पटना. परिवहन विभाग ने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए जिलों को लक्ष्य दिया है. अब सभी जिलों में अधिकारियों को सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 10 प्रतिशत की कमी लाने के लिए काम करना होगा और इसको लेकर जिलों को हर माह रिपोर्ट बना कर विभाग को भेजा होगा. जिसमें दुर्घटनाओं का आंकड़ा और दुर्घटनाएं कम करने के लिए किये गये काम का पूरा ब्योरा रहेगा.
जिलों में बनेगा चलंत दस्ता, दुर्घटना वाले क्षेत्रों पर होगा अधिक काम
विभाग ने सभी जिलों में चलंत दस्ता बनाने का निर्देश दिया है. जो उन सभी इलाकों का मुआयना करेगी. जहां सड़क दुर्घटनाएं सबसे अधिक होती है. उन इलाकों में तकनीकी जांच के बाद कमियों को तुरंत दूर किया जायेगा. इसमें उन सभी विभागों का सहयोग लिया जायेगा,जो सड़क सुरक्षा अभियान से जुड़े है. टीम का नेतृत्व जिलों में डीएम के स्तर पर होगा.
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आमलोगों को दी जायेगी ट्रनिंग
राज्य भर में सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को तुरंत फर्स्ट ऐड और प्री हॉस्पिटल ट्रीटमेंट देने के लिए गाड़ी चालकों व आमलोगों को ट्रेनिंग दी जायेगी, ताकि घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने में दिक्कत नहीं हो और उनकी जान भी बच सकें. परिवहन विभाग ने तय किया है कि बिहार सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा पटना सहित जिलों में ऑटो और बस चालकों को फर्स्ट ऐड, प्री हॉस्पिटल और सीपीआर की ट्रेनिंग दी जायेगी. जिसमें आमलोगों को भी जोड़ा जायेगा.
जिला स्तर पर बनेगी विशेष सलाहकार समिति, अधिकारियों की करेंगे मदद
जिला स्तर पर एक- एक विशेष सलाहकार समिति बनाया जायेगा. जो दुर्घटना वाले क्षेत्र के संबंध में अधिकारियों की सहायता करेंगे. इनमें जिला प्रशासन, परिवहन, पथ निर्माण, जनप्रतिनिधि, युवा, एनसीसी छात्र एवं महिलाओं को भी रखा जायेगा. यह सभी मिल कर उन इलाकों के संबंध में अपनी बातों को रखेंगे कि दुर्घटना का कारण क्या है. इसमें सुधार के लिए क्या करना होगा.
साल @दुर्घटना @मौत
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2017 @8855 @5554
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2018 @9600@ 6699
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2019 @9553 @7660
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2020 @8639 @6697
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2021 @9553 @7659
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2022@ 5630 @4684 जून तक
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इन जिलों होती है सबसे अधिक दुर्घटनाएं
परिवहन विभाग की समीक्षा रिपोर्ट के बाद कैमूर, सुपौल, बक्सर, मधेपुरा, कटिहार, बांका, भोजपुर, अरवल, सीवान, खगड़िया, शिवहर, गोपालगंज, शेखपुरा, मुजफ्फरपुर, रोहतास, नालंदा, औरंगाबाद, जमुई, पूर्णिया में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती है.
सड़क सुरक्षा मानकों की अगल से बनेगी रिपोर्ट
सड़क सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए कई विभाग मिल कर काम करते है. इन सभी विभागों के कामों का फिर से ऑडिट होगा. जिसमें देखा जायेगा कि सड़क सुरक्षा नियमों का पालन कहां-कहां नहीं किया गया है. विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आयी है कि सड़क सुरक्षा के कई मानकों के नहीं पूरा होने से रात में सड़क दुर्घटनाएं भी अधिक होती है.
हर पांच साल पर होता है लाइसेंस का रिन्यूवल, होगी सख्ती
कामर्शियल गाड़ी चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस हर पांच साल पर रिन्यवल होता है. जिसमें मेडिकल प्रमण पत्र भी लिया जाता है, लेकिन दलालों के माध्यम से इसमें डीटीओ कार्यालय में भी कोताही होती है और लाइसेंस बिना जांच के बन जाता हैं. लेकिन परिवहन विभाग ने जिलों को निर्देश दिया है कि किसी भी चालक का रिन्यूवल के वक्त बिना नेत् जांच कराएं नहीं किया जाये.