प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मशहूर नाट्य निर्देशक प्रसन्ना ने जानकारी दी कि शहीद भगत सिंह के जन्मदिन 28 सितंबर से ‘ढाई आखर प्रेम’ पैदल यात्रा राजस्थान के अलवर जिले से शुरू होगी. यह पैदल यात्रा 22 राज्यों से गुजरते हुए 30 जनवरी 2024 को गांधीजी के शहादत दिवस पर समाप्त होगी. उन्होंने कहा कि हम संस्कृति के राजनीतिकरण के खिलाफ हैं. महान भारतीय सभ्यता आज संकट में है. नफरत की विभाजनकारी सांस्कृतिक राजनीति और उपभोग की मशीनीकृत अर्थव्यवस्था मिलकर मानव की गरिमा को कमजोर कर रही है. हमें प्रेम और श्रम की राजनीति की आवश्यकता है, जो मानवता के दो सबसे बुनियादी पहलू हैं. हम ढाई आखर प्रेम का नारा और हाथ से बुना गमछा का प्रतीक हमारे संत कवि कबीर से लेते हैं. कबीर और अन्य संत कवि भारतीय सभ्यता के सच्चे सांस्कृतिक प्रतिनिधि हैं. उनके विचारों से प्रेरित यह यात्रा कई सांस्कृतिक संगठनों के साथ भारत के लोगों और संस्कृति से रूबरू होने जा रहा है.
इस यात्रा में देश के कई सांस्कृतिक संगठन – संगवारी, अनहद, जन नाट्य मंच, कारवां-ए-मोहब्बत, दलित लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ , जन संस्कृति मंच, इप्टा आदि शामिल हैं. इस यात्रा का सांस्कृतिक उद्घाटन समारोह दिल्ली में 27 सितंबर को शहीद भगत सिंह के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आयोजित होगा. प्रसिद्ध प्रसिद्ध कोरियोग्राफर व डिजाइनर प्रसाद बिडप्पा और उनके साथी ‘गमछा शो’ प्रस्तुत करेंगे. प्रेम पर केंद्रित लघु चलचित्र दिखाये जायेंगे. विभिन्न सांस्कृतिक समूहों द्वारा सद्भाव और एकजुटता के गीत गाये जायेंगे. इसके साथ ही प्राकृतिक रंगों से बने गमछों और हस्तकरघा निर्मित खादी की प्रदर्शनी भी लगेगी.
प्रेस कॉन्फ्रेंस को प्रसन्ना के साथ वेदा ( नाट्य निर्देशक), विनीत (राष्ट्रीय सचिव, प्रलेस), प्रसाद बिडप्पा (प्रसिद्ध कोरियोग्राफर और डिजाइनर), संजीव (महासचिव, जलेस) और राकेश (कार्यकारी अध्यक्ष, इप्टा) ने संबोधित किया.
इप्टा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष राकेश ने कहा कि ढाई आखर प्रेम-राष्ट्रीय सांस्कृतिक जत्था भारत में लोक रंगमंच और लोक संस्कृति की परंपरा की निरंतरता है. पीपुल्स थिएटर की शुरुआत देश के एक हिस्से की कहानियों को दूसरे हिस्सों में बताने के लिए देश का दौरा करने से हुई. इसने लोगों को एक साथ लाया. ये जत्था भी यही करेगा. हम जगहों पर जाएंगे, लोगों से मिलेंगे और उनके जीवन, कला और संस्कृति के बारे में जानेंगे. एक तरह से यह जत्था हमारे देश को बेहतर तरीके से जानने और प्यार करने का हमारा तरीका है.
जनवादी लेखक संघ के महासचिव संजीव ने कहा कि प्रगतिशील सांस्कृतिक संगठन हमेशा सांप्रदायिक नफरत और वैज्ञानिक विरोधी स्वभाव और बढ़ती असमानता के वर्तमान माहौल के प्रति जागरूक रहे हैं. जब इप्टा प्रेम का संदेश फैलाने के लिए जत्था के इस विचार के साथ आयी, तो हम सभी स्वाभाविक रूप से एक साथ जुड़ गये. कलाकार नफरत फैलाने वालों से नफरत करते हैं. गलत को गलत कहना ही सही है. हम कबीर की तार्किकता के साथ उनके ढाई आखर प्रेम के मार्ग पर चलते हैं.
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प्रसिद्ध कोरियोग्राफर और डिजाइनर प्रसाद बिडप्पा ने कहा कि भारत में हथकरघा खादी न केवल एक आर्थिक क्षेत्र है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत है. यह भारत की आत्मा को समाहित करता है. भारतीय कपड़े और फैशन को पश्चिम से अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है. मुझे अपने फैशन शो के माध्यम से यह संदेश फैलाने पर गर्व है.
प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत ने कहा कि कपड़े के टुकड़े का ताना बाना हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों का एक महान प्रतीक रहा है. इस प्रतीक के साथ हम मानव श्रम की गरिमा, एक-दूसरे के दैनिक संघर्षों के साथ एकजुटता, प्रेम की भावना, विचारों और संस्कृति की विविधता को सीखने और सराहने की क्षमता और तर्क की शक्ति को पुनः प्राप्त करना चाहते हैं.
नाट्य-निर्देशक वेदा ने कहा कि हमने कई यात्राएं की हैं. हजारों लोगों से मिले. वे नफरत करने वाले नहीं हैं और नफरत की राजनीति पसंद नहीं करते. गांवों के लोग हमें विश्वास दिलाते हैं कि यह यात्रा लोगों की आवाज, प्यार और फिक्र की आवाज बन सकेगी.