लोकसभा बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा करेगी तो कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी बहस के लिए अपनी पार्टी की ओर से मुख्य वक्ता होंगी. बुधवार को महिला आरक्षण बिल पर 7 घंटे लंबी बहस चलने की संभावना जताई जा रही है. मालूम हो केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया.
सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को अपना बताया
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की खबरों के बीच मंगलवार को कहा कि यह विधेयक अपना है. कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख से सवाल किया गया कि ऐसा कहा जा रहा है कि महिला आरक्षण विधेयक इस विशेष सत्र में लाया जा रहा है और आपकी यह मांग भी थी, तो आप क्या कहना चाहती हैं? जवाब में उन्होंने कहा, यह (विधेयक) अपना है. दरअसल केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार के समय वर्ष 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ था. उस समय सोनिया यूपीए की अध्यक्ष थीं और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे.
‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश किये जाने को पचा नहीं पा रहा है विपक्ष: शाह
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में पेश महिला आरक्षण संबंधी विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ करार दिए जाने पर विपक्षी दलों पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि वे इस कदम को पचा नहीं पा रहे हैं. शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह भी आरोप लगाया कि पेश किया गया विधेयक महिलाओं को सशक्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है, वहीं इसे लेकर कांग्रेस कभी गंभीर नहीं रही और उसके कदम ‘प्रतीकात्मक’ रहे हैं. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी महिला आरक्षण बिल को क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा कि मोदी है तो मुमकिन है. ठाकुर ने महिला आरक्षण के नाम पर कांग्रेस पर खेल खेलने का आरोप लगाया.
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कांग्रेस ने विधेयक को बताया चुनावी जुमला
कांग्रेस ने इस विधेयक को ‘चुनावी जुमला’ करार देते हुए कहा कि महिलाओं के साथ धोखा हुआ है, क्योंकि विधेयक में कहा गया है कि ताजा जनगणना और परिसीमन के बाद यह 2029 से लागू होगा. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की कोई वास्तविक मंशा होती, तो महिला आरक्षण विधेयक बिना किसी किंतु-परंतु के तुरंत लागू कर दिया गया होता. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार 2021 की जनगणना कराने में विफल रही है.
सांसदों को महिला आरक्षण संबंधी विधेयक की डिजिटल प्रति पहले ही उपलब्ध कराई गई
लोकसभा के कार्य संचालन में कागज के उपयोग को कम करने की 2020 से स्थापित प्रणाली को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को लोकसभा में पेश महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक की डिजिटल प्रति पहले ही संसद सदस्यों के पोर्टल पर अपलोड कर दी गई थी. अधिकारियों ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर संसद सदस्यों को विधेयकों सहित अन्य संसदीय कागजात उपलब्ध कराने के लिहाज से नवीनतम सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सूत्रों के अनुसार लोकसभा में आज पेश ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक (नारी शक्ति वंदन विधेयक 2023)’ की डिजिटल कॉपी सदस्यों के पोर्टल पर पहले ही अपलोड कर दी गई थी.
अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया
गौरतलब है कि कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंगलवार को लोकसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक, 2023 को पेश करने के लिए जब खड़े हुए, तो विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर विधेयक की प्रति नहीं दिये जाने का आरोप लगाते हुए शोर-शराबा किया. इस पर मेघवाल और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदस्यों को बताया कि नयी प्रौद्योगिकी से लैस स्क्रीन पर सब कुछ अपलोड किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि विधेयक की जानकारी पूरक सूची में अपलोड की गयी है. विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने सदस्यों से कहा कि वे अपनी-अपनी सीट से लगे यंत्र के जरिये इस विधेयक को देख सकते हैं. शोर-शराबे के बीच ही मेघवाल ने विधेयक पेश किया.