Bhadrapad Amavasya 2023 Date: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. वैसे तो अमावस्या तिथि हर महीने में पड़ता है. लेकिन हर अमावस्या तिथि का अपना अलग महत्व होता है. पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 14 सितंबर दिन गुरुवार यानि आज है. इस दिन स्नान दान करने का विधान है. धार्मिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि अन्य अमावस्या तिथि से अलग माना जाता है, क्योंकि भाद्रपद अमावस्या पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाता है.
ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री के अनुसार भाद्रपद अमावस्या तिथि के दिन कुछ अचूक उपाय करने से कई तरह के लाभ भी मिलते हैं. भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या, कुशोत्पाटिनी या कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल भाद्रपद अमावस्या के दिन अद्भुत योग का संयोग बन रहा है. भाद्रपद अमावस्या के दिन साध्य, बुधादित्य योग और पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र योग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इस संयोग को बहुत शुभ माना जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या के दिन भूलकर भी किसी व्यक्ति को बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए. ऐसा करने से आपके पितृ नाराज हो सकते हैं और आपको पितृ दोष लग सकता है. इसके अलावा अमावस्या के दिन बाल धोना भी वर्जित माना गया है. वहीं अमावस्या के दिन किसी भी व्यक्ति को क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.
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अमावस्या तिथि को सुबह पवित्र नदी में स्नान करें. अगर नहीं में संभव न हो तो घर पर स्नान करें. इसके बाद वेदी स्थापित करें और सौभाग्य लक्ष्मी की तस्वीर को लाल कपड़े पर रखें. एक थाली रखें और उस पर नौ सिक्के रखें, जिन्हें हल्दी, चंदन, सिन्दूर और फूलों से विधिवत सजाया जाए. फूल, प्रसाद, धूप और पीले चावल चढ़ाकर लक्ष्मी पूजा करें.
अमावस्या के दिन गेहूं के दाने और आटे जैसे खाद्य पदार्थों से भी परहेज करना चाहिए. आपको विशेष रूप से ‘भाद्र माह’ की अमावस्या के दौरान गेहूं खरीदने से बचना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि अगर आप इस दिन खरीदा गया गेहूं खाते हैं तो यह सीधे आपके पितरों के पास जाता है, जो अशुभ माना जाता है.
भादो की अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदियों में स्नान कर पितरों की पूजा और दान करने का विधान है. ऐसा करने से पुण्य प्राप्त होता है और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है. जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनके लिए अमावस्या तिथि पर उपाय करना अच्छा रहता है.
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– सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
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– सूर्य देव और पितरों को जल अर्पित करें. इससे घर से कलह और दरिद्रता दूर होगी.
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– इसके बाद पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करें.
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– इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है.
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– भगवान विष्णु की पूजा कर उन्हें पीले पुष्प-वस्त्र, चन्दन, सुपारी, कुमकुम अर्पित करें.
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– घी का दीपक और धूप जलाकर आराधना करें.
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– इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और गरीबों या जरूरतमंदों को दान दें.
अमावस्या की रात तंत्र साधना के लिए बहुत खास रहती है. अघोरी और तांत्रिक अमावस्या की रात श्मशान घाट में साधना करते हैं और अपनी शक्तियों को बढ़ाते हैं. इस कारण से अमावस्या की रात नाकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं. इस कारण श्मशान घाट या सुनसान जगहों के आसपास से गुजरने से बचना चाहिए.
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अमावस्या का दिन अशुभ माना जाता है. इस दिन भक्त को विशेष रूप से ‘भाद्र माह’ की अमावस्या के दौरान गेहूं के अनाज और आटे जैसी खाद्य वस्तुओं को खरीदने से बचना चाहिए. प्राचीन काल से ही हिंदू कैलेंडर में चंद्रमा के पाक्षिक चक्र को समय की गणना का मुख्य स्रोत माना जाता रहा है.
भगवान शिव माता पार्वती की उपासना करते हैं. अमावस्या तिथि के देवता पितर होते हैं. इसी कारण से अमावस्या के दिन पितरों का पूर्वजों का श्रद्धा भाव के साथ गंगा स्नान आदि के बाद तर्पण करना पितरों की शुभ कृपा में वृद्धि होती है. ऐसा माना जाता है पितृ गण अपने वंशजों को आशीर्वाद देने के लिए अमावस्या तिथि पर पृथ्वी पर आते हैं.
गाय में सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है. इसलिए अधिकमास की अमावस्या पर गाय को आटे की लोई में गुड़ डालकर खिलाएं और साथ ही हरा चारा भी डालें. ऐसा करने से आपको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी.
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अमावस्या के दिन पूजा पाठ करने के बाद आटे की गोलियां बनाये और उन्हें तालाब की मछलियों को खिलाएं. ऐसा करने पर आपको पुण्य की प्राप्ति होगी और सभी चिंताएं समाप्त हो जाएंगी.
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अमावस्या के टोटके में एक यह है कि इस दिन काली चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाने से मनोकामना की पूर्ति होती है और आपके द्वारा किये सभी पापों का क्षय होगा.