Online Pind Daan: पितरों के श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए श्रद्धा का पर्व पितृपक्ष 29 सितंबर, शुक्रवार से शुरू होगा. पिंडदान की परंपरा केवल प्रयाग, काशी और गया में है. लेकिन पितरों के पिंडदान और श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयाग में क्षौर कर्म से होती है. पितृपक्ष में हर साल बड़ी संख्या में लोग पिंडदान के लिए संगम आते हैं. पितृ मुक्ति का प्रथम व मुख्य द्वार कहे जाने के कारण संगमनगरी में पिंडदान व श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है.
कोरोना के कारण विदेश से जो लोग संगम नहीं आ पाए थे वे पिंडदान के लिए इस बार आने की तैयारी कर रहे हैं. संगम में पिंडदान कराने के लिए कई देशों के लोग वेबसाइट और एप के जरिए ऑनलाइन बुकिंग करा रहे हैं. पुरोहितों के अनुसार विदेशों में कोरोना की महामारी अब लगभग खत्म हो चुकी है इसलिए विदेश से पिंडदान के लिए इस बार ज्यादा संख्या में लोगों के आने की संभावना है.
हिंदू धर्म में मनुष्य के तीन ऋण त्रिवेणी संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. शंभुनाथ त्रिपाठी ‘अंशुल’ के अनुसार शास्त्रत्तें में मनुष्य के तीन ऋण विशेष तौर से बताए गए हैं. इसमें देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण होता है. पितृ ऋण में माता-पिता के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है.
पितृ ऋण से मुक्त न होने पर जन्म निरर्थक माना जाता है. इसलिए पितृपक्ष में पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित की जाती है. संगम में पिंडदान करने से भगवान विष्णु के साथ ही तीर्थराज प्रयाग में वास करने वाले सभी देवी-देवता भी पितरों को मोक्ष प्रदान करते हैं. पिंडदान करने से पूर्वज प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
विदेश में रहने वालों के लिए ई-पिंडदान की सुविधा
तीर्थपुरोहित प्रदीप पांडेय ने बताया कि अमेरिका, हॉलैंड, कनाडा, आस्ट्रेलिया, नेपाल, इंडोनेशिया और मॉरीशस से लोगों ने पिंडदान के लिए बुकिंग कराई है. ऑनलाइन बुकिंग के लिए जस्ट डायल और पिंडदान डाटकॉम वेबसाइट पर सुविधा उपलब्ध है. इनसे संगमनगरी के 200 पुरोहित जुड़े हैं. पांडेय के अनुसार विदेश से जो लोग किसी कारण से नहीं आ पाएंगे उनके लिए ई-पिंडदान की सुविधा रहेगी.
इसके लिए पिंडदान कराने वाले व्यक्ति से मृतक का संबंध, गोत्र, अवस्था, मृत्यु तिथि, मृत्यु का कारण, स्थान, समय की जानकारी पहले से पता कर ली जाएगी, जिससे समय से पिंडदान की समुचित व्यवस्था की जा सके. विदेश से आने वाले लोगों का पिंडदान पैकेज लगभग 7100 रुपये से लेकर 21 हजार रुपये तक का है.
पितृपक्ष में त्रिवेणी संगम से दूर होगा तर्पण
प्रयागराज में आठ अक्तूबर को एयरफोर्स डे के कार्यक्रम की वजह से इस बार पितृपक्ष में तर्पण-अर्पण त्रिवेणी संगम से कुछ दूरी पर होगा. इस बड़े आयोजन के लिए सेना अभी से वीआईपी घाट और महावीर मार्ग की दुकानों व रहने वालों को हटा रही है. जिसके चलते अब तर्पण भी दूर हो सकता है. तीर्थ पुरोहित समाज काली मार्ग और परेड मैदान पर श्राद्ध करने की तैयारी कर रहा है.
आठ अक्तूबर को एयरफोर्स डे पर संगम पर एयर शो होना है. कार्यक्रम के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित तमाम वीआईपी को न्योता भेजा गया है. ऐसे में सुरक्षा के मद्देनजर संगम किनारे इलाके को खाली कराया जा रहा है. अब 29 सितंबर अमावस्या से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है. इस महीने में देशभर से तर्पण के लिए लोग संगम किनारे आते हैं. जगह खाली कराए जाने के कारण तीर्थ पुरोहितों को भी पीछे हटना होगा.
संगम तट पर रहने वाले तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि दो दिन से प्रशासन व सेना के वाहन क्षेत्र को खाली कराने के लिए घोषणा कर रहे हैं. तीर्थ पुरोहित प्रदीप पांडेय का कहना है कि अगर सेना जमीन खाली कराएगी तो काली मार्ग या फिर परेड मैदान पर तर्पण कराया जाएगा. तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि बुधवार को प्रतिनिधि मंडल ने मेला प्राधिकरण के अफसरों से बात की. पहला विकल्प संगम जाने वाले रास्ते के नीचे ढलान पर दिया गया था, लेकिन गंगा का जलस्तर भी बढ़ रहा है तो सहमति रामघाट से काली मार्ग पर शास्त्री ब्रिज तक पर सहमति बन रही है.
बता दें कि उत्तरप्रदेश में मौजूद प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर लोग श्राद्ध कर्म करते हैं. यह वही स्थान है जहां तीन देवनदी गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी का संगम होता है. माना जाता है कि पितृपक्ष के 15 दिनों की अवधि में अपने पितरों की आत्मा की मुक्ति के लिए पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज करवाएं और पिंडदान और तर्पण सिद्ध या धार्मिक स्थलों पर करने से व्यक्ति को उचित फल की प्राप्त होती है.
ऑनलाइन पिंडदान कैसे करें
बता दें ऑनलाइन पिंडदान के लिए आपको वेबसाइट pitrapakshgaya.com, pinddaan.holyvoyages.com और prayagpandits.com जारी किया गया है. यहां से आप घर बैठे पिंडदान कर सकते हैं.