सरकारी अस्पताल और कोल्ड चेन प्वाइंट इन दिनों रूटीन इम्यूनाइजेशन से जुड़े टीकों (वैक्सीन) की कमी का सामना कर रहा है. इनमें जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) वैक्सीन प्रमुख तौर पर शामिल है. जापानी इंसेफेलाइटिस को चमकी बुखाimmunization vaccine stock in jharkhand के नाम से भी जाना जाता है. पिछले एक महीने से रांची के सभी अस्पतालों में इसके वैक्सीन का स्टॉक पूरी तरह से खत्म हो गया था.
रांची सदर अस्पताल में पिछले हफ्ते दूरदराज के इलाकों से आये कई बच्चों को इसका टीका समय पूरा होने के बावजूद नहीं लग सका. दो दिन पूर्व किसी तरह बाहर से लाकर इनके टीकों के स्टॉक को मामूली तौर पर उपलब्ध कराया गया है. इसमें भी सोमवार तक लापुंग में 10 और तमाड़ में महज 60 टीका ही स्टॉक में उपलब्ध थे, जो लगभग समाप्त होने के कगार पर हैं. वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि कुछ बीमारियों से जुड़े वैक्सीन की खुराक नहीं होने से परेशानी हो रही है और इसकी अर्जेंट सप्लाई की जरूरत है. वहीं, किल्लत वाले टीकों में तीन संक्रामक रोगों से बचाव के लिए लगने वाले डीपीटी, हेपेटाइटिस-बी को लेकर भी समस्या बनी हुई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इम्यूनाइजेशन डिविजन के मुताबिक जेई वैक्सीन शेड्यूल के तहत मेसर्स भारत बायोटेक से जेई (जापानी इंसेफ्लाइटिस) वैक्सीन के एक अगस्त के स्टॉक के हिसाब से जेनवैक की लगभग 2,24000 खुराकें थीं, जो 96 दिनों के बराबर यानी लगभग तीन महीने के लिए पर्याप्त थीं. इस वैक्सीन की राज्य में औसत मासिक खपत 70,000 खुराक है. अभी रांची जिले के अंतर्गत प्रखंडों में इसके महज 2400 टीके उपलब्ध हैं.
जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका बाजार में उपलब्ध है, जिसकी कीमत 650 से 750 रुपये तक है. वहीं, सरकार के नियमित टीकाकरण अभियान में भी इसका टीका नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनिताभ कुमार ने बताया कि टीका का दो डोज है. पहला डोज एक वर्ष की उम्र में लगाया जाता है. वहीं, दूसरा टीका पहले टीका लगने के एक महीना से एक वर्ष के बीच में लगाया जाता है.
लापुंग 10, बेड़ो 20, तमाड़ 60, नगड़ी 75, सिल्ली 90, ओरमांझी 90, खलारी 95, अनगड़ा 230, बुंडू 255, रातू 200, बुढ़मू 215, नामकुम 300, सोनाहातू 255, रिम्स 490.