24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हिंदी दिवस विशेष: टाइपराइटर के हिंदी कीबोर्ड का किसने किया था आविष्कार, पटना से गहरा नाता, जानिए

हिंदी दिवस विशेष: दुनिया को टाइपराइटर का हिंदी की-बोर्ड पटना ने दिया था. इसका आविष्कार पटना साइंस कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर कृपानाथ मिश्रा ने किया था. इसका पेटेंट भी उनके नाम पर है.

विश्व हिंदी दिवस विशेष: आज की इस आधुनिक दुनिया में अधिकांश काम कंप्युटर व मोबाइल से किए जाते हैं, जिस पर हम आसानी से अंग्रेजी के साथ हिंदी में टाइप कर लेते हैं. लेकिन एक वक्त था जब टाइपराइटर पर काम हुआ करता था. हर कार्यालय में इसे देखा जा सकता था. लेकिन उस वक्त कीबोर्ड सिर्फ अंग्रेजी में हुआ करते थे, हिंदी में टाइपिंग करना मुमकिन नहीं था. ऐसे में पटना साइंस कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के प्रो. कृपानाथ मिश्रा ने सालों की मेहनत के बाद टाइपराइटर के लिए हिंदी कीबोर्ड बनाया.

पटना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने बनाया था हिंदी कीबोर्ड

दरअसल भारत में अंग्रेजों के जमाने से सरकारी दफ्तरों में टाइपराइटर का इस्तेमाल हो रहा है. आजादी के बाद भी कार्यालयों में अंग्रेजी में टाइपिंग होती रही. इसके बाद साल 1950-60 के दौर में सरकारी कार्यालयों में हिंदी में कामकाज बढ़ने लगा. लेकिन उस वक्त टाइपराइटर में हिंदी कीबोर्ड नहीं होने की वजह से परेशानी बढ़ने लगी. इसके बाद पटना साइंस कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के प्रो. कृपानाथ मिश्रा ने हिंदी कीबोर्ड की जरूरत को समझते हुए इस पर काम करना शुरू किया. उन्होंने हिंदी किबोर्ड पर कई सालों तक काम किया तब जा कर उन्हें कामयाबी मिली. उनके प्रयास से ही सरकारी कार्यालयों में धीरे-धीरे हिंदी टाइपिंग की शुरुआत हुई.

अंगुलियों के अनुरूप रखे गए थे कीबोर्ड के बटन

प्रो. कृपानंद ने कुल तीन टाइपराइटर में हिंदी कीबोर्ड तैयार किया था. इनमें से एक श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र, पटना को दिया गया था. उन्होंने की-बोर्ड को इस तरह से डिजाइन किया था कि सहज तरीके से टाइपिंग की जा सके. हिंदी में कई ऐसे अक्षर हैं जिनका उपयोग सरकारी कार्यालयों या समाचार पत्रों में ज्यादा होता था. ऐसे में अक्षरों को उन बटनों पर रखा गया जहां अंगुलियों की पहुंच आसान हो. कम उपयोग वाले अक्षर ऊपर और नीचे की पंक्ति में रखे गए थे. उस वक्त के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी प्रो. कृपानंद द्वारा टाइपराइटर के लिए तैयार की गई हिंदी की-बोर्ड की प्रशंसा की थी.

कौन थे प्रो. कृपानाथ मिश्र

प्रो. कृपानाथ मिश्र द्वारा बनाए गए इस देवनागरी लिपि वाले की- बोर्ड का नाम मिश्र कीबोर्ड रखा गया था. कृपानाथ मिश्र द्वारा बनाये कीबोर्ड के साथ जो पहली टाइपराइटर बनी गई, वह जर्मनी में ‘ओलंपिया’ नाम की कंपनी ने बनाया था. 10 अक्टूबर 1923 को मधुबनी के सनकोथरु में जन्में कृपानाथ मिश्र अंग्रेजी के प्रोफेसर होने के साथ ही जर्मन भाषा के विद्वान भी थे. इसके साथ ही वो यूरोपियन संगीत के भी बहुत अच्छे जानकार थे.

कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं प्रो. कृपानाथ मिश्र

प्रो. कृपानाथ मिश्र की पकड़ अंग्रेजी और जर्मन के साथ ही हिंदी और संस्कृत पर भी थी. उन्होंने कई पुस्तकें और उपनयस भी लिखे हैं. उन्हें 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार, कामिल बुल्के पुरस्कार, ग्रियर्सन पुरस्कार के अलावा 1988 में बिहार सरकार ने भी सम्मानित किया है.

Also Read: Hindi Diwas 2023: क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस? जानें भारत में हिंदी भाषा को कितने लोग मानते हैं मातृ भाषा

किसके पास है टाइपराइटर का पेटेंट…

आपको बता दें कि 23 जून 1868 को अमेरिका ने क्रिस्टोफर लाथम शोल्स के टाइपराइटर को पेटेंट दिया था. यह पहली मशीन थी, जिसमें क्वर्टी की-बोर्ड लेआउट लगा था. वहीं टाइपराइटर के हिंदी की-बोर्ड का पेटेंट पटना साइंस कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के प्रो. कृपानाथ मिश्रा के नाम है.

Also Read: Hindi Diwas 2023: क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस? जानें भारत में हिंदी भाषा को कितने लोग मानते हैं मातृ भाषा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें