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किसानों से पारम्परिक खेती को अपनाने की अपील, बोले राज्यपाल- जमीन की सेहत बचाने का यही विकल्प

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने किसानों से कहा कि रासायनिक खाद से भूमि अपनी उर्वरा शक्ति खोती जा रही है. इसलिए जो हमारी पौराणिक और पारम्परिक खेती थी, उसी से हम अपनी जमीन के सेहत को बचा सकते हैं.

मोतिहारी. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने किसानों से एक बार फिर से पारम्परिक खेती को अपनाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद से भूमि अपनी उर्वरा शक्ति खोती जा रही है. इसलिए जो हमारी पौराणिक और पारम्परिक खेती थी, उसी से हम अपनी जमीन की सेहत को बचा सकते हैं. रविवार को शहर के गांधी ऑडोटोरियम में दो दिवसीय राज्यस्तरीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर और सांसद व पूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.

हमारे खेतों की उत्पादन क्षमता कम होने लगी

कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जोन IV पटना द्वारा आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक और पारंपरा को भूल गए और विदेशों से आने वाले तकनीक को अपनाने लगे. हम कहने लगे कि इसको अपनाने से खेतों की उपज बढ़ गई और घर में पैसा भी खूब आने लगा, लेकिन कुछ वर्षों के बाद हमारे खेतों की उत्पादन क्षमता कम होने लगी ओर हमारे किसान भाई बहन इधर उधर देखने लगे. सोचने लगे हमारे उत्पादन को क्या होने गया है.

रासायनिक खाद के कारण घटी उत्पादकता

राज्यपाल ने कहा कि उत्पादन कब होने पर हमने उर्वरक खाद खरीदने के लिए बैंकों से पैसा ऋण लिया, जिसको वापस करने के लिए भी पैसा नहीं बचता है. जब हमारे विशेषज्ञों ने इसपर विचार करते हैं, इसपर शोध और अनुसंधान करते हैं, तो यह तथ्य सामने आया कि यह सब रासायनिक खाद के कारण हो रहा है. उसके बाद हमारे देश में फिर से इसपर चिंतन होने लगा. फिर से हम प्राकृतिक और पारंपरिक खेती के तरफ जाने लगे. जब हम प्राकृतिक और पारंपरिक खेती की ओर बढ़े, तो पता चला कि पारंपरिक और प्रकृतिक खेती से हमारी जमीन की उत्पादन क्षमता कम नहीं होगी.

वैज्ञानिकों ने किसानों को बताये पारंपरिक खेती के फायदे

गाँधी ऑडोटोरियम में आयोजित दो दिवसीय राज्यस्तरीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन के उद्घाटन करने के बाद राज्यपाल को अंगवस्त्र और प्रतिक चिन्ह से सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में इस जिले के अलावा आस पास के जिले के किसानों ने भाग लिया. सांसद व पूर्व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह और कार्यक्रम में मौजूद वैज्ञानिकों ने किसानों को पारम्परिक और प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में बताया. कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि प्रसार उपनिदेशक यूएस गौतम, राजेंद्र केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा कुलपति और कृषि विज्ञान केंद्र के तमाम अधिकारी तथा वैज्ञानिक उपस्थित रहे.

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