उत्तर प्रदेश में अब तक डेंगू के 3400 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. गाजियाबाद, नोएडा और लखनऊ में डेंगू के 1100 से ज्यादा मामसे सामने आए हैं. गाजियाबाद और नोएडा में 4 दिनों में तीन लोगों की जान भी जा चुकी है. नोएडा में डेंगू का डेन-2 स्ट्रेन पाया गया है, जो बाकी स्ट्रेन के मुकाबले घातक होता है. डेंगू का मच्छर बारिश के मौसम ज्यादा तेजी से पनपता है. इस बार बारिश में गंगा, यमुना समेत कई नदियों का जलस्तर बढ़कर बाढ़ के हालात बने हुआ है. इससे मच्छरों को पनपने का मौका मिला.
बता दें कि पिछले साल के मुकाबले इस साल अब तक चार गुना ज्यादा डेंगू के मामले सामने आ चुके हैं. प्रदेश में इस हफ्ते हुई भारी बारिश से डेंगू के एडीज मच्छर (एशियन टाइगर) बढ़ गए हैं. डॉक्टर कह रहे हैं कि इस बारिश से डेंगू के मामले सर्दियां शुरू होने के बाद तक आ सकते हैं. जिन जगहों पर बारिश में पानी जमा हुआ है, वहां पर ज्यादा सावधानी की जरूरत है.
वहीं, लखनऊ में लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय के निदेशक डॉ. नीलांबर श्रीवास्तव ने कहा कि डेंगू का मच्छर सूर्य के निकलने के 3 घंटे और सूर्य अस्त से पहले के तीन घंटों में ज्यादा एक्टिव होता है. यह मच्छर रात में या तेज धूप में ज्यादा एक्टिव नहीं रहता. अगर कोई स्टेंडिंग पोजिशन में हैं, तो यह मच्छर उसे घुटने से नीचे काट सकता है. उन्होंने आगे बताया कि अगर कोई बैठे हुए या लेटी हुई पोजिशन में है तो हाथ और चेहरा भी इसकी जद में आ जाता है. यह मच्छर घर, ऑफिस और पार्क सभी जगहों पर मिलता है.
इसलिए घर में या बाहर निकलने पर हाथों-पैरों को पूरी तरह से कवर रखें. डेंगू से संक्रमित इंसान को काटकर एडीज मच्छर दूसरे इंसानों तक इस वायरस को पहुंचाता है. डॉ. नीलांबर ने बताया कि जिस मौसम में डेंगू नहीं फैलता, यह मच्छर तब भी एक्टिव रहता है लेकिन डेंगू नहीं फैला पाता. मच्छरों के अलावा डेंगू चुनिंदा मामलों में ही इंसानों से इंसानों में फैल सकता है जैसे- ब्लड ट्रांसफ्यूजन या बच्चे को जन्म देते समय महिला से बच्चे को.
जोड़ों में दर्द की वजह से आम बोलचाल की भाषा में डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है, क्योंकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत दर्द होता है. डेंगू मच्छर के काटने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं. कई बार बुखार नहीं भी आ रहा है. डेंगू का सबसे अहम लक्षण बुखार है जो 4 से 10 दिन तक रह सकता है. ये मरीज की उम्र, जेंडर, इम्यूनिटी और मेडिकल कंडिशन पर भी डिपेंड करता है. यह मच्छर साफ पानी में पनपते हैं. इसलिए शहरों में पानी भरने पर डेंगू के मामले तेजी से फैलते हैं.
डॉ. नीलांबर कहते हैं कि अगर कोई मरीज एक स्ट्रेन से संक्रमित है, तो उसकी इम्यूनिटी दूसरे स्ट्रेन के मरीज पर काम नहीं करेगी. हां, अगर वह रिकवरी के बाद दूसरे स्ट्रेन से संक्रमित हो गया, तो यह स्थिति जानलेवा हो सकती है. कई मरीजों में डेंगू की इम्यूनिटी कुछ महीने तो कुछ में सालभर के लिए रहती है. सामान्य डेंगू बुखार में ऐसा नहीं होता, लेकिन डेंगू हेमोरेजिक फीवर या डेंगू शॉक सिंड्रोम में मल्टीपल ऑर्गन को खतरा रहता है.
मच्छरों से होने वाले रोगों और लिवर इन्फेक्शन का न केवल एक ही टाइम है, बल्कि डेंगू का लिवर पर भी असर पड़ता है. डेंगू होने पर लिवर में स्वेलिंग, वायरल हेपेटाइटिस, पीलिया के लक्षण दिखना, लिवर एंजाइम बढ़ने के साथ पेट दर्द भी होता है. इसी तरह डेंगू में डिहाइड्रेशन और लो ब्लड प्रेशर से किडनी के फंक्शन पर भी असर पड़ता है. किडनी तक ब्लड फ्लो कम होने पर किडनी इंजरी भी हो जाती है. डेंगू शॉक सिंड्रोम होने पर दिल को शरीर के अहम अंगों तक खून पहुंचाने में अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है. इससे कार्डियोवस्कुलर सिस्टम डगमगा जाता है.
डॉ. नीलांबर श्रीवास्तव ने बताया कि डेंगू के लक्षण सामने आने पर अपनी मर्जी से कोई ब्लड टेस्ट न कराएं. तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और लक्षण बताएं. लक्षण देखकर ही टेस्ट और ट्रीटमेंट शुरू होता है. क्योंकि बिना डॉक्टर की सलाह से दवा लेने पर शरीर से प्लेटलेट्स अचानक कम हो सकती हैं. खासतौर पर सिरदर्द या बदनदर्द होने पर डिस्प्रिन या एस्प्रिन लेने से ब्लीडिंग बढ़ सकती है.
डॉक्टर भी डेंगू के इलाज में बुखार और दर्द कम करने के लिए पैरासिटामोल देते हैं. यह ब्लड क्लॉट नहीं बनने देती. डेंगू से रिकवरी के 3-4 दिन बाद भी चक्कर आने या अचानक बेहोशी के मामले सामने आते हैं. बच्चों में ऐसा ज्यादा देखा जाता है. 2-3 दिन नॉर्मल रहने के बाद ब्लड में बदलाव आता है. कई बार ब्लड प्रेशर लो होने से बेहोशी आ जाती है. बता दें कि डेंगू के मच्छर को एशियन टाइगर के नाम से जाना जाता है.
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NS1 एंटीजन टेस्ट करते हैं. यह टेस्ट खून में डेंगू वायरस का पता लगाता है.
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IgM-IgG एंटीबॉडी टेस्ट से शरीर में डेंगू के खिलाफ इम्यूनिटी का पता चलता है. यह गंभीर मरीजों के लिए किया जाता है.
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PCR को एडवांस लेवल का टेस्ट माना जाता है. यह डेंगू वायरस को शुरुआती फेज में ही पकड़ लेता है. उम्रदराज – सेंसिटिव हेल्थ वाले मरीजों का यही टेस्ट किया जाता है.
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CBC टेस्ट प्लेटलेट काउंट जानने के लिए किया जाता है. गंभीर मरीजों के लिए रोज-सामान्य स्थिति में हफ्ते में एक बार यह जांच होती है.
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सेरोलॉजिकल टेस्ट बताता है कि मरीज डेंगू के चार स्ट्रेन में से किससे पीड़ित है.
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डेंगू में पसीने-उल्टी से बॉडी डिहाइड्रेट होती है, इसलिए दिन में 3-4 लीटर पानी पीएं. नारियल पानी भी रेगुलर पीएं.
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डेंगू की रिकवरी में आंवला, कीवी, संतरा जैसे खट्टे और रसीले फल खाएं. विटामिन सी से इम्यूनिटी बढ़ेगी और इन्फेक्शन दूर होगा.
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अनार, पपीता, पालक, बीन्स को भी डाइट में शामिल करें. यह डाइजेशन और प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में हेल्प करेंगे.
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खाना कम-कम कर कई बार खाएं. खिचड़ी, दही, उबली सब्जियां और मूंग दाल लें. पचाने में आसानी होगी.
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होल ग्रेन यानी दलिया, किनुआ, बाजरा लें. इससे ब्लड शुगर लेवल ठीक बना रहेगा.
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ऑयली और स्पाइसी फूड से बचें. यह डाइजेस्टिव सिस्टम पर लोड डालते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं.
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इस दौरान चाय, कॉफी या अल्कोहल का सेवन न करें, यह डिहाइड्रेशन को बढ़ाता है.