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Ganesh Ji Ki Aarti: जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ती… यहां से पढ़ें गणेश जी की आरती

Ganesh Ji Ki Aarti: आज का दिन गणेश जी को समर्पित है. गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के देवता है. पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ जो व्यक्ति भगवान गणेश की पूजा करता है, तो उसके जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं. गणेश जी की पूजा के बाद आरती जरूर करनी चाहिए.

Ganesh Ji Ki Aarti: जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ती… आज से 10 दिवसीय गणेशोत्सव शुरू हो गया है. आज घर-घर में गणपति बप्पा पधार चुके है. भक्त उनकी पूजा-अर्चना में लीन है. गणेश जी की पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होता है. इनकी कृपा से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं. गणेश जी को मंगलकर्ता भी कहा जाता है. गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के देवता है. पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ जो व्यक्ति भगवान गणेश की पूजा करता है, तो उसके जीवन के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं. गणेश जी की पूजा के बाद आरती जरूर करनी चाहिए. क्योंकि मान्यता है की आरती के बिना गणेश भगवान की पूजा अधूरी रह जाती है. यहां पढ़ें गणेश भगवान की पूरी आरती.

Ganesh Ji Ki Aarti: गणेश जी की आरती-1

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ती

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को

दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को

हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को

महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी

विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी

गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय देव जय देव

जय जय जय जय जय

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे

संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

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गणेश जी की आरती-2

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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