सुप्रीम कोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग मामले के आरोप में निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल से सोमवार को पूछा कि क्या उनकी निजता के उल्लंघन का आरोप उन्हें जमानत देने का आधार हो सकता है. सिंघल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ को बताया कि जब वह रांची के एक अस्पताल में इलाज करा रही थीं, तब उनके कमरे की तस्वीरें लीक होने से उनकी निजता का उल्लंघन हुआ. लूथरा ने कहा, ‘मेरी मुवक्किल 200 दिनों से अधिक समय से हिरासत में है और वह न्यायिक हिरासत में है. उसे किसी बीमारी के कारण अस्पताल ले जाया गया था और जब वह अपने परिवार के सदस्यों से मिल रही थीं, तब तस्वीरें ली गयीं और मीडिया में लीक कर दी गयीं. यह उनकी निजता का उल्लंघन है.
सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि पूजा सिंघल पर लगाये गये आरोप ‘बहुत गंभीर’ हैं और अदालत इस स्तर पर उन्हें जमानत देने पर विचार नहीं कर सकती है. इसके बाद लूथरा ने कुछ दस्तावेज और तस्वीरें सौंपी, जो कथित तौर पर मीडिया में लीक हो गयी थीं. उन्होंने कहा कि सिंघल प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा दर्ज एक मामले में हिरासत में हैं और धन शोधन निवारण एजेंसी ही बता सकती है कि तस्वीरें कैसे लीक हुईं? न्यायमूर्ति धूलिया ने लूथरा से सवाल किया, ‘आपका आधार यह है कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए सिंघल की निजता का उल्लंघन हुआ था, लेकिन क्या यह उन्हें जमानत का हकदार बनाता है?’ इस पर लूथरा ने कहा कि जमानत देने के अन्य आधार भी हैं और वह केवल निजता के उल्लंघन की हालिया घटना को अदालत के संज्ञान में लाने की कोशिश कर रहे हैं.
ED के अधिवक्ता ने कहा : नहीं हुआ निजता का उल्लंघन
इडी की तरफ से अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने जवाब देते हुए कहा कि निजता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और संबंधित तस्वीरें सीसीटीवी फुटेज से ली गयी हैं, जिनमें सिंघल को अस्पताल के गलियारे में घूमते देखा जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘सिंघल का इतना दबदबा है कि वह परिवार के सदस्यों से जब चाहे तब मिलती हैं और गलियारे में घूमती हैं.’ इसके बाद पीठ ने हुसैन से कहा कि वह अदालत को उन गवाहों की संख्या के बारे में बताएं, जिनसे पूछताछ की गयी है और जिनसे अब भी पूछताछ की जानी है. हुसैन ने अदालत को बताया कि चार गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है और 19 से पूछताछ बाकी है. मामले में कुल 33 गवाह हैं. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 अक्तूबर की तारीख तय की. उसने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और हुसैन से प्रमुख गवाहों की सूची उपलब्ध कराने को कहा. राजू ने कहा कि इडी सिंघल की याचिका पर जवाब दाखिल करना चाहेगी. उन्होंने दावा किया कि सिंघल के मेडिकल रिकॉर्ड, जो याचिका के साथ संलग्न किये गये हैं, पढ़ने योग्य नहीं हैं और उन्हें स्वतंत्र रूप से सत्यापित करने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को सिंघल को दो महीने की अंतरिम जमानत दे दी थी, ताकि वह अपनी बीमार बेटी की देखभाल कर सकें.
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11 मई 2022 को इडी ने मारा था छापा, उसके बाद से हिरासत में हैं पूजा सिंघल
इडी ने मनी लाउंड्रिंग से जुड़े मामले की जांच के सिलसिले में सिंघल से जुड़े ठिकानों पर 11 मई 2022 को छापे मारे थे, जिसके बाद से वह हिरासत में हैं. यह मामला ग्रामीण रोजगार के लिए केंद्र की मनरेगा के कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है. इडी ने झारखंड के खनन विभाग की पूर्व सचिव पूजा सिंघल पर मनी लाउंड्रिंग का आरोप लगाया है और कहा है कि उसकी टीम ने छापेमारी कर अवैध खनन से जुड़ी 36 करोड़ रुपये से अधिक नकदी जब्त की है. सिंघल के अलावा इडी ने उनके व्यवसायी पति, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और अन्य के खिलाफ भी मनी लाउंड्रिंग की जांच के तहत छापा मारा था. गिरफ्तारी के बाद सिंघल को निलंबित कर दिया गया था.