Vishwarma Puja 2023: आज विश्वकर्मा पूजा है. भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता हैं, शिल्प और श्रम के देवता हैं. इन्हें दुनिया के पहले इंजीनियर के रूप में जाना जाता है. सदियां बीत गयीं, लेकिन सृजन का वह सिलसिला, जिसे भगवान विश्वकर्मा ने शुरू किया था, आज भी जारी है. करोड़ों लोग सृजन के कार्य में लगे हैं और अपने हुनर से देश-दुनिया को खुशहाल बना रहे हैं, उसे बेहतरी की तरफ ले जा रहे हैं. बड़ी-बड़ी फैक्टरियों से लेकर छोटे-छोटे कल-कारखानों और यहां तक कि गांव-शहर की पगडंडियों और दुकानों में ‘आज के विश्वकर्मा’ परंपरागत और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के दम पर निर्माण और मरम्मत के कार्य में लगे हैं. विकास का रास्ता इनके श्रम से होकर ही गुजरता है. प्रभात खबर इस पावन अवसर पर ‘आज के विश्वकर्मा’ के योगदान को रेखांकित करने का प्रयास कर रहा है.
खराब ट्रांसफॉर्मरों में नयी जान डालकर इलाके का अंधेरा दूर करते हैं शमसुद्दीन
धनबाद : झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के ट्रांसफॉर्मर रिपयेर वर्कशॉप (टीआरडब्ल्यू) में एक ऐसे शख्स हैं, जो हर मौसम पूरे जिले में खराब ट्रांसफॉर्मर के मरम्मत की जिम्मेदारी निभाते हैं. ये ट्रांसफॉर्मरों में नयी जान डालकर इलाके के अंधेरे को दूर करने में अहम योगदान देते हैं. टीआरडब्ल्यू में कई एजेंसिया बदली, लेकिन समसुद्दीन को हटाने की कभी किसी ने नहीं सोचा. वह 18 वर्षों से सेवा दे रहे हैं. जेबीवीएनएल के अधिकारी खुद टीआरडब्यू में बहाल एजेंसी के प्रतिनिधियों के पहुंचने पर समसुद्दीन को रखने की सिफारिश करते है. ट्रांसफॉर्मर चाहे कितनी भी बुरी स्थिति में हो, समसुद्दीन उसे कुछ घंटों में ही दुरुस्त कर देते है.
आज तक कितने ट्रांसफॉर्मरों की मरम्मत की है, यह समसुद्दीन को खुद याद नहीं. हालांकि, जेबीवीएनएल के अधिकारियों की माने तो अनुमानित तौर पर उन्होंने 15 हजार से ज्यादा खराब ट्रांसफॉर्मरों को दुरुस्त किया है. सबसे खास बात यह है कि 12 घंटों के अंदर ही वह अकेले एक ट्रांसफॉर्मर को पूरी तरह खोल कर दुरुस्त करने के बाद उसे इंस्टॉल कर देते हैं. आरा के रहने वाले समसुद्दीन बताते हैं कि ट्रांसफॉर्मर रिपयेरिंग की ऐसी जिम्मेवारी उन्हें मिली है कि कई बार जरूरी होने पर भी अपने घर नहीं जा पाते हैं.
रिंकू के हाथों में है जादू, मिनटों में दुरुस्त कर देती है लोगों की साइकिल
धनबाद, सत्या राज : धनबाद जिले के गोधर मोड़ के पास नेपाल रवानी चौक पर स्थित दुकान में एक लड़की को साइकिल की टायर का पंक्चर बनाते देख हर किसी को कौतूहल होता है. हर कोई उसके बारे में जानना चाहता है. यहां न्यू विजय साइकिल रिपेयरिंग दुकान चलाने वाली 22 वर्षीया रिंकू बताती हैं कि उसके पिता शंकर प्रसाद साव(अब स्वर्गीय) का निधन लंबी बीमारी के बाद 2015 में हो गया. उस समय उसकी उम्र मात्र 14 साल थी, तभी से वह साइकिल दुकान संभल रही है.
पिता को देख सीखा था काम
रिंकू बताती है कि छह बहनों में वह सबसे छोटी है. उसका कोई भाई नहीं है. दुकान के पास ही उसका घर है. दुकान पर जाती थी तो पापा से दो-चार रुपये मिल जाया करते थे. इसी लालच से मैं अक्सर दुकान चली जाती थी. वहां बैठकर पापा को पंक्चर बनाते ध्यान से देखती थी. क्या पता था पापा की दुकान आगे हमें ही संभालनी होगी. पापा के जाने के बाद मेरी मां परेशान हो गयी. अब क्या होगा, घर कैसे चलेगा. तब रिंकू ने कहा कि दुकान मैं संभाल लूंगी. वहीं से काम शुरू हो गया. रिंकू आठ साल से पंक्चर बना रही है. वह साइकिल की रिपेयरिंग का भी काम करती है. पंक्चर मिनटों में बना देती है.
10वीं के बाद छूट गयी पढ़ाई
रिंकू ने बताया वह दसवीं पास है. पिता के निधन के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. अन्य बहनों की शादी यूपी में हुई है. घर में वह और उसकी मां रहती है. एक पंक्चर बनाने का 20 रुपया मिलता है. एक दिन में चार से पांच साइकिलों का पंक्चर बनाती हैं. मां को विधवा पेंशन मिलता है. किसी तरह गुजारा हो जाता है. रिंकू बताती हैं कि पहले मुझे पंक्चर बनाते लोग आश्चर्य से देखते थे. अब तो मेरे काम को सराहते हैं.