मेलन में यह तस्वीर भी बहुत प्रसिद्ध हो रही है.

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