मध्य प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कुनबा कम होता नजर आ रहा है. दरअसल, सिंधिया के वफादार एक और प्रभावशाली नेता प्रमोद टंडन शनिवार को कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए. इससे चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में ऐसे नेताओं की संख्या छह हो चुकी है. इंदौर निवासी टंडन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य थे और उन्होंने हाल में बीजेपी छोड़ दी थी. टंडन और भाजपा से नाता तोड़ चुके दो अन्य स्थानीय नेताओं-रामकिशोर शुक्ला और दिनेश मल्हार को इंदौर में शनिवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पार्टी में विधिवत शामिल किया गया. बीजेपी से मोहभंग होने पर कांग्रेस में लौटने वाले टंडन, ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके दिवंगत पिता माधवराव सिंधिया के वफादार समर्थकों में गिने जाते रहे हैं. वह उन नेताओं में शामिल थे जो वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. बीजेपी कार्यसमिति के सदस्य समंदर पटेल (52) के 18 अगस्त को भोपाल में सैकड़ों समर्थकों के साथ फिर से कांग्रेस में शामिल होने के बाद टंडन कांग्रेस में लौटने वाले सिंधिया के छठे वफादार हैं.
समंदर पटेल ने बताया कि टंडन सिंधिया खेमे से कांग्रेस में दोबारा शामिल होने वाले छठे नेता हैं. पटेल से पहले, मध्य प्रदेश भाजपा कार्यसमिति के सदस्य बैजनाथ सिंह यादव अपने समर्थकों के साथ जुलाई में कांग्रेस पार्टी में फिर से शामिल हो गए थे. यादव 2020 से पहले कांग्रेस के शिवपुरी जिला अध्यक्ष रह चुके हैं. पटेल ने कांग्रेस में लौटने के एक दिन बाद कहा कि बीजेपी ने न तो मुझे और न ही मेरे समर्थकों को स्वीकार किया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के नेताओं ने मुझे किसी भी समारोह में आमंत्रित नहीं किया, जबकि मैं भाजपा कार्य समिति का सदस्य था. इसके बजाय मेरे समर्थकों को झूठे मामलों में फंसाया गया और आर्थिक रूप से कमजोर किया गया.
2018 के विधानसभा चुनाव का परिणाम
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल की और सपा, बसपा और स्वतंत्र विधायकों के समर्थन से कमलनाथ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई. हालांकि, मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में उनके समर्थक विधायकों के कांग्रेस से विद्रोह के कारण कमलनाथ सरकार गिर गई. इसके बाद प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक बार फिर बीजेपी सरकार बनी. यहां इस बार खास बाते ये है कि पिछली बार कांग्रेस के लिए वोट मांगने वाले सिंधिया इस बार बीजेपी के पक्ष में लोगों से वोट करने की अपील करते नजर आ रहे हैं.
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ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादार विधायकों के विद्रोह के बाद मध्य प्रदेश में मार्च 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर गयी थी. कांग्रेस सरकार से नाराज से चल रहे विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. इनमें ग्वालियर संभाग के 9 विधायक शामिल थे. इन विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था.
2018 के चुनावों में भगवा पार्टी ने 109 सीटें जीती थीं
सत्तारूढ़ भाजपा ने विधानसभा चुनावों के लिए अपने 39 उम्मीदवारों की पहली सूची पहले ही घोषित कर दी है. चुनाव कार्यक्रम अभी घोषित नहीं किया गया है. केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने राज्य की कुल 230 में से 150 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. 2018 के चुनावों में भगवा पार्टी ने 109 सीटें जीती थीं, जो 116 के साधारण बहुमत से कम थीं.
भाषा इनपुट के साथ