गुमला, जगरनाथ पासवान : गुमला, सिमडेगा व हजारीबाग जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत महाझींगा मछली का पालन होगा. इसको लेकर पहल शुरू कर दी गयी है. एससी-एसटी वर्ग के मत्स्य पालक किसानों से महाझींगा का पालन कराया जायेगा. मत्स्य विभाग ने केंद्रीय अंतर स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) बैरकपुर, कोलकाता के सहयोग से झारखंड के जलाशयों में महाझींगा संवर्धन के माध्यम से जनजातीय समुदायों की आजीविका में सुधार के लिए पहल की है.
झारखंड का केज कल्चर देश में नंबर वन
आईसीएआर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट एके दास ने मत्स्य पालक किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि झारखंड का केज कल्चर पूरे देश में नंबर वन पर है. अब इस प्रकार यहां महाझींगा को भी नंबर वन बनाना है. इसके लिए यहां एक पायलट प्रोजेक्ट बनाया गया है. प्रोजेक्ट के तहत गुमला, सिमडेगा व हजारीबाग जिले में महाझींगा उत्पादन को बढ़ावा देना है, ताकि मात्स्यिकी के किसान लाभान्वित हो सके.
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मत्स्य पालन से आर्थिक उन्नति
उन्होंने कहा कि महाझींगा पालन कर आप अपने सपनों को साकार कर सकते हैं क्योंकि अन्य मछलियों की अपेक्षा महाझींगा मछली महंगी है. कहा कि झारखंड में मछली पालन के क्षेत्र में तरक्की हो रही है. मछली पालन करनेवाले लोग मछली से आर्थिक उन्नति कर रहे हैं.
16 व 18 सितंबर को डैम में डाला जायेगा बीज
एके दास ने कहा कि सरकार भी मछली पालक किसानों का पूरा सहयोग कर रही है. महाझींगा पालन में भी सरकार आपका सहयोग करेगी. आप आगे बढ़ कर लाभ उठायें. आप एक कदम चले, हम आपके लिए 10 कदम चलेंगे. प्रोजेक्ट के तहत 16 व 18 सितंबर, 2023 को गुमला के मसरिया बांध व हजारीबाग में दो-दो लाख तथा सिमडेगा के केलाघाघ में चार लाख महाझींगा मछली के बीज डाले जायेंगे. इसके बाद रांची में 20 सितंबर को राज्यस्तरीय बैठक होगी. इसमें कई वरीय अधिकारी रहेंगे. बैठक में मछली पालक किसानों को भी आमंत्रित किया जायेगा.
एसटी-एससी वर्ग के लोगों को मिलेगा लाभ
जिला मत्स्य पदाधिकारी कुसुमलता ने कहा कि एसटी-एससी वर्ग के लोगों को मात्स्यिकी के क्षेत्र विशेषकर महाझींगा पालन में बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. यह प्रोजेक्ट यहां महाझींगा पालन व किसानों की आर्थिक उन्नति में मील का पत्थर साबित होगा. कहा कि सभी जानते हैं कि मछली में भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं, जो शरीर की कई तरह की बीमारियों व शारीरिक कमजोरियों विशेषकर कुपोषण को दूर करने का बहुत ही कारगर है. लेकिन, महाझींगा उन सभी मछलियों से भी अधिक कारगर है. साथ ही अन्य मछलियों की अपेक्षा महाझींगा और भी अधिक महंगी है. यह मछली 400-500 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिकती है. इसका पालन करने में सरकार आपका सहयोग करेगी और मछली तैयार होने के बाद इसका सारा लाभ आपको मिलेगा. आप इसे भोजन के रूप में उपयोग कर सकते हैं और बाजार में बिक्री कर आर्थिक आमदनी कर सकते हैं. रांची रिसर्च सेंटर के रणविजय कुमार, समन्वयक अजय कुमार पांडेय समेत कई लोग किसानों को प्रशिक्षित करने में लगे हैं.