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Dev Anand 100th Birth Anniversary: देव आनंद के आखिरी बर्थडे को लेकर बेटे ने शेयर किया किस्सा, कहा-रात 12 के…

देव साहब के बेटे सुनील आनंद ने उनसे जुड़ी याद शेयर कर बताया कि, वह अपने लुक्स का बहुत ख्याल रखते थे. वे अक्सर से जूतों, स्कार्फ और घड़ियों की शॉपिंग करते थे. पेरिस तो वह खासकर शॉपिंग के लिए जाते थे. अपने कपड़ों का भी चयन वही करते थे.

Dev Anand 100th Birth Anniversary: देव आनंद भारतीय सिने जगत में 60 साल से अधिक सक्रिय रहे और उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों में किया. एक्टर ने बाजी, टैक्सी ड्राइवर, सीआइडी, पेइंग गेस्ट, काला पानी, काला बाजार (1960), हम दोनों (1961), तेरे घर के सामने (1963), गाइड (1965), तीन देवियां (1965), ज्वेल थीफ (1967), जॉनी मेरा नाम (1970), प्रेम पुजारी (1970), हरे रामा-हरे कृष्णा (1971), तेरे मेरे सपने (1971), हीरा पन्ना (1973) जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया. देव साहब के बेटे सुनील आनंद से उर्मिला कोरी की खास बातचीत.


अपने संघर्ष के दिनों को अक्सर याद करते थे डैडी

मुझे याद है कि डैडी के जन्मदिन के मौके पर हम नवकेतन के ऑफिस में केक काटते थे और सबको बांटते थे. ऑफिस के बाहर लगभग एक किलोमीटर की लंबी लाइन उनके प्रसंशकों की लगती थी, जिसमें गुजरात, पंजाब से लेकर केरल, तमिलनाडु से लोग आते थे. सिर्फ उनके जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएं देने इतनी दूर से आते थे. कई बार भीड़ को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता था. पुलिस की मदद लेनी पड़ती थी, हालांकि डैड को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था. वे अपने फैन्स को बहुत चाहते थे, इसलिए वह इस बात की कोशिश करते कि कम-से-कम कुछ सेकेंडस के लिए ही सही, वह सबसे मिल लें.

एक्टर का आखिरी जन्मदिन

मैं इस याद के साथ उनके आखिरी जन्मदिन की भी एक बात शेयर करना चाहूंगा. उनके 88वें जन्मदिन पर जन्मदिन के एक रात पहले उनके फोन में कुछ समस्या हो गयी थी. रात 12 के बाद उन्हें विश करने के लिए उनके करीबी लोगों और दोस्तों का फोन व मैसेज आना शुरू हो गया, जिसके बाद मैं सो नहीं पाया था.

अपने स्टाइल का रखते थे खास ख्याल

डैड खाने के उतने शौकीन नहीं थे. वह पेट भरने के लिए खाने वाले लोगों में से थे. उसमें भी वह सिंपल खाने दाल, रोटी और सब्जी को ही खाना पसंद करते थे. वह खाने के शौकीन भले ही न हों, लेकिन खाने की अहमियत को बखूबी समझते थे. वह कई बार मुंबई में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते थे. जब उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे. वहीं, वह अपने लुक्स का बहुत ख्याल रखते थे. वे अक्सर से जूतों, स्कार्फ और घड़ियों की शॉपिंग करते थे. पेरिस तो वह खासकर शॉपिंग के लिए जाते थे. अपने कपड़ों का भी चयन वही करते थे. हेयरस्टाइल का भी. वे एकलौते ऐसे स्टार थे, जिन्होंने पफ हेयर स्टाइल का फैशन शुरू किया था. जो उस वक्त के नौजवानों में काफी प्रसिद्ध था. उनके साथ ट्रैवेलिंग करना मुझे बहुत पसंद था. उस दौरान कई बार लोगों को मालूम पड़ जाता था कि वह आये हैं और होटल के बाहर बड़ी भीड़ जुट जाती थी. छह दशक से भी ज्यादा समय से लोगों का इतना प्यार उन्हें मिला है.

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इंडस्ट्री को दिये कई बेमिसाल टैलेंट

देव आनंद ने ही शत्रुघ्न सिन्हा, जैकी श्रॉफ, टीना मुनीम, तब्बू, जीनत अमान आदि को भारतीय फिल्म जगत में इंट्रोड्यूस किया. उस समय कोई भी अभिनेत्री फिल्म में देव साहब की बहन का रोल नहीं करना चाहती थी. फिर जीनत अमान को अपनी बहन के रोल में हरे रामा-हरे कृष्णा में ब्रेक दिया.

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