लखनऊ: ग्रामीण इलाकों की लड़कियां पढ़ना तो चाहती हैं लेकिन उन्हें परिवार का सहयोग नहीं मिल रहा है. पढ़ाई पूरी करने की जगह वह स्कूल छोड़ कर घर पर बैठ जाती हैं. उन्हें आगे की पढ़ाई के लिये मौका नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है या फिर वह घरेलू जिम्मेदारियों में जल्दी लगा दी जाती हैं. यह निष्कर्ष एक स्टडी में सामने आया है. बुधवार को इस स्टडी के तथ्यों की जानकारी एक कार्यशाला के माध्यम से दी गयी.
वात्सल्य संस्था की सुगंधा परियोजना के अतंर्गत आयोजित नॉलेज, एटीट्यूड, प्रैक्टिस व बिहैवियर पर आधारित रिपोर्ट की जानकारी देते हुए डॉ. नीलम सिंह ने बताया कि शिक्षा के अधिकार के तहत प्रत्येक 6 से 14 साल के बच्चे को पढ़ाई जरूरी की गयी है. इसी के तहत लखनऊ के माल ब्लॉक के 32 गांवों पर हुई एक स्टडी की गयी है. जिसमें 184 लड़कियां, 173 माता-पिता, 241 अन्य समाज के जिममेदार लोग शामिल थे.
वात्सल्य संस्थान की कार्यकारी डॉ. नीलम सिंह ने बताया कि इस स्टडी में यह पता चला है कि सामाजिक, आर्थिक व अन्य कारणों से लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं. स्टडी पर नजर डालें तो देखते हैं कि कक्षा 1 से 5 तक लगभग 44.60 फीसदी लड़कियां स्कूल जाना छोड़ देती हैं. कक्षा 6 से 8 तक यह प्रतिशत बढ़कर 55.30 फीसदी हो जाता है. स्कूल छोड़ने का सबसे बड़ा कारण घर के कार्यों में जुट जाना है. लगभग 66.30 प्रतिशत लड़कियां घर के कार्यों से जुटने के कारण स्कूल जाना छोड़ देती हैं. वहीं अन्य कारणों में आर्थिक (14%), स्कूल दूर होना (5) , पढ़ाई में मन ना लगना (8.10%) है.
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डॉ. नीलम सिंह ने बताया कि वात्सल्य संस्था माल ब्लॉक के एक कस्तूरबा गांधी विद्यालय, 24 प्राथमिक व उच्च् प्राथमिक विद्यालयों, 23 पंचायतों के 32 गांवों में सुगंधा परियोजना चला रही है. इसमें बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने, बालिकाओं को सशक्त बनाने के कार्य किये जा रहा हैं. इसमें मुख्य रूप से जीवन कौशल कार्यशाला, बाल संरक्षण समिति को सुदृढ़ करना, अभिभावक समूह व किशोर समूह के साथ लिंग समानता के बारे में जानकारी दी जा रही है. कार्यशाला में विशेषज्ञ बालिका शिक्षा इकाई समग्र शिक्षा मुकेश सिंह, वात्सल्य संस्थान की वर्षा सिंह, कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की वार्डन, माल ब्लॉक के समुदायों से किशोरियां, अभिभावक समूह, बाल संरक्षण समित सदस्य, शिक्षा क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं प्रतिनिधि मौजूद थे.
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घर की जिम्मेदारी
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जल्दी शादी हो जाना
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बाल श्रम
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स्कूल दूर होना
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स्कूल आने जाने में असुरक्षा
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स्कूल में स्वच्छता का अभाव
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शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका न समझना
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आगे की पढ़ाई के लिये वित्तीय बाधा आना