G20 Summit: जी20 सम्मेलन के पहले ही दिन शनिवार को दोपहर करीब 3:24 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे सेशन को संबोधित कर रहे थे. इस बीच उन्होंने एक घोषणा की. प्रधानमंत्री मोदी बोले, अभी-अभी एक खुशखबरी मिली है. हमारी टीम और सभी के कड़े मेहनत से नयी दिल्ली घोषणापत्र पर सहमति बन गयी है. जिस टीम का मोदी ने जिक्र किया, उसमें जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने अहम भूमिका निभायी. शेरपा अमिताभ कांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रविवार को लिखा, 200 घंटे तक बिना रुके चली बातचीत, 300 द्विपक्षीय बैठकें, 15 ड्राफ्ट के बाद सबसे मुश्किल हिस्सा रहे यूक्रेन जंग के मुद्दे पर सहमति बन सकी. इसके बाद घोषणा पत्र पारित हुआ.
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर दो हिस्सों में बंटे थे देश
शनिवार सुबह तक दुनिया का सबसे बड़ा कूटनीतिक जुटान रूस-यूक्रेन संघर्ष पर दो हिस्सों में बंटा दिख रहा था. संकेत यही थे कि आखिरी दिन तक रूस-यूक्रेन मुद्दे पर सहमति शायद ही बन सके. गतिरोध के बीच अंतिम समय में मोदी के निर्देश पर एनएसए अजीत डोभाल की एंट्री हुई. डोभाल ने तमाम देशों के प्रतिनिधियों से बात की. शुक्र-शनिवार की पूरी रात सहमति बनाने की दिशा में अंतिम कोशिश शुरू हुई. अंत में भारत को सफलता मिली.
-200 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार बातचीत की भारतीय राजनयिकों के एक दल ने
-300 द्विपक्षीय बैठकें कीं संयुक्त सचिव ई गंभीर व के नागराज समेत राजनयिकों के एक दल ने
-15 मसौदे वितरित किये गये विवादास्पद यूक्रेन संघर्ष पर अपने समकक्षों को सहमत करने को
-83 पैराग्राफ दिल्ली घोषणापत्र में, इन सब पर सदस्य देशों के बीच शत प्रतिशत सहमति बनी
Also Read: G20 Summit: ‘जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं तो ऐसा नहीं हुआ था’, शरद पवार ने मोदी सरकार पर किया हमलाभारत की कूटनीतिक जीत के हीरो की थरूर ने की प्रशंसा जी20 शेरपा अमिताभ कांत अपने सहयोगियों संयुक्त सचिव ई गंभीर और के नागराज नायडू के साथ. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने दिल्ली घोषणापत्र पर आम सहमति बनाने के लिए अमिताभ कांत की प्रशंसा की और कहा कि यह जी20 में भारत के लिए गौरवशाली क्षण था.
शब्दों में कूटनीति के इस्तेमाल से रूस को भी पसंद आया मसौदा, दी सहमति
यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस की निंदा जिस तरह से बाली शिखर सम्मेलन में की गयी थी, रूस और चीन को वह पसंद नहीं आया था. इस बार घोषणापत्र के शब्दों में फेरबदल करके रूस को भारत ने राजी कर लिया. नयी दिल्ली घोषणा पत्र में इस्तेमाल किये गये शब्दों में कूटनीति का इस्तेमाल करके भाषा का ऐसा इस्तेमाल किया गया है कि रूस और चीन उस पर राजी हो गये.
घोषणापत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को ‘यूक्रेन में युद्ध’ कहा गया
दिल्ली घोषणापत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र तो है, लेकिन रूस का नाम नहीं लिया गया है. उसे यूक्रेन में युद्ध कहा गया है. घोषणा पत्र में पहले प्वाइंट में कहा गया कि युद्ध और विवादों से दुनिया पर नकारात्मक असर हो रहा है.
चीन ने अचानक बदला रूख
इसके बाद चीन के रुख में अचानक परिवर्तन आया. अब तक यूक्रेन के मुद्दे पर रूस के रुख से इतर चीन कुछ भी नहीं सुन रहा था, लेकिन अचानक इस मसले पर उसने भी बातचीत शुरू की. जैसे ही चीन का रुख नरम पड़ा, रूस के लिए भी अकेले प्रतिरोध करना मुश्किल हो गया. उधर रूस को भी भरोसा दिलाया गया कि उनकी बातों का खयाल रखा जायेगा. पुतिन सरकार ने फिर भरोसा दिलाया कि अगर दूसरे देश रुख लचीला रखेंगे, तो वह भी अड़ंगा लगाने से बचेगा. पाकिस्तान और चीन की तारीफ करने से बाज नहीं आनेवाले तुर्की ने भी भारत और जी-20 के नेतृत्व के लिए पीएम मोदी की तारीफ की है.
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चीन के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों को रूस के प्रति अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाने के लिए मनाया गया. इसके लिए दुनिया के धनी देशों के समूह जी7 तक पहुंच बनाने की पहल शुरू हुई. जापान और अमेरिका के अधिकारियों से इसके लिए लंबी बात हुई. उनके सामने अलग-अलग प्रस्ताव के ड्राफ्ट दिये गये. यहां भी तब उम्मीद की किरण दिखी, जब इन देशों ने रूस-यूक्रेन जंग के मसले पर रूस के खिलाफ कड़ा स्टैंड अपनाने की अपनी जिद छोड़ी और ये देश दूसरे विकल्पों पर बात करते दिखे. नयी दिल्ली घोषणापत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र तो है, लेकिन रूस का नाम नहीं लिया गया है. उसे यूक्रेन में युद्ध कहा गया है.