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बिहार में घर-घर होगा ट्रासजेंडरों का सर्वे, समाज कल्याण निदेशालय ने जिलों को भेजा निर्देश

समाज कल्याण निदेशालय की ओर से सभी सहायक निदेशक को निर्देश दिया गया है कि राज्य में पंचायत व वार्डों में गृह भ्रमण करके ट्रासजेंडर व्यक्तियों का सर्वे करें और एक रिपोर्ट तैयार करें ताकि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कौशल विकास, स्व रोजगार, सार्वजनिक या निजी कार्यालय में काम करने का अवसर मिले.

पटना. समाज कल्याण निदेशालय की ओर से सभी सहायक निदेशक को निर्देश दिया गया है कि राज्य में पंचायत व वार्डों में गृह भ्रमण करके ट्रासजेंडर व्यक्तियों का सर्वे करें और एक रिपोर्ट तैयार करें. निदेशक प्रशांत कुमार ने कहा है कि ट्रासजेंडर व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कौशल विकास, स्व रोजगार, सार्वजनिक या निजी कार्यालय में काम करने का अवसर मिले. इसको लेकर जिला स्तर पर काम किया जाये. साथ ही, जिलों में पूर्व से काम करने वाले ट्रासजेंडरों को काम करने के दौरान परेशानी नहीं हो और उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाये. इसकी भी निगरानी की जाये. उन्होंने कहा है कि सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में भी उनकी मदद करें. साथ ही, सर्वे कर पूरी रिपोर्ट निदेशालय को भेजे, ताकि ट्रासजेंडरों का सही आंकड़ा रहे.

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डोर-टू-डोर सर्वें कर रिपोर्ट तैयार करें

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों हेतु योजना का निर्माण का दायित्व राज्य सरकार का है. इस बात को ध्यान में रखते हुए समाज कल्याण विभाग की ओर से राज्य के सभी जिलों में सर्वें का कार्य करा रही है, ताकि ट्रांसजेंडरों के विकास के लिए योजनाओं का निर्माण कर सके. इसकी कड़ी में समाज कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत कुमार सीएच ने सभी सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई को निर्देश दिया है कि डोर-टू-डोर सर्वें कर रिपोर्ट तैयार करें. साथ ही रिपोर्ट को यथाशीघ्र निदेशालय को उपलब्ध कराये. ताकि ट्रांसटेंडरों को पहचान करते हुए, शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, स्व रोजगार, सार्वजनिक या निजी में कार्य करने का अवसर प्रदान किया जा सके. साथ ही आम जनता को यह भी बताया जा सके कि ट्रांसजेंडरों के साथ भेदभाव नहीं करना है. यदि भेदभाव किया जा जाएगा तो इसके विरोध में कड़े प्रावधान है.

नहीं उपलब्ध है आंकड़ा

प्रशांत कुमार सीएच निदेशक समाज कल्याण विभाग ने सभी सहायक निदेशक को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि राज्य सरकार के पास वर्ष 2011 में हुए आम जनगणना के अनुरूप ट्रांसजेंडरों की रिपोर्ट प्राप्त है, परंतु वह अनौपचारिक आंकड़ा उपलब्ध है. साथ ही ग्यारह वर्ष पुराना है. जिस कारण इस बात की जानकारी प्राप्त नहीं हो पा रही है कि पूरे प्रदेश में कुल कितने ट्रांजेंडर है. इस कारण ट्रांसजेंडरों के योजनाओं के निर्माण के लिए विभिन्न बिन्दूओं पर निर्णय लेने में कठिनाई उत्पन्न हो रही है.

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मूल निवास का सत्यापन आवश्यक

प्रशांत कुमार सीएच ने जारी पत्र में कहा है कि वर्ष 2019 में किन्नर बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया गया था कि सभी ट्रांसजेंडरों का मूल निवास का सत्यापान किया जाए, ताकि जब इनके लिए योजना तथा बजट बनाया जाए. तो इसमें सहूलियत मिले. योजनाओं से ट्रांसजेंडरों को आसानी से जोड़ा जा सके. मूल निवास का सत्यापन नहीं होने के कारण वह सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं से जुड़ नहीं पाएगी. सरकार का प्रयास है कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए. उनके अंदर छिपी हुई प्रतिभा का बाहर निकाला जाए. वह किसी के आगे हाथ फैलाने के लिए मजबूर नहीं हो.

इनपुट: प्रह्लाद कुमार

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