साइबर ठगी के लिए बदनाम जामताड़ा के शातिरों ने अब स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल में भी सेंध लगा दी है. राजधानी के कोकर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित निरामया हॉस्पिटल के आइडी पासवर्ड का इस्तेमाल करते हुए इसी अस्पताल के नाम पर जामताड़ा में 171 अल्ट्रासाउंड जांच किये गये हैं. इसमें से 90 जांच गर्भवती महिलाओं से जुड़े हैं. मामला जुलाई के बाद का है, जिसका खुलासा छह सितंबर को हुआ, जब स्वास्थ्य विभाग को रांची के रजिस्ट्रेशन नंबर पर 200 किमी दूर जामताड़ा जिले में अल्ट्रासाउंड किये जाने की जानकारी मिली.
इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने निरामया हॉस्पिटल को कारण बताओ नोटिस थमा दिया़ अस्पताल प्रबंधन ने विभाग को बताया कि उसका रेडियोलॉजी सेंटर महीनों से बंद पड़ा है. साथ ही शक जाहिर किया कि जामताड़ा में किसी ने उनकी गोपनीय सूचनाएं चुराने के लिए ऐसा किया है. हालांकि, हैकर ने इस वारदात को कहां से अंजाम दिया है, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. सिविल सर्जन कार्यालय ने प्रारंभिक जांच के बाद पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के ‘फार्म-एफ’ की अपलोडिंग प्रक्रिया को ब्लॉक कर उसे बदल दिया है. साथ ही इस केस को उच्चाधिकारियों के पास भेज दिया है. निरामया अस्पताल संचालक की शिकायत पर मामले की छानबीन शुरू कर दी गयी है.
नियमानुसार, रेडियोलॉजी सेंटर को गर्भवती महिलाओं की अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान पोर्टल के जरिये ऑनलाइन फॉर्म-एफ भरना पड़ता. इसमें इसकी हार्ड कॉपी संबंधित जिले के नोडल पदाधिकारी को भेजना होता है. इस मामले में जिन 90 गर्भवती महिलाओं की अल्ट्रसाउंड जांच की गयी हैं, उन सभी का ऑनलाइन रिकॉर्ड दर्ज, लेकिन हार्ड कॉपी सिविल सर्जन कार्यालय में नहीं पहुंच रहा था.
इसी से यह मामला पकड़ में अया. नोटिस मिलने के बाद जब निरामया हॉस्पिटल के कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि जितनी भी जांच की गयी हैं, उन सभी की रिपोर्ट पर रोगी का पता, मोबाइल नंबर, डॉक्टर का रिमार्क और मरीज का डिक्लियरेशन सब जामताड़ा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है. अस्पताल प्रबंधन को साइबर फ्रॉड का शक हुआ, तो उसने अपना यूजर आइडी ओपन करने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं खुला.
हॉस्पिटल को सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के तहत कारण बताओ नोटिस थमाया गया था. इसमें अस्पताल के रजिस्ट्रेशन नंबर 443-2021 का उल्लेख करते हुए अस्पताल के निदेशक अजीत कोठारी को एक्ट की धारा-9(8) का उल्लंघन का दोषी ठहराया गया. उनसे पूछा गया कि अल्ट्रासाउंड सेंटर बंद होने के बावजूद आपने 90 गर्भवती महिलाओं की अल्ट्रासाउंड कैसे कर डाली? पत्र के जारी होने का कारण यह था कि निरामया में अल्ट्रासाउंड जांच करनेवाली एकमात्र डॉ आरती ज्योति ने इसी साल जुलाई में ही अस्पताल को छोड़ दिया था. उन्होंने इसकी जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय को भी दे दी थी.